कानपुर: अक्सर समाज उपयोगी नवाचारों से चर्चा में रहने वाले आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने एक बार फिर कमाल कर दिया है. यहां के विशेषज्ञों ने खेत में दौड़ने वाले ट्रैक्टरों से धुंआ बिल्कुल न निकलने में सफलता हासिल की है. अब किसानों को ट्रेक्ट्रर से धुंआ निकलने से मुक्ति मिलेगी. इससे पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा. इस ट्रैक्टर का ट्रायल कर किया गया है. आपको यह बात चौंकाने वाली लग सकती है, लेकिन यह बात सौ प्रतिशत सही है.
आईआईटी कानपुर के डिपार्टमेंट आफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञ प्रो.अविनाश अग्रवाल और उनकी टीम ने डाइमिथाइल ईथर (डीएमई) से संचालित होने वाला एक इंजन बनाया है. इस प्रोजेक्ट में आईआईटी कानपुर के इंडस्ट्रीयल पार्टनर टीएमटीएल टैफे ट्रैक्टर्स एंड प्राइवेट लिमिटेड ( देश की दूसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर कंपनी) की ओर से इस इंजन को एक ट्रैक्टर में फिट कर उसका परीक्षण किया गया. यहां सकारात्मक परिणाम सामने आए. आईआईटी के विशेषज्ञों ने एक कंप्लीट ट्रैक्टर (प्रोटोटाइप) को बनाया और उसे आईआईटी दिल्ली की ओर से आयोजित इम्प्रिंट फेयर में प्रदर्शित किया. जहां देश-दुनिया से आए विशेषज्ञों ने ट्रैक्टर की खूबियां जानी और सभी को इस प्रोटोटाइप को तैयार करने के लिए जमकर सराहा.
आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ प्रो.अविनाश अग्रवाल ने बताया कि वह कूड़े-कचरे, पराली और सब्जी मंडी के कचरे से डाइमिथाइल ईथर को बना सकते हैं. यह एक तरह की एलपीजी जैसी गैस है. जिसके उपयोग से ट्रैक्टर को संचालित किया जा सकता है. इससे जब ट्रैक्टर चलेगा तो वातावरण में किसी तरह का धुआं नहीं होगा और न ही हाइड्रो कार्बन मोनोआक्साइड की अधिक मात्रा फैलेगी. इसकी मदद से 100 प्रतिशत तक डीजल को रिप्लेस कर सकते हैं.
प्रो.अविनाश अग्रवाल ने बताया कि जब वह अच्छी मात्रा में डाइमिथाइल ईथर को तैयार कर लेंगे तो उसे फ्यूल इम्पोर्ट की समस्या से काफी हद तक निजात पा सकेंगे. उन्होंने कहा कि देश में अब केंद्र सरकार की ओर से डाइमिथाइल ईथर तैयार करने के लिए यूनिट्स लगाने की योजना बनी है. उन्होंने बताया कि इसे एक ट्रैक्टर के लिए तैयार करने में उन्हें 3 साल का समय लगा. वहीं, डीएमई, डीजल के मुकाबले काफी सस्ती है. इसलिए आने वाले समय में तैयार किया गया डीएमई काफी कारगर साबित होगी.
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