कानपुर: कटरी में हिस्ट्रीशीटर सहित छह लोगों से 287 करोड़ की बेशकीमती सरकारी जमीन छुड़ाई गई. सरकारी जमीन खाली कराने को लेकर चली जेसीबी ने कई अवैध निर्माण ढहा दिए. हिस्ट्रीशीटर एवं भू-माफिया रामदास निषाद द्वारा सरकारी जमीन कब्जाने का मामला खुलने के बाद केडीए की कार्रवाई लगातार जारी है. कानपुर विकास प्राधिकरण ने भू-माफियाओं के कब्जे वाली जमीन पर बुलडोजर चलाकर करीब 850 बीघा जमीन को मुक्त कराया.
नोटिस का जवाब न मिलने पर की कार्रवाई
कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों ने विरोध करने की कोशिश की, हालांकि पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया. कानपुर विकास प्राधिकरण ने हिस्ट्रीशीटर रामदास निषाद सहित छह को जमीन खाली करने का नोटिस दिया था, लेकिन नोटिस का जवाब न मिलने पर प्राधिकरण ने तहसील और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम के साथ कटरी शंकरपुर सराय गांव में पहुंचकर 850 बीघा सरकारी जमीन को खाली कराया. इतना ही नहीं सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए प्लॉट को जेसीबी की मदद से पुलिस की मौजूदगी में तोड़ दिया गया.
भू-माफिया भी हैं पुलिस की गिरफ्त से दूर
सूत्रों की माने तो प्राधिकरण और लेखपाल की मिलीभगत से गंगा कटरी के शंकरपुर सराय और शिवधरखेड़ा की अरबों की जमीन पर अवैध कब्जे हो गए. इन्हीं दोनों गांव में ही करीब एक हजार बीघा जमीन पर अवैध कब्जे हैं. केडीए जब अवैध कब्जों पर बुलडोजर चला रहा था, तो टीम को इस बात के संकेत मिले हैं कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत भी होने की संभावना है. भू-माफिया एवं हिस्ट्रीशीटर रामदास अभी भी पुलिस की गिरफ्त से कोसों दूर है, जबकि उसके बेटे को पुलिस ने शूटिंग रेंज की जमीन को बेचने के आरोप में जेल भेज दिया था. कटरी क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर भू-माफियाओं के अवैध कब्जे के मामले लेखपाल की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. लिहाजा लेखपाल के खिलाफ भी गोपनीय जांच शुरू कर दी गई है.
केडीए की भी लापरवाही आ रही है सामने
कानपुर विकास प्राधिकरण के रिकॉर्ड के अनुसार शंकरपुर सराय में विकास प्राधिकरण की करीब 18 सौ एकड़ जमीन है. किसी के पास स्थित शिव खेड़ा में करीब 700 एकड़ जमीन है. केडीए की तरफ से अब तक हुई जांच में शंकरपुर सराय क्षेत्र में ही करीब एक हजार बीघा जमीन पर अवैध कब्जे का पता चला है. प्राधिकरण में पहले 85 गांव क्षेत्रों की जमीन आती थी. बाद में शासनादेश में संशोधन के बाद डूब क्षेत्र की जमीन भी विकास प्राधिकरण के स्वामित्व में आ गई. गंगा बैराज से शुक्लागंज तक गंगा कटरी की डूब क्षेत्र की लाखों बीघा जमीन भी विकास प्राधिकरण को मिल गई थी. पर केडीए ने न तो इसे अवैध कब्जों से बचाने को कोई प्रयास किया और न ही वहां उक्त जमीन पर योजनाओं का क्रियान्वयन किया.