कानपुर: जिला सहकारी बैंक में नियुक्ति को लेकर एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है. कानपुर जिला सहकारी बैंक में भर्ती किए गए 34 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी मिलने के बाद उनकी सेवा समाप्ति के लिए सेवा मंडल को पत्र भेजा गया है. नियुक्त किए गए कर्मचारियों में 5 कर्मचारी निदेशकों के बेटा-बेटी और भतीजे हैं. बैंक में अनुसूचित जाति (SC) में दो सगी बहनों के अलावा उनकी सगी भाभी की नियुक्ति भी हुई थी. सामान्य वर्ग के लिए 20 पद थे, लेकिन सिर्फ एक ही पद पर सामान्य अभ्यर्थी को मौका मिला है, वह भी निदेशक का बेटा है.
दरअसल, जिला सहकारी बैंक में क्लास 1, 2, 3 के कर्मचारियों की नियुक्ति लखनऊ स्थित सेवा मंडल करता है. वहीं चतुर्थ क्लास के कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार बैंक प्रबंधन के पास है. साल 2016 में बैंक ने सेवा मंडल से चतुर्थ श्रेणी के 36 रिक्त पदों की अनुमति लेकर 30 अक्टूबर को विज्ञापन निकाला था. इसमें 20 पद सामान्य वर्ग, 3 पद अन्य पिछड़ा वर्ग, 12 पद अनुसूचित जाति और एक पद अनुसूचित जनजाति के लिए रखा गया था.
ईटीवी भारत से बातचीत में जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन अरविंद सचान ने बताया कि 2 साल पहले इस भर्ती घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई थी. तब से इस भर्ती घोटाले की 3 बार जांच हो चुकी है, जांच में साफ हो गया है कि भर्तियां गलत तरीके से हुई थीं. सभी के बयान भी लिए जा चुके हैं. वहीं अब इन 34 लोगों की बर्खास्तगी के लिए सेवा मंडल को पत्र भेजा गया है.
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