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अर्जुन अवार्ड विजेता ने खिलाड़ियों को दी सीखः ये सोचकर हर खेल को खेलें, खुद को बनाना है नंबर वन

कानपुर "द स्पोर्ट्स हब" में आयोजित खेल प्रतियोगिता में भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता पहुंचे. उन्होंने कहा कि खेल में सुविधाएं होने पर देश के खिलाड़ियों को मेडल लाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 18, 2023, 3:26 PM IST

भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने बताया.

कानपुर: जब खेल के मैदान में आप उतरें और किसी भी खेल में हाथ आजमाएं तो हमेशा यही सोचें कि मुझे इस खेल का नंबर वन खिलाड़ी बनना है, अगर यही मानसिकता बनी रहेगी, तो निश्चित तौर पर आप सफल जरूर होंगे. अगर, निराश या हताश होंगे, तो कभी खेल में सफलता नहीं मिल सकती है. शुक्रवार को भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव और अर्जुन अवार्ड विजेता कमलेश मेहता ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत कर यह बातें कहीं.

खिलाड़ी कभी हारता नहींः भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने कानपुर "द स्पोर्ट्स हब" में आयोजित राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में पहुंचे. उन्होंने कहा कि जिस तरह पीएम मोदी ने "पैरा ओलंपिक" खेलों के दौरान खिलाड़ियों से संवाद किए थे, कि एक खिलाड़ी मैदान में जब जाता है, तो वह या तो जीतता है या कुछ सीखता है. एक खिलाड़ी कभी हारता नहीं है. बस हमें भी इसी सोच को बरकरार रखना है. एक अच्छा टेबल टेनिस खिलाड़ी बनने के लिए रोना भी होगा और दु:ख भी सहना होगा.

नेशनल रैंकिंग में अब ओपन एंट्रीः अर्जुन अवार्ड विजेता कमलेश मेहता ने कहा कि महासंघ द्वारा टेबल टेनिस में नेशनल रैंकिंग को लेकर ओपन एंट्री का नियम बनाया गया है. इससे खिलाड़ियों को एक स्तरीय मंच मिल सकेगा. इसके साथ ही जहां-जहां टेबल टेनिस के आयोजन होंगे, वहां ओपन ड्रॉ होगा, जिससे आप घर बैठे ही मैच की पूरी जानकारी ले सकते हैं. ओपन ड्रॉ के चलते किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. उन्होंने बताया कि हम रैंकिंग बेस को बढ़ा रहे हैं, ताकि, जब भारत के खिलाड़ी अन्य देशों में जाएं तो वह अपनी रैंकिंग बता सकें.

द स्पोर्ट्स हब जैसे मॉडल देश के हर शहर में बनाए जाएंः भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने कहा कि "द स्पोर्ट्स हब" मॉडल तो देश के हर शहर में बनाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि इस मॉडल की सारी सुविधाएं बहुत शानदार है. इसी तरह के मॉडल्स अगर होंगे, तो निश्चित तौर पर हमारे देश के खिलाड़ियों को मेडल लाने में किसी तरह की दिक्कतें नहीं होंगी. उन्हें एक छत के नीचे खाने, पीने और प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा मिल जाना अद्भुत है.

यह भी पढ़ें- इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पहली बार हो रही "स्पोर्ट्स मीट", छात्र-छात्राओं को प्रतिभा दिखाने का मौका

यह भी पढ़ें- वाहनों के फाइनेंस में फर्जीवाड़ा करने वाला गिरफ्तार, फर्जी मत्यु प्रमाणपत्र बनाकर करता था ठगी

भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने बताया.

कानपुर: जब खेल के मैदान में आप उतरें और किसी भी खेल में हाथ आजमाएं तो हमेशा यही सोचें कि मुझे इस खेल का नंबर वन खिलाड़ी बनना है, अगर यही मानसिकता बनी रहेगी, तो निश्चित तौर पर आप सफल जरूर होंगे. अगर, निराश या हताश होंगे, तो कभी खेल में सफलता नहीं मिल सकती है. शुक्रवार को भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव और अर्जुन अवार्ड विजेता कमलेश मेहता ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत कर यह बातें कहीं.

खिलाड़ी कभी हारता नहींः भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने कानपुर "द स्पोर्ट्स हब" में आयोजित राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता में पहुंचे. उन्होंने कहा कि जिस तरह पीएम मोदी ने "पैरा ओलंपिक" खेलों के दौरान खिलाड़ियों से संवाद किए थे, कि एक खिलाड़ी मैदान में जब जाता है, तो वह या तो जीतता है या कुछ सीखता है. एक खिलाड़ी कभी हारता नहीं है. बस हमें भी इसी सोच को बरकरार रखना है. एक अच्छा टेबल टेनिस खिलाड़ी बनने के लिए रोना भी होगा और दु:ख भी सहना होगा.

नेशनल रैंकिंग में अब ओपन एंट्रीः अर्जुन अवार्ड विजेता कमलेश मेहता ने कहा कि महासंघ द्वारा टेबल टेनिस में नेशनल रैंकिंग को लेकर ओपन एंट्री का नियम बनाया गया है. इससे खिलाड़ियों को एक स्तरीय मंच मिल सकेगा. इसके साथ ही जहां-जहां टेबल टेनिस के आयोजन होंगे, वहां ओपन ड्रॉ होगा, जिससे आप घर बैठे ही मैच की पूरी जानकारी ले सकते हैं. ओपन ड्रॉ के चलते किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. उन्होंने बताया कि हम रैंकिंग बेस को बढ़ा रहे हैं, ताकि, जब भारत के खिलाड़ी अन्य देशों में जाएं तो वह अपनी रैंकिंग बता सकें.

द स्पोर्ट्स हब जैसे मॉडल देश के हर शहर में बनाए जाएंः भारतीय टेबल टेनिस महासंघ के सचिव कमलेश मेहता ने कहा कि "द स्पोर्ट्स हब" मॉडल तो देश के हर शहर में बनाया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि इस मॉडल की सारी सुविधाएं बहुत शानदार है. इसी तरह के मॉडल्स अगर होंगे, तो निश्चित तौर पर हमारे देश के खिलाड़ियों को मेडल लाने में किसी तरह की दिक्कतें नहीं होंगी. उन्हें एक छत के नीचे खाने, पीने और प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा मिल जाना अद्भुत है.

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