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कानपुर: नोटबन्दी के तीन साल बाद भी नहीं उबर पाया चमड़ा उद्योग - नहीं उबर पाया कानपुर का चमड़ा उद्योग

8 नवंबर को नोटबंदी के तीन साल पूरे हो गए. नोटबंदी के तीन साल पूरे होने के बाद भी उत्तर प्रदेश के कानपुर के चमड़ा उद्योग उबर नहीं पाया. नोटबंदी ने चमड़ा उद्योग के व्यापार की कमर तोड़ कर रख दी.

नोटबंदी के तीन साल पूरे.
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Published : Nov 9, 2019, 5:10 PM IST

कानपुर: नोटबन्दी के तीन साल बाद भी चमड़ा उद्योग नही उबर पाया. नोटबंदी की मार ने चमड़ा उद्योग की ना सिर्फ कमर तोड़ दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार मंद हो गया. देश में टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं.

नोटबंदी के तीन साल पूरे.

चमड़ा उद्योग पर अब भी है नोटबंदी का असर

  • प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी को आज से 3 साल पूरे हो गए हैं.
  • नोटबंदी की मार से आज भी कानपुर का चमड़ा उद्योग उबर नही पाया है.
  • कानपुर देश मे सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है.
  • कानपुर के चमड़े से बनने वाले जूते, बेल्ट, जेकेट, पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते है.
  • नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे व लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी.
  • नोटबंदी की मार ऐसी पड़ी कि मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहां काम करने वाले लेबरों ने अपने गांव का रुख कर लिया.
  • कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां इस नोटबंदी की मार से बंद हो गयी हैं.

इसे भी पढ़ें - लखनऊ: तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने स्कूटी सवार को मारी टक्कर, मौत

नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं. देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आई है. मजदूरी ना मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गए हैं.
- इफ्तेखार अहमद , टेनरी मालिक

कानपुर: नोटबन्दी के तीन साल बाद भी चमड़ा उद्योग नही उबर पाया. नोटबंदी की मार ने चमड़ा उद्योग की ना सिर्फ कमर तोड़ दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार मंद हो गया. देश में टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं.

नोटबंदी के तीन साल पूरे.

चमड़ा उद्योग पर अब भी है नोटबंदी का असर

  • प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी को आज से 3 साल पूरे हो गए हैं.
  • नोटबंदी की मार से आज भी कानपुर का चमड़ा उद्योग उबर नही पाया है.
  • कानपुर देश मे सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है.
  • कानपुर के चमड़े से बनने वाले जूते, बेल्ट, जेकेट, पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते है.
  • नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे व लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी.
  • नोटबंदी की मार ऐसी पड़ी कि मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहां काम करने वाले लेबरों ने अपने गांव का रुख कर लिया.
  • कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां इस नोटबंदी की मार से बंद हो गयी हैं.

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नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं. देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आई है. मजदूरी ना मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गए हैं.
- इफ्तेखार अहमद , टेनरी मालिक

Intro:कानपुर:-नोटबन्दी के तीन साल बाद भी नही उबर पाया चमड़ा उद्योग नोटबंदी की मार ने चमड़ा उद्योग की ना सिर्फ कमर तोड़ दी है बल्कि अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार की कमर तोड़ दी है।   देश में टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं।


Body:प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी को आज से 3 साल पूरे हो गए है , लेकिन नोटबंदी की मार से आज भी कानपुर का चमड़ा उद्योग उबर नही पाया है । कानपुर जनपद के चमड़ा उद्योग के मालिकों समेत वहां काम करने वाले लेबरों को भी भुखमरी की कगार पर ला के खड़ा कर दिया।कानपुर देश मे सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है । कानपुर के चमड़े से बनने वाले जूते,बेल्ट,जेकेट,पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते है , नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे व लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी लेकिन नोटबंदी की मार ऐसी इन पर ऐसी पड़ी की मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहाँ काम करने वाले लेबरों ने अपने गाँव का रुख कर लिया।कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां इस नोटबंदी की मार से बंद हो गयी है 


Conclusion:पीढ़ियों से चमड़ा उद्योग से जुड़े कटोबारियो के मुताबिक नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं। देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आयी है। 60 प्रतिशत तक गिर चुका है, और मजदूरी ना मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गये हैं। तमाम औद्योगिक संगठन वर्तमान आर्थिक सुस्ती के तमाम कारणों में से एक अहम वजह नोटबंदी को ही मानते हैं। बाइट :- इफ्तेखार अहमद , टेनरी मालिक । रजनीश दीक्षित कानपुर
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