कानपुर: कर्मचारियों और भर्ती प्रक्रिया से पहले प्रतिभागियों की बौद्धिक क्षमता की पहचान करना अब आसान हो जाएगा. कनाडा के अलबर्टा विश्वविद्यालय और आईआईटी कानपुर के अलावा विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर ब्रेन-बेस्ड इंटेलिजेंस टेस्ट (बीबीआईटी) बनाया है. इसके जरिए मानव की बौद्धिक क्षमता का आकलन किया जा सकेगा. शनिवार को संज्ञानात्मक क्षमताओं के स्वदेशी परीक्षण के लिए बनाए गए ब्रेन-बेस्ड इंटेलिजेंस टेस्ट (बीबीआईटी) को लांच किया गया.
कनाडा स्थित अलबर्टा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे पी दास के कुशल नेतृत्व में देश के शीर्ष मनोवैज्ञानिकों जैसे आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ब्रज भूषण, उत्कल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यूएन दाश, अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रकाश पदकन्नया और अनेक मनोविज्ञानिकों ने भारतीय आबादी के लिए अपनी तरह का पहला परीक्षण किया है. यह टीम के लगभग तीन वर्षों के कड़े मेहनत का फल है.
इसमें दो प्रमुख भाग शामिल हैं- सूचना एकीकरण और कार्यकारी कार्य और योजना. बीबीआईटी द्वारा मूल्यांकन की गई प्रमुख क्षमताओं में संज्ञानात्मक लचीलापन, अवरोध नियंत्रण, कार्यशील स्मृति, प्रवाह, योजना और जटिल समस्या समाधान, विन्यास और क्रमिक प्रसंस्करण शामिल हैं. बीबीआईटी पांच वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों के लिए भारतीय मानदंडों के साथ उपलब्ध है. इसका उपयोग प्रमुख बुद्धि या संज्ञानात्मक कार्यों के आकलन के लिए किया जा सकता है क्योंकि यह पारंपरिक इंटेलिजेंस (IQ) टेस्ट को पुनर्निर्धारित करता है. इसकी मार्केटिंग हैदराबाद स्थित कंपनी बीबीआईटी इंडिया (http://bbitindia.com/)कर रही है.
मस्तिष्क आधारित दृष्टिकोण जीव विज्ञान और संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का एकीकरण है. बीबीआईटी मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीयकृत संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क तंत्र के सिद्धांतों और प्रणालियों पर आधारित है.
बुद्धि/संज्ञानात्मक क्षमताओं के परीक्षणों के पारंपरिक उपयोग के अलावा, बीबीआईटी स्कूल की उपलब्धि और करियर योजना की भविष्यवाणी करने, STEM या मानविकी में सापेक्ष शक्ति और कमजोरी जैसे बौद्धिक शक्ति का आकलन करने के लिए जबरदस्त उपयोगी साबित होगा. यह लर्निंग डिसेबिलिटी, इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी, न्यूरोलॉजिकल इम्पेयरमेंट आदि से प्रभावित लोगों की बौद्धिक रूपरेखा तैयार करने के लिए भी उपयोगी होगा.
यह आईआईटी कानपुर द्वारा देश के लिए एक और समाजोपयोगी योगदान है. आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने इसके लिए पूरी टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आईआईटी कानपुर स्वदेशी समाधान विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है.