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कोरोना प्रोटोकॉल का होगा पालन तब ही मां कुष्मांडा देंगी दर्शन - kanpur devi temple

कानपुर जिले के घाटमपुर में माता के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है. कुष्मांडा मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए पूरी तरह से तत्पर है. मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजर की व्यवस्था परिसर में की गई है.

भक्तों को करना होगा कोरोना गाइडलाइन का पालन
भक्तों को करना होगा कोरोना गाइडलाइन का पालन
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Published : Oct 21, 2020, 6:40 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 7:07 PM IST

कानपुर: नवरात्र के अवसर पर सभी मंदिरों को भक्तों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन इस दौरान सभी भक्तों को अनिवार्य रूप से कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा. प्रशासन ने भी कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए कमर कस ली है. भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने मंदिर परिसर में दर्शन करने आये भक्तों के सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजर की व्यवस्था मंदिर परिसर में कर रखी है.

भक्तों को करना होगा कोरोना गाइडलाइन का पालन.

कुष्मांडा देवी का होता है पूजन
जिले के घाटमपुर में माता के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजन किया जाता है. यहां बने माता के चौथे स्वरूप का दर्शन करने के लिए लाखों की तादाद में भक्तों का तांता लगा रहता है. मां के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और मां कुष्मांडा देवी से अपनी मनोकामना मानते हैं. भक्तों का मानना है कि माता कुष्मांडा अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरी करती हैं.

शारीरिक कष्टों से मिलती है मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में बने हुए तालाब में स्नान करने के बाद जो भी भक्त माता के दर्शन करने जाता है. मां कुष्मांडा उसके सभी शारीरिक कष्टों को दूर करती हैं. साथ ही साथ जिन लोगों के आंखों में किसी भी प्रकार की कोई समस्या है, माता कुष्मांडा की मूर्ति से निकले नीर मात्र लगाने से कई भक्तों की आंख की रोशनी की समस्या का निवारण हो जाता है. यहां भक्त माता कुष्मांडा के दर्शन करके अपनी मनोकामना मानते हैं और मनोकामना पूरी होने पर माता कुष्मांडा को कुम्हड़ा चढ़ाते हैं. माना जाता है कि मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा बहुत ही प्रिय है.

सोशल डिस्टेंसिंग का कराया जा रहा पालन
नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी उमेश मिश्रा ने बताया कि मंदिर परिसर में बैरिकेडिंग लगवाकर सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एक मीटर की दूरी पर गोले बनवा दिए गए हैं. जहां एक बार में 5 लोग ही दर्शन करने जा सकेंगे. साथ ही मंदिर परिसर में पुलिस प्रशासन द्वारा भक्तों को निर्देशित किया जा रहा है. मंदिर परिसर के बाहर पानी की टंकी और साबुन और सैनेटाइजर की व्यवस्था नगर पालिका द्वारा की गई है. मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों को मास्क का उपयोग करना जरूरी होगा.

दर्शन करने आये भक्तों ने बताया कि जहां पहले नवरात्र में हजारों-लाखों भक्तों का तांता लगा रहता था. वहीं कोविड 19 के चलते इस बार नवरात्रों में मंदिर परिसर में भक्तों की चहल कदमी कम देखने को मिल रही है. दर्शन करने आई मंदिर में महिलाओं ने कहा कि हम सभी को कोविड 19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए माता के चौथे स्वरूप के दर्शन करने हैं. दुकानदारों का कहना है कि कोविड 19 के कारण इस बार नवरात्रों में भक्तों की चहल कदमी कम के होने के कारण दुकानदारी में बहुत फर्क पड़ा है.

कानपुर: नवरात्र के अवसर पर सभी मंदिरों को भक्तों के लिए खोल दिया गया है, लेकिन इस दौरान सभी भक्तों को अनिवार्य रूप से कोरोना गाइडलाइन का पालन करना होगा. प्रशासन ने भी कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए कमर कस ली है. भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने मंदिर परिसर में दर्शन करने आये भक्तों के सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजर की व्यवस्था मंदिर परिसर में कर रखी है.

भक्तों को करना होगा कोरोना गाइडलाइन का पालन.

कुष्मांडा देवी का होता है पूजन
जिले के घाटमपुर में माता के चौथे स्वरूप कुष्मांडा देवी की पूजन किया जाता है. यहां बने माता के चौथे स्वरूप का दर्शन करने के लिए लाखों की तादाद में भक्तों का तांता लगा रहता है. मां के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं और मां कुष्मांडा देवी से अपनी मनोकामना मानते हैं. भक्तों का मानना है कि माता कुष्मांडा अपने सभी भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरी करती हैं.

शारीरिक कष्टों से मिलती है मुक्ति
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में बने हुए तालाब में स्नान करने के बाद जो भी भक्त माता के दर्शन करने जाता है. मां कुष्मांडा उसके सभी शारीरिक कष्टों को दूर करती हैं. साथ ही साथ जिन लोगों के आंखों में किसी भी प्रकार की कोई समस्या है, माता कुष्मांडा की मूर्ति से निकले नीर मात्र लगाने से कई भक्तों की आंख की रोशनी की समस्या का निवारण हो जाता है. यहां भक्त माता कुष्मांडा के दर्शन करके अपनी मनोकामना मानते हैं और मनोकामना पूरी होने पर माता कुष्मांडा को कुम्हड़ा चढ़ाते हैं. माना जाता है कि मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा बहुत ही प्रिय है.

सोशल डिस्टेंसिंग का कराया जा रहा पालन
नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी उमेश मिश्रा ने बताया कि मंदिर परिसर में बैरिकेडिंग लगवाकर सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एक मीटर की दूरी पर गोले बनवा दिए गए हैं. जहां एक बार में 5 लोग ही दर्शन करने जा सकेंगे. साथ ही मंदिर परिसर में पुलिस प्रशासन द्वारा भक्तों को निर्देशित किया जा रहा है. मंदिर परिसर के बाहर पानी की टंकी और साबुन और सैनेटाइजर की व्यवस्था नगर पालिका द्वारा की गई है. मंदिर में दर्शन करने आए भक्तों को मास्क का उपयोग करना जरूरी होगा.

दर्शन करने आये भक्तों ने बताया कि जहां पहले नवरात्र में हजारों-लाखों भक्तों का तांता लगा रहता था. वहीं कोविड 19 के चलते इस बार नवरात्रों में मंदिर परिसर में भक्तों की चहल कदमी कम देखने को मिल रही है. दर्शन करने आई मंदिर में महिलाओं ने कहा कि हम सभी को कोविड 19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए माता के चौथे स्वरूप के दर्शन करने हैं. दुकानदारों का कहना है कि कोविड 19 के कारण इस बार नवरात्रों में भक्तों की चहल कदमी कम के होने के कारण दुकानदारी में बहुत फर्क पड़ा है.

Last Updated : Oct 21, 2020, 7:07 PM IST
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