कानपुर: वन्यजीव प्रेमियों के लिए कानपुर जू से लगातार अच्छी खबरें आ रही थी. लेकिन, शुक्रवार को एक बेहद मायूस करने वाली खबर आई है. कुछ दिनों पहले ही जू में तीसरे शावक को जन्म देने वाली मादा गैंडा मानू ने अचानक ही दम तोड़ दिया. जू के अफसरों का कहना है कि गुरुवार से ही मानू की तबियत बिगड़ गई थी और वह सुस्त हो गई थी. वहीं, चिकित्सक का दावा है कि मानू का समय से पर्याप्त इलाज किया गया था.
लेकिन वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि जू के अफसरों और डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मानू की मौत हुई. वन्यजीव प्रेमी यह भी कह रहे हैं कि अगर जू के अस्पताल में सारे इंतजाम थे तो मानू को क्यों नहीं बचाया जा सका. वहीं, 16 अक्टूबर को जब मानू ने तीसरे शावक को आठ सालों बाद जन्म दिया था, तब चिकित्सकों व अफसरों ने उसे पूरी तरह से स्वस्थ बताया था. ठीक 11 दिन बाद ही अचानक ऐसा क्या हुआ, जो मादा गैंडा ने अपने बाड़े में आखिरी सांस ली.
जू के निदेशक केके सिंह ने मादा गैंडा मानू की मौत की पुष्टि की है.
अब शावक का क्या होगा: कानपुर के चिड़ियाघर में अब प्रशासनिक अफसर से लेकर कीपर इस बात से बेहद परेशान हैं कि मानू ने जिस शावक को जन्म दिया था, अब उसका क्या होगा? दरअसल मानू ने कई सालों पहले कृष्णा व पवन को जन्म दिया था. वह तो जू में पूरी तरह से स्वस्थ हैं. लेकिन, चिकित्सकों व अफसरों का कहना था कि शावक के जन्म के एक माह तक मां का साथ होना बहुत जरूरी है. पर, अचानक ही शुक्रवार को मानू अपने नन्हें शावक को अकेला कर दुनिया से विदा हो गई. मानू की मौत के बाद से जू में सन्नाटा पसरा हुआ है.
कानपुर जू में ही दफनाया जाएगा: चिड़ियाघर के निदेशक केके सिंह ने बताया मादा गैंडा मानू को जू में ही दफनाया जाएगा. वन विभाग के नियमों के मुताबिक हाथी व गैंडा को दफनाने के लिए 12 फुट का गड्ढा खोदा जाता है. उन्होंने बताया कि शनिवार को मानू को दफन किया जाएगा. इस मौके पर लखनऊ जू के डॉक्टरों व मथुरा से वेटनरी एक्सपर्ट बुलाए गए हैं. जबकि आईवीआरआई के विशेषज्ञ ऑनलाइन जुड़ेंगे.
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