कानपुर: पूरे देश में होली का माहौल बन चुका है. ऐसे में कानपुर में भी होली की तैयारियां पूरी हो गईं हैं. आपकों बता दें कि कानपुर में होली सात से आठ दिन खेली जाती है. गंगा मेला वाले दिन होली का समापन होता है. अंग्रेजों के दौर से शुरू गंगा मेला की परंपरा आज भी निभाई जा रही है. इसका इतिहास बेहद ही रोचक है. चलिए जानते हैं इस बारे में.
हटिया होली मेला कमेटी के संयोजक ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया कि सन् 1942 का दौर था. हटिया स्थित रज्जन बाबू पार्क में कुछ नवयुवक परेवा वाले दिन होली की तैयारी कर रहे. जैसे ही उन्होंने रंग खेलना शुरू किया, वैसे ही मैदान को चारों ओर से अंग्रेजों की फौज ने घेर लिया. उसके बाद मौके से 47 नवयुवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. फिर क्या था, कानपुर में यह बात आग की तरह फैल गई. पूरे शहर में इसका विरोध शुरू हो गया. विरोध के चलते लोगों ने लगातार सुबह से लेकर शाम तक रंग खेलना जारी रखा. सात दिन बाद ब्रितानिया हुकूमत को जब इसका पता चला तो उन्होंने जेल में बंद नवयुवकों को रिहा करने का आदेश दिया.
जैसे ही नवयुवक रिहा हुए तो फिर से कानपुर के लोगों ने खुशी में भैंसा ठेला तैयार कर होली खेली. उस दिन अनुराधा नक्षत्र में भैंसा ठेला हटिया से निकलकर सरसैय्या घाट तक गया. वहां पर गंगा मेला लगा. लोगों ने होली खेलने के बाद एक दूसरे को बधाई दी. तभी से यह परंपरा लगातार चली आ रही है. कानपुर में होली का पर्व सात से आठ दिन तक मनाया जाता है. अनुराधा नक्षत्र में गंगा मेला के बाद होली का समापन होता है. उन्होंने बताया कि इस बार 13 मार्च को गंगा मेला पड़ रहा है. उसी दिन अनुराधा नक्षत्र भी है.
विश्नोई ने बताया कि गंगा मेला वाले दिन हटिया के रज्जन बाबू पार्क से भैंसा ठेला निकलेगा. यह शहर के कई इलाकों से होता हुआ वापस पार्क आएगा. इस दौरान कई नेता और अफसर भी मौजूद रहेंगे. वहीं, गंगा मेला के मद्देनजर डीएम विशाख जी ने सभी अधीनस्थ अफसरों के निर्देश दिए हैं कि पूरे रास्ते भर की दिक्कतों को दूर कर दिया जाए. हटिया होली मेला कमेटी के पदाधिकारियों ने बताया कि हमेशा की तरह इस बार रंग ठेला सुबह तय समय पर निकलेगा. इसमें बड़ी संख्या में शहरी भाग लेंगे.