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मिर्जापुर के स्कूलों में फूट रहे कजली के 'कंठ', तैयार हो रही नई पीढ़ी

अब स्कूलों में भी विलुप्त हो रहे लोकगीत कजली गूंजने लगे हैं. इसका श्रेय जाता है संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त कजली लोकगीत कलाकार अजिता श्रीवास्तव को. उन्होंने इस लोककला को जीवित रखने के लिए स्कूली बच्चों को इसका प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है. इसे लोककला के संरक्षण का बड़ा प्रयास माना जा रहा है.

मिर्जापुर के केंद्रीय स्कूल में दिया गया कजली का प्रशिक्षण.
मिर्जापुर के केंद्रीय स्कूल में दिया गया कजली का प्रशिक्षण.
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Published : Sep 25, 2021, 6:05 PM IST

मिर्जापुरः विंध्य के लोकगीत कजली के स्वर अब स्कूलों में गूंजने लगे हैं. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार पा चुकीं कजली लोकगीत कलाकार अजिता श्रीवास्तव इन दिनों स्कूली बच्चों को इस लोक कला की बारीकियां सिखाने में जुटी हुईं हैं. इसी कड़ी में शनिवार को मिर्जापुर केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को भी दो दिवसीय कजली विधा का प्रशिक्षण दिया गया.

अजिता श्रीवास्तव का कहना है कि इस लोककला से पीढ़ियों को रूबरू कराने का यह छोटा सा प्रयास है. ऐसा इसलिए कर रहीं हूं ताकि आने वाले समय में कजली का संरक्षण व प्रचार-प्रसार हो सके. उन्होंने कहा कि भारत एक विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है. यहां संस्कृति और मौसम के कई रंग आपकों देखने को मिलेंगे. उसी में एक है मिर्जापुर का प्रसिद्ध कजली लोकगीत. आधुनिकता की चकाचौंध में कजली गीत धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं.

मिर्जापुर के केंद्रीय स्कूल में दिया गया कजली का प्रशिक्षण.

यह भी पढ़ेंः UPSC 2020: रिजल्ट घोषित, आगरा की बहू अंकिता जैन की आई तीसरी रैंक

वहीं, केंद्रीय विद्यालय की प्रधानाचार्य रुपाली प्रतिहार का मानना है कि विलुप्त हो रही मिर्जापुर की कजली गीत की लोक परंपरा अजिता श्रीवास्तव सहेजने में जुटी हुईं हैं. वह नई पीढ़ियों को इसका प्रशिक्षण दे रही हैं ताकि इसे संरक्षित किया जा सके. हमारे विद्यालय में भी भारत सरकार के तत्वावधान में आजादी अमृत उत्सव के तहत दो दिवसीय कजली प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसमें कजली गायिका अजिता ने छात्र-छात्राओं को कजली के गीत के बारे में बताया और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया. कजली के गीत सीखने को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में बच्चों के पठन-पाठन के साथ ही उन्हें हर विधा सिखाई जाती है.

मिर्जापुरः विंध्य के लोकगीत कजली के स्वर अब स्कूलों में गूंजने लगे हैं. संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार पा चुकीं कजली लोकगीत कलाकार अजिता श्रीवास्तव इन दिनों स्कूली बच्चों को इस लोक कला की बारीकियां सिखाने में जुटी हुईं हैं. इसी कड़ी में शनिवार को मिर्जापुर केंद्रीय विद्यालय के बच्चों को भी दो दिवसीय कजली विधा का प्रशिक्षण दिया गया.

अजिता श्रीवास्तव का कहना है कि इस लोककला से पीढ़ियों को रूबरू कराने का यह छोटा सा प्रयास है. ऐसा इसलिए कर रहीं हूं ताकि आने वाले समय में कजली का संरक्षण व प्रचार-प्रसार हो सके. उन्होंने कहा कि भारत एक विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है. यहां संस्कृति और मौसम के कई रंग आपकों देखने को मिलेंगे. उसी में एक है मिर्जापुर का प्रसिद्ध कजली लोकगीत. आधुनिकता की चकाचौंध में कजली गीत धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं.

मिर्जापुर के केंद्रीय स्कूल में दिया गया कजली का प्रशिक्षण.

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वहीं, केंद्रीय विद्यालय की प्रधानाचार्य रुपाली प्रतिहार का मानना है कि विलुप्त हो रही मिर्जापुर की कजली गीत की लोक परंपरा अजिता श्रीवास्तव सहेजने में जुटी हुईं हैं. वह नई पीढ़ियों को इसका प्रशिक्षण दे रही हैं ताकि इसे संरक्षित किया जा सके. हमारे विद्यालय में भी भारत सरकार के तत्वावधान में आजादी अमृत उत्सव के तहत दो दिवसीय कजली प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इसमें कजली गायिका अजिता ने छात्र-छात्राओं को कजली के गीत के बारे में बताया और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया. कजली के गीत सीखने को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में बच्चों के पठन-पाठन के साथ ही उन्हें हर विधा सिखाई जाती है.

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