कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में जिला जज के तबादले को लेकर अधिवक्ताओं की हड़ताल का जारी है. बुधवार को अधिवक्ताओं ने प्रदेश स्तरीय सम्मेलन का आगाज कर दिया. 36 जिलों से बार व लायर्स एसोसिशएन के पदाधिकारी कानपुर पहुंचे और सभी ने एक सुर में कहा कि जब जिला जज का तबादला होगा, तभी हड़ताल खत्म होगी.
39 और जिलों के पदाधिकारी गुरुवार को कानपुर पहुंचेंगे. इसके बाद सभी एकजुट होकर मंच से ही ऐलान करेंगे कि जिला जज का तबादला किया जाए. दरअसल कुछ दिन पहले इसी मामले में हाईकोर्ट की सात जजों वाली बेंच के सामने बार व लायर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तलब हुए थे. तब जजों ने अधिवक्ताओं को बुधवार तक हड़ताल खत्म करने का समय दिया था. हालांकि, अधिवक्ता नहीं माने और हड़ताल जारी रही.
सड़क तक जारी रखेंगे संघर्ष: मामले पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि हम अपना सड़क तक का संघर्ष जारी रखेंगे. हम हाईकोर्ट के मातहत नहीं जो उनका आदेश मान लेंगे. जब हमारी मांगें पूरी होंगी तब ही हड़ताल खत्म होगी. गुरुवार को कानपुर कोर्ट परिसर में पांच से 10 हजार अधिवक्ता एकजुट होंगे और सभी एक साथ जिला जज का तबादला करने की मांग करेंगे.
कोर्ट के आसपास रही कड़ी सुरक्षा: कानपुर कोर्ट में बुधवार को आयोजित प्रादेशिक अधिवक्ता सम्मेलन में कई अन्य जिलों से अधिवक्ता आए थे. ऐसे में कानपुर कोर्ट के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही. कई थानों की फोर्स की मौजूदगी के बीच अधिवक्ताओं का सम्मेलन आयोजित हुआ. संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि राहगीरों व आमजन को किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए फोर्स लगाई गई थी.
अलीगढ़ के वकीलों ने की एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांगः कानपुर में 15 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं के समर्थन में अलीगढ़ के थाना सिविल लाइन क्षेत्र अंतर्गत दीवानी कचहरी के बाहर अधिवक्ताओं ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान सैकड़ों अधिवक्ताओं ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की. अधिवक्ता प्रतीक चौधरी ने कहा कि कानपुर के जिला जज भ्रष्ट और बेईमान हैं.
15 दिन से वहां के वकील लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. आज पूरे उत्तर प्रदेश में 65 जिलों के वकील हड़ताल पर हैं, हम उन्हें समर्थन दे रहे हैं. गुरुवार को हम कानपुर जाएंगे. हमारी मांगे हैं कि कानपुर के जो जिला जज है, उनको तत्काल वापस लिया जाए और वहां किसी दूसरे को तैनात किया जाए. राजस्थान में लागू एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को उत्तर प्रदेश में भई लागू किया जाए. क्योंकि अधिवक्ताओं की दयनीय स्थिति है. हम पर रोज हमले होते हैं और कोई सुनने वाला नहीं है.