कानपुर: सरकार ने पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन देने का फैसला इस मकसद से किया था, की जिन्हें लोन दिया जाए वह अपना स्वरोजगार शुरू कर सकें. शहर में इससे कुछ अलग हुआ. शहर के लीड बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ौदा से जो जानकारी सामने आयी वो हैरान करने वाली है. शहर के बैंकिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक आरटीआई से सामने आया है कि शहर में कुल 69.80 करोड़ रुपए लोन के तौर पर 69,800 लोगों को दिए गए थे. इनमें से 80 फीसदी राशि एनपीए यानी नॉन परफार्मिंग एसेट (डूबा ऋण) हो गई है. अब बैंकों के सामने यह संकट है कि आखिर डिफाल्टरों से लोन की वसूली कैसे की जाए?
बैंकिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया की इस मामले में ज़ब बैंक के स्तर से जांच की गयी तो मालूम हुआ की 50 हज़ार से अधिक खाते डिफाल्टर की श्रेणी में हैं. वहीं कई खाते ऐसे हैं, जिनमें अब एक रुपए की राशि नहीं बची है.
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इस बारे में वी बैंकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष कुमार मिश्रा का कहना है कि ये बात बिल्कुल सही है कि पीएम स्वनिधि योजना में बड़ी संख्या में लोन एनपीए हो गए हैं. दरअसल ये सोचकर लोन दिया गया था कि इस सहायता राशि से लोग अपना व्यापार शुरू कर सकेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब ऐसे लोगों से बैंक को पूरी राशि वसूलनी है.
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