कानपुर: आईआईटी कानपुर के शोध पूरी दुनिया में अपना डंका बजा चुके हैं. वहीं एक बार फिर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने एक ऐसा हेलीकॉप्टर बनाया है, जिसका न सिर्फ वजन कम है बल्कि यह सेना भी इसका इस्तेमाल कर सकती है. यह हेलीकॉप्टर दुश्मनों पर नजर रखेगा. इतना ही नहीं आपात स्थितियों में राहत सामग्री पहुंचाने और उसकी स्थिति को देखने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा. आईआईटी कानपुर की इनक्यूबेटेड कंपनी एन्ड्योर एयर ने यह आधुनिक हेलीकॉप्टर बनाया है. इसका वजन महज सात किलोग्राम है, जिससे इसको कहीं ले जाने में कोई परेशानी नहीं होती है.
जाने क्या है खासियत
यह लाइटवेट हेलीकॉप्टर बड़े हेलीकॉप्टर की तरह ही भरता है और उतरता है. इसमें इधन के तौर पर पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाता है. आईआईटी कानपुर के शोधकर्ता इसको अभी बैटरी से संचालित करने को लेकर काम कर रहे है. विभ्रम हेलीकॉप्टर एक साथ 5 किलो तक की भारी वस्तु को उठा सकता है और एक बार ईधन टैंक फुल होने पर यह 50 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता सकता है. यह विभ्रम का एडवांस वर्जन है. इसके पहले भी आईआईटी कानपुर एक विभ्रम बना चुका है जो सेना द्वारा काफी पसंद भी किया गया था, यह उसका एडवांस वर्जन है. इसमें वजन कम किया गया है साथ ही इसकी मारक क्षमता को बढ़ाया गया है. आधुनिक विभ्रम कम वजन होने के बावजूद अधिक कार्य क्षमता वाला है. इसकी रफ्तार करीब 120 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 11 हजार 500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. यह खूबी विभ्रम को और भी शक्तिशाली बनाती है.
जानिए दुश्मनों को कैसे देगा चकमा
प्रो. अभिषेक ने बताया कि आईआईटी कानपुर में बना विभ्रम न केवल दुश्मनों का पता लगाएगा बल्कि दुश्मनों के रडार में भी नहीं आएगा. यह चकमा देने में माहिर है. इसको बनाने में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे वह राडार या सर्विलांस की पकड़ में नहीं आएगा. हैलीकॉप्टर विभ्रम सेना के साथ-साथ देश में आपातकाल की स्थिति में राहत सामग्री पहुंचाने और वहां की यथास्थिति जानने में भी काफी मददगार साबित होगा. जिन स्थानों पर लोगों का पहुंचना मुश्किल होता है ऐसे स्थानों पर भी इसके जरिए राहत सामग्री पहुंचाई जा सकेगी.
सियाचिन में आएगा सेना के काम
विभ्रम की यह खासियत इसको सबसे अलग बनाती है वह यह है कि यह -20 डिग्री से लेकर 50 डिग्री तक के तापमान में भी काम करेगा. ऐसे में सियाचिन में सेना के लिए यह काफी मददगार साबित होगा. विभ्रम में सेना को ध्यान में रखते हुए कई विशेष कैमरे लगाए गए हैं. इसके साथ ही इसमें कई प्रकार के सेंसर भी लगाए गए हैं. कैमरे और सेंसर दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं विभ्रम डाटा ट्रांसफर के भी काम आएगा 15 किलोमीटर की दूरी से भी यह वीडियो डाटा आसानी से भेजा सकता है. इसमें क्लाउड मॉनिटरिंग के लिए भी सेंसर लगे हैं. एक बार प्रोग्रामिंग होने के बाद यह हेलीकॉप्टर उड़ता रहेगा.