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गो आधारित प्राकृतिक खेती; 'पुण्य के साथ-साथ गोवंश संरक्षण को भी देती है बढ़ावा' - LUCKNOW NEWS

गो सेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बहुमूल्य विदेशी मूद्रा की बचत करती है.

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फाइल फोटो (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 15 hours ago

लखनऊ : हाल ही में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो आधारित प्राकृतिक खेती की पैरवी करते हुए कहा था, इस तरह की खेती से प्रति एकड़ किसान 10 से 12 हजार रुपये बचा सकते हैं. गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता के मुताबिक, अगर प्रदेश के अधिकांश किसान प्राकृतिक खेती करने लगें तो कितने करोड़ की बचत होगी, खुद ही अनुमान लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे पुण्य के साथ-साथ प्राकृतिक खेती न केवल गोवंश संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि इससे उर्वरकों के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा भी बचत होगी.

उल्लेखनीय है खेतीबाड़ी का प्रमुख निवेश बीज और खाद है. उत्तर प्रदेश अपनी जरूरत का करीब आधा बीज ही पैदा कर पाता है. बाकी अन्य राज्यों, खासकर दक्षिण भारत के प्रदेशों से आता है. इस पर सरकार अच्छा खासा रकम खर्च करती है. रही उर्वरकों की बात तो भारत उर्वरकों के निर्यात पर भारी भरकम विदेशी मुद्रा खर्च करता है. केंद्र से मिले आंकड़ों के अनुसार, अब भी सर्वाधिक मांग वाली करीब 15 से 20% यूरिया की आपूर्ति आयात से होती है. फास्फेटिक उर्वरकों और पोटाश के लिए भी हम आयात पर ही निर्भर हैं. भारत कृषि प्रधान देश है, लिहाजा यहां मांग देखकर निर्यातक देश रेट भी बढ़ा देते. आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-2024 में भारत ने 2127 करोड़ रुपये का यूरिया आयात किया था. बाकी आयात किए जाने वाले उर्वरक अलग से.


उन्होंने कहा कि प्रदेश के और देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचाने का एक प्रमुख और प्रभावी जरिया गो आधारित प्राकृतिक खेती हो सकता है. परंपरा के नाते उत्तर प्रदेश में इसकी भरपूर संभावना भी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों की संख्या 2.78 करोड़ और गोवंश की संख्या करीब दो करोड़ है. अगर हर किसान एक गाय पाले तो कई समस्याएं खुद हल हो जाएं. प्राकृतिक खेती के एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक गाय के गोबर और गोमूत्र को प्रसंस्कृत कर करीब चार एकड़ रकबे में खेती की जा सकती है.

गो आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास : उन्होंने कहा कि योगी सरकार की मंशा है कि हर गो आश्रय खुद में आत्मनिर्भर बनें. इसके लिए सरकार इन आश्रयों को गो आधारित प्राकृतिक खेती और अन्य उत्पादों के ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शुरू से मानना रहा है कि तरक्की के लिए हमें समय के साथ कदमताल करना होगा. इस विधा की खेती करने वाले परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें, इसके लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए सरकार विश्वविद्यालय भी खोलने जा रही है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती करें, इसके लिए सरकार इस बाबत चुने गए किसानों को तीन साल आर्थिक सहयोग भी देती है. इसमें पहले दूसरे और तीसरे साल 4800, 4000, 3600 रुपये दिए जाते हैं.

यह भी पढ़ें : सीएम योगी बोले, प्राकृतिक खेती करने वालों को अलग बाजार दिया जाएगा - प्राकृतिक खेती कार्यशाला का आयोजन

यह भी पढ़ें : गो सेवा आयोग के अध्यक्ष बोले- हर किसान एक गाय को गोद ले, तो यूपी में हो जाएगा गोवंशों की समस्या का समाधान - GAU SEVA AYOG CHAIRMAN

लखनऊ : हाल ही में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गो आधारित प्राकृतिक खेती की पैरवी करते हुए कहा था, इस तरह की खेती से प्रति एकड़ किसान 10 से 12 हजार रुपये बचा सकते हैं. गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता के मुताबिक, अगर प्रदेश के अधिकांश किसान प्राकृतिक खेती करने लगें तो कितने करोड़ की बचत होगी, खुद ही अनुमान लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इससे पुण्य के साथ-साथ प्राकृतिक खेती न केवल गोवंश संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि इससे उर्वरकों के आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा भी बचत होगी.

उल्लेखनीय है खेतीबाड़ी का प्रमुख निवेश बीज और खाद है. उत्तर प्रदेश अपनी जरूरत का करीब आधा बीज ही पैदा कर पाता है. बाकी अन्य राज्यों, खासकर दक्षिण भारत के प्रदेशों से आता है. इस पर सरकार अच्छा खासा रकम खर्च करती है. रही उर्वरकों की बात तो भारत उर्वरकों के निर्यात पर भारी भरकम विदेशी मुद्रा खर्च करता है. केंद्र से मिले आंकड़ों के अनुसार, अब भी सर्वाधिक मांग वाली करीब 15 से 20% यूरिया की आपूर्ति आयात से होती है. फास्फेटिक उर्वरकों और पोटाश के लिए भी हम आयात पर ही निर्भर हैं. भारत कृषि प्रधान देश है, लिहाजा यहां मांग देखकर निर्यातक देश रेट भी बढ़ा देते. आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-2024 में भारत ने 2127 करोड़ रुपये का यूरिया आयात किया था. बाकी आयात किए जाने वाले उर्वरक अलग से.


उन्होंने कहा कि प्रदेश के और देश के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचाने का एक प्रमुख और प्रभावी जरिया गो आधारित प्राकृतिक खेती हो सकता है. परंपरा के नाते उत्तर प्रदेश में इसकी भरपूर संभावना भी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों की संख्या 2.78 करोड़ और गोवंश की संख्या करीब दो करोड़ है. अगर हर किसान एक गाय पाले तो कई समस्याएं खुद हल हो जाएं. प्राकृतिक खेती के एक्सपर्ट्स के अनुसार, एक गाय के गोबर और गोमूत्र को प्रसंस्कृत कर करीब चार एकड़ रकबे में खेती की जा सकती है.

गो आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास : उन्होंने कहा कि योगी सरकार की मंशा है कि हर गो आश्रय खुद में आत्मनिर्भर बनें. इसके लिए सरकार इन आश्रयों को गो आधारित प्राकृतिक खेती और अन्य उत्पादों के ट्रेनिंग सेंटर के रूप में विकसित कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शुरू से मानना रहा है कि तरक्की के लिए हमें समय के साथ कदमताल करना होगा. इस विधा की खेती करने वाले परंपरागत ज्ञान के साथ आधुनिक तकनीक का प्रयोग करें, इसके लिए प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए सरकार विश्वविद्यालय भी खोलने जा रही है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती करें, इसके लिए सरकार इस बाबत चुने गए किसानों को तीन साल आर्थिक सहयोग भी देती है. इसमें पहले दूसरे और तीसरे साल 4800, 4000, 3600 रुपये दिए जाते हैं.

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