कानपुर : मिशन शक्ति के तहत उड़ीसा के बालासोर स्थित डीआरडीओ परीक्षण केंद्र से बुधवार कोA- sat लांच किया गया. लांचिंग के ठीक 3 मिनट बाद इसने पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट को नष्ट कर दिया. इस मिशन में आईआईटी कानपुर का भी खासा योगदान रहा है. इसके साथ ही भारत भी दुनिया की नई महाशक्ति बन गया है. अभी तक यह क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी, लेकिन भारत भी अब यह परीक्षण करने वाला दुनिया में चौथा देश बन गया है.
आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था.आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके घोष ने बताया कि देश के इस मिशन महाशक्ति को सफलतापूर्वक परीक्षण करने का महत्वपूर्ण श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है और कानपुर आईआईटी की मेधा का भी इसमें अहम योगदान है.
अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल को आईआईटी कानपुर के एक पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने ही रास्ता दिखाया है. उनकी टीम ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था. डॉक्टर द्विवेदी ने आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग से 2014 में बीटेक किया था.
मौजूदा समय में वो डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर और आईआईटी कानपुर के मानद प्रोफेसर है. आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मिशन महाशक्ति की सफलता के पीछे एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा है.उन्हीं की प्रेरणा का परिणाम है कि आज भारत विश्व में अंतरिक्ष की भी महाशक्ति बन कर उभरा है.