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अंतरिक्ष महाशक्ति की कामयाबी है अब्दुल कलाम की देन : आईआईटी कानपुर

कानपुर : मिशन शक्ति के भारत ने बुधवार को A- sat लांच किया गया. इस मिशन में आईआईटी कानपुर का भी खासा योगदान रहा है. आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था. डॉ. पीएन द्विवेदी ने आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग से 2014 में बीटेक किया था.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष.
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Published : Mar 29, 2019, 11:14 AM IST

Updated : Mar 29, 2019, 3:24 PM IST

कानपुर : मिशन शक्ति के तहत उड़ीसा के बालासोर स्थित डीआरडीओ परीक्षण केंद्र से बुधवार कोA- sat लांच किया गया. लांचिंग के ठीक 3 मिनट बाद इसने पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट को नष्ट कर दिया. इस मिशन में आईआईटी कानपुर का भी खासा योगदान रहा है. इसके साथ ही भारत भी दुनिया की नई महाशक्ति बन गया है. अभी तक यह क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी, लेकिन भारत भी अब यह परीक्षण करने वाला दुनिया में चौथा देश बन गया है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष.


आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था.आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके घोष ने बताया कि देश के इस मिशन महाशक्ति को सफलतापूर्वक परीक्षण करने का महत्वपूर्ण श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है और कानपुर आईआईटी की मेधा का भी इसमें अहम योगदान है.


अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल को आईआईटी कानपुर के एक पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने ही रास्ता दिखाया है. उनकी टीम ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था. डॉक्टर द्विवेदी ने आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग से 2014 में बीटेक किया था.


मौजूदा समय में वो डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर और आईआईटी कानपुर के मानद प्रोफेसर है. आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मिशन महाशक्ति की सफलता के पीछे एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा है.उन्हीं की प्रेरणा का परिणाम है कि आज भारत विश्व में अंतरिक्ष की भी महाशक्ति बन कर उभरा है.

कानपुर : मिशन शक्ति के तहत उड़ीसा के बालासोर स्थित डीआरडीओ परीक्षण केंद्र से बुधवार कोA- sat लांच किया गया. लांचिंग के ठीक 3 मिनट बाद इसने पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट को नष्ट कर दिया. इस मिशन में आईआईटी कानपुर का भी खासा योगदान रहा है. इसके साथ ही भारत भी दुनिया की नई महाशक्ति बन गया है. अभी तक यह क्षमता सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी, लेकिन भारत भी अब यह परीक्षण करने वाला दुनिया में चौथा देश बन गया है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष.


आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था.आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके घोष ने बताया कि देश के इस मिशन महाशक्ति को सफलतापूर्वक परीक्षण करने का महत्वपूर्ण श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है और कानपुर आईआईटी की मेधा का भी इसमें अहम योगदान है.


अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल को आईआईटी कानपुर के एक पूर्व छात्र डॉ. पीएन द्विवेदी ने ही रास्ता दिखाया है. उनकी टीम ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था. डॉक्टर द्विवेदी ने आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग से 2014 में बीटेक किया था.


मौजूदा समय में वो डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर और आईआईटी कानपुर के मानद प्रोफेसर है. आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ. एके घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मिशन महाशक्ति की सफलता के पीछे एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा है.उन्हीं की प्रेरणा का परिणाम है कि आज भारत विश्व में अंतरिक्ष की भी महाशक्ति बन कर उभरा है.

Intro:कानपुर:-अंतरिक्ष की महाशक्ति की कामयाबी है अब्दुल कलाम की देन-आईआईटी कानपुर

आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र ने दिखाया रास्ता ।

अंतरिक्ष में उपग्रह कुमार के गाने की सफलता हासिल करते हुए भारत भी दुनिया की नई मां शक्ति बन गया है अभी तक क्षमता सिर्फ अमेरिका रूस और चीन के पास थी लेकिन भारत भी अब यह परीक्षण करने वाला पूरी दुनिया में चौथा देश बन गया है जिसने अंतरिक्ष मे किसी उपग्रह को मार गिराया हो मिशन शक्ति के तहत उड़ीसा के बालासोर स्थित डीआरडीओ परीक्षण केंद्र से बुधवार ई ए सेट लॉन्च किया गया लॉन्चिंग के ठीक 3 मिनट बाद इतने पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट को नष्ट कर दिया आपको बता दें कि इस मिशन में आईआईटी कानपुर का भी खासा योगदान रहा है आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र डॉ पीएन द्विवेदी ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था । ईटीवी भारत के संवादाता रजनीश दीक्षित को आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एके घोष ने बताया कि देश के इस मिशन महाशक्ति को सफलतापूर्वक परीक्षण करने का महत्वपूर्ण श्रेय एपीजे अब्दुल कलाम को जाता है और कानपुर आईआईटी की मेधा का भी इसमें अहम योगदान है


Body:अंतरिक्ष में 300 किलोमीटर दूर ऑर्बिट में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने वाली एंटी सैटेलाइट मिसाइल को आईआईटी कानपुर के एक पूर्व छात्र डॉ पीएन द्विवेदी ने ही रास्ता दिखाया है उनकी टीम ने इस मिशन के लिए गाइडेंस कंट्रोल सॉफ्टवेयर तैयार किया था आपको बता दें कि डॉक्टर द्विवेदी ने आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभाग से 2014 में बीटेक किया था मौजूदा समय में वो डीआरडीओ के एसोसिएट डायरेक्टर और आईआईटी कानपुर के मानद प्रोफेसर है आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस विभागाध्यक्ष डॉ एके घोष ने ईटीवी भारत को बताया कि मिशन महाशक्ति की सफलता के पीछे एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणा है और उन्हीं की प्रेरणा का परिणाम है कि आज भारत विश्व में अंतरिक्ष की भी महाशक्ति बन कर उभरा है और पूरी दुनिया में उसने भारत का लोहा मनवाया है ।

बाइट :- प्रो ए के घोष , विभागाध्यक्ष , एरोस्पेस आईआईटी कानपुर ।

रजनीश दीक्षित
कानपुर ।


Conclusion:
Last Updated : Mar 29, 2019, 3:24 PM IST
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