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कानपुर जू में अच्छे स्वभाव वाले तेंदुओं में दोस्ती, खूंखार तेंदुए हुए तन्हा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 11:52 AM IST

कानपुर जू में पिछले छह माह के तेंदुओं की कुल संख्या 20 पहुंच गई है. ऐसे में प्रशासनिक अफसरों ने सभी को एक जू में रखने के लिए अनूठा तरीका अपनाया है.

कानपुर चिड़ियाघर में तेंदुए
कानपुर चिड़ियाघर में तेंदुए
कानपुर जू के निदेशक केके सिंह.

कानपुर: कुछ माह पहले अमेठी निवासी आरिफ और एक सारस की दोस्ती ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थी. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वन्यजीव दोस्ती नहीं करते. इसकी बानगी इस समय कानपुर जू में देखी जा सकती है, जहां प्रशासनिक अफसरों ने तेंदुओं की आपस में दोस्ती करा दी है. अब इस अनूठी कवायद की चर्चा भी जोरो पर है.

दरअसल, पिछले कुछ माह से सूबे के पश्चिम क्षेत्र के कई शहरों से लगातार तेंदुओं को रेस्क्यू किया जा रहा थे. एक-एक करके कई तेंदुओं को कानपुर जू भेज दिया गया. ऐसे में प्रशासनिक अफसरों के सामने इन्हें रखने का संकट आ गया. चिड़ियाघर के 40 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब वहां 20 तेंदुए एक साथ मौजूद हो. ऐसे में अफसरों को जब उन्हें एक साथ रखने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने अच्छे और शांत स्वभाव वाले तेंदुओं की आपस में दोस्ती करा दी. इससे एक बाड़े में 4 तेंदुओं को एक साथ रखा गया. कुछ दिनों में ही ये तेंदुए शांतिपूर्वक रहने लगे. वहीं, जो खूंखार स्वभाव वाले तेदुएं है, उन्हें अब तन्हा कर दिया गया है. ताकि वो वह किसी दूसरे वन्यजीव पर अटैक न करें.

पूरे देश में मिल रही सराहना: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि इतने अधिक संख्या में तेंदुए सूबे के किसी जू में नहीं हैं. अब, वन्यजीव हैं और शासन का आदेश था तो सभी को साथ रखना ही था. इसलिए पहले सभी के स्वभाव और व्यवहार का परीक्षण किया गया. शांत स्वभाव व कम उम्र वाले तेंदुओं को अलग बाड़ों में रखा गया और सबसे खास बात यह है कि मादा तेंदुआ सबसे अलग हैं, जिससे इनका प्रजनन न हो सके और इनकी संख्या न बढे़. तेंदुओं के इस तरह के बेहतर प्रबंधन को देखते हुए अन्य जू के अधिकारियों ने इसे सराहा है. प्रशासनिक अफसरों का कहना है, कि हम किसी वन्यजीव का नुकसान नहीं चाहते हैं. लेकिन, किसी वन्यजीव की संख्या अधिक होगी तो प्रबंधन को लेकर चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं.

ये भी पढ़ेंः कानपुर जू में गौर ने जन्मा बछड़ा, अफसर बोले- सूबे में पहली किलकारी गूंजी

ये भी पढ़ेंः कानपुर में पर्यटकों के लिए बनेगा हेरिटेज ट्री पर्यटन केंद्र, 100 साल की उम्र पार कर चुके 9 पेड़ चयनित

कानपुर जू के निदेशक केके सिंह.

कानपुर: कुछ माह पहले अमेठी निवासी आरिफ और एक सारस की दोस्ती ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थी. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वन्यजीव दोस्ती नहीं करते. इसकी बानगी इस समय कानपुर जू में देखी जा सकती है, जहां प्रशासनिक अफसरों ने तेंदुओं की आपस में दोस्ती करा दी है. अब इस अनूठी कवायद की चर्चा भी जोरो पर है.

दरअसल, पिछले कुछ माह से सूबे के पश्चिम क्षेत्र के कई शहरों से लगातार तेंदुओं को रेस्क्यू किया जा रहा थे. एक-एक करके कई तेंदुओं को कानपुर जू भेज दिया गया. ऐसे में प्रशासनिक अफसरों के सामने इन्हें रखने का संकट आ गया. चिड़ियाघर के 40 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब वहां 20 तेंदुए एक साथ मौजूद हो. ऐसे में अफसरों को जब उन्हें एक साथ रखने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने अच्छे और शांत स्वभाव वाले तेंदुओं की आपस में दोस्ती करा दी. इससे एक बाड़े में 4 तेंदुओं को एक साथ रखा गया. कुछ दिनों में ही ये तेंदुए शांतिपूर्वक रहने लगे. वहीं, जो खूंखार स्वभाव वाले तेदुएं है, उन्हें अब तन्हा कर दिया गया है. ताकि वो वह किसी दूसरे वन्यजीव पर अटैक न करें.

पूरे देश में मिल रही सराहना: जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि इतने अधिक संख्या में तेंदुए सूबे के किसी जू में नहीं हैं. अब, वन्यजीव हैं और शासन का आदेश था तो सभी को साथ रखना ही था. इसलिए पहले सभी के स्वभाव और व्यवहार का परीक्षण किया गया. शांत स्वभाव व कम उम्र वाले तेंदुओं को अलग बाड़ों में रखा गया और सबसे खास बात यह है कि मादा तेंदुआ सबसे अलग हैं, जिससे इनका प्रजनन न हो सके और इनकी संख्या न बढे़. तेंदुओं के इस तरह के बेहतर प्रबंधन को देखते हुए अन्य जू के अधिकारियों ने इसे सराहा है. प्रशासनिक अफसरों का कहना है, कि हम किसी वन्यजीव का नुकसान नहीं चाहते हैं. लेकिन, किसी वन्यजीव की संख्या अधिक होगी तो प्रबंधन को लेकर चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं.

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