कानपुर: शहर में कई ऐसे बच्चे होते हैं, जो तमाम कारणों से शिक्षा की मुख्य धारा तक नहीं पहुंच पाते हैं. बच्चों के पास पढ़ने के लिए किताबें तक नहीं होती. सरकारी स्कूलों में तो सरकार की ओर से मुफ्त किताबें बच्चों को मिल जाती हैं. लेकिन, जरूरतमंद पूरी तरह से वंचित ही रह जाते हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. कानपुर में हर जरूरतमंद बच्चों के हाथों में बुक होंगी.
इस मुहिम को शुरू करने का फैसला डीएम कानपुर विशाख जी अय्यर ने किया है. उन्होंने कानपुर में बुक बैंक कैम्पेन की शुरुआत कर दी है. फजलगंज स्थित जिला उद्योग केंद्र में पहला बुक बैंक बनवाया जाएगा. वहीं, बीएसए कार्यालय की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक शहर में 12वीं तक के करीब दो लाख ऐसे बच्चे हैं, जिन्हें किताबों की जरूरत है. उन सभी तक किताबें पहुंचाने का काम बुक बैंक की मदद से होगा. लाखों की संख्या में किताबों को जुटाया भी जाएगा. जिसमें शहर के सभी वर्गों- उद्यमी, चिकित्सक, अधिवक्ता, शिक्षक आदि अन्य शामिल होंगे. जिला उद्योग केंद्र, कानपुर यूनिवर्सिटी समेत कई अन्य सरकारी कार्यालयों व शिक्षण संस्थानों में यह बुक बैंक बनाए जाएंगे.
पुरानी किताबें दान करें: डीएम कानपुर विशाख जी अय्यर ने शहर के सभी वर्गों के लोगों से कहा है कि बुक बैंक कैम्पेन का हिस्सा बनिए. आप सभी की अलमारी में सालों से जो पुरानी किताबें रखी हैं, उन्हें बुक बैंक में दान कर दीजिए. बोले, शहर की तमाम सामाजिक संस्थाओं को इस कैम्पेन का हिस्सा बनाएंगे, जिससे हर जरूरतमंद बच्चों को किताबें मिल सकें. इस कैम्पेन को सफल बनाने कि जिम्मा जीएम डीआइसी सुधीर श्रीवास्तव, बीएसए सुरजीत सिंह का होगा.
लखनऊ, कानपुर, दिल्ली में बिकती हैं पुरानी किताबें: बुक बैंक कैम्पेन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम विशाख जी ने कहा, कि लखनऊ, दिल्ली के अलावा कानपुर भी एक ऐसा शहर है जहां पुरानी किताबों का बाजार है। वहां अगर आप जाएंगे, तो कम दामों में पुरानी किताबें पढ़ने को मिल जाती हैं.
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