कानपुर : एक करोड़ 40 लाख रुपये की बरामदगी की कहानी छन-छन कर रेलवे विभाग से निकल रही है. अभी तक जीआरपी इस तथ्य को छिपा रही थी कि 16 फरवरी की रात बैग स्टेशन से बाहर गेस्ट हाउस ले जाया गया था जबकि जीआरपी ने 16 फरवरी को ही गेस्ट हाउस में रुकने वालों की डिटेल भी ली थी. वहां का रजिस्टर भी जब्त किया था.
बताया जाता है कि पहले स्टेशन के डिप्टी एसएस ऑफिस के कर्मचारी ने बाहर बैग ले जाने से मना किया था लेकिन कंट्रोल रूम के इंटरकॉम पर कॉल आई थी कि साहब का बैग है. गेस्ट हाउस लेकर आओ. इस पर कर्मचारी वहां गया लेकिन केयरटेकर नहीं मिला तो कर्मचारी बैग लेकर स्टेशन वापस आ गया. इस मामले में जीआरपी इंस्पेक्टर राममोहन राय ने बताया कि शंका होने पर गेस्ट हाउस गए थे. वहां रुकने वालों का रिकार्ड खंगाला गया. लेकिन इस संबंध में कोई सुराग नहीं मिला. वहीं, अभी तक जीआरपी इंस्पेक्टर राम मोहन राय इस बात को दबाए हुए थे.
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जांच क्यों है धीमी
बता दें कि ट्रेन में मिले 1 करोड़ 40 लाख रुपये मामले में जीआरपी की जांच बहुत सुस्त चल रही है. जीआरपी अब आयकर विभाग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. आयकर अधिकारियों से हर दिन का अपडेट भी लिया जा रहा है. हालांकि माना यह भी जा रहा है कि इस पूरे मामले में रेलवे के एक बड़े अधिकारी शामिल हैं. इसीलिए जीआरपी और आरपीएफ की जांच ठंडी पड़ी हुई है.