कानपुर: बांग्लादेश की युवती को दिल्ली में बेचने जा रहे आरोपी युवक की जमानत अर्जी बुधवार को अपर जिला सत्र न्यायाधीश डॉ. अभिषेक उपाध्याय ने खारिज कर दी. आरोपी बांग्लादेशी युवक को जीआरपी ने पिछले साल कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था. इस मामले में एक अन्य आरोपित जेल में है. थाना जीआरपी की पुलिस ने अजमेर सियालदाह एक्सप्रेस से आरोपी युवक और उसके साथी को उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब वो एक बांग्लादेश की युवती को जबरन दिल्ली ले जाकर बेचने की फिराक में था.
बांग्लादेश की भाषा और युवती के रोने से हुआ राजफाश
अजमेर सियालदाह एक्सप्रेस ट्रेन में 26 अगस्त 2019 को ट्रेन में दो बांग्लादेशी युवक आपस में बातचीत कर रहे थे तो युवती रो रही थी. ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को कुछ दाल में काला लगा तो उन्होंने जीआरपी को सूचना दे दी थी. ट्रेन जब सेंट्रल स्टेशन पहुंची तो जीआरपी ने तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. तब युवती ने बांग्ला भाषा में अपना नाम यासमीन अख्तर बताया. उसने यह भी बताया कि दोनों युवक उसे बांग्लादेश से लाकर जबरन दिल्ली में बेचने के लिए ले जा रहे हैं. तब जीआरपी पुलिस ने पीड़िता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था. अब्दुल रज्जाक और मोहम्मद अयास नाम के दोनों आरोपी बांग्लादेश के नावटकरी के रहने वाले हैं.
मानव तस्करी में भेजे गए थे जेल
जीआरपी पुलिस ने आरोपी दोनों युवकों पर मानव तस्करी अधिनियम और अप्रवासी भारतीय अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए थे. बुधवार को कानपुर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश डॉ. अभिषेक उपाध्याय ने एक आरोपी की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया. सरकारी अधिवक्ता जितेंद्र कुमार के मुताबिक जीआरपी ने दोनों मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है.
आरोपी का चचेरा भाई कर रहा पैरवी
जमाानत अर्जी के पक्ष में बालापुर हैदराबाद निवासी युवक मोहम्मद रफीक ने शपथपत्र दिया है. सरकारी अधिवक्ता के अनुसार रफीक खुद को अयास का चचेरा भाई बता रहा है.
बांग्लादेश की युवती को बेचने जा रहे आरोपी युवक की जमानत अर्जी खारिज - अप्रवासी भारतीय अधिनियम
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने बांग्लादेश की युवती को बेचने जा रहे आरोपी युवक की जमानत अर्जी खारिज कर दी. आरोपी बांग्लादेश के नावटकरी का रहने वाला है. इस पर मानव तस्करी अधिनियम और अप्रवासी भारतीय अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए गए हैं.
कानपुर: बांग्लादेश की युवती को दिल्ली में बेचने जा रहे आरोपी युवक की जमानत अर्जी बुधवार को अपर जिला सत्र न्यायाधीश डॉ. अभिषेक उपाध्याय ने खारिज कर दी. आरोपी बांग्लादेशी युवक को जीआरपी ने पिछले साल कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था. इस मामले में एक अन्य आरोपित जेल में है. थाना जीआरपी की पुलिस ने अजमेर सियालदाह एक्सप्रेस से आरोपी युवक और उसके साथी को उस वक्त गिरफ्तार किया था, जब वो एक बांग्लादेश की युवती को जबरन दिल्ली ले जाकर बेचने की फिराक में था.
बांग्लादेश की भाषा और युवती के रोने से हुआ राजफाश
अजमेर सियालदाह एक्सप्रेस ट्रेन में 26 अगस्त 2019 को ट्रेन में दो बांग्लादेशी युवक आपस में बातचीत कर रहे थे तो युवती रो रही थी. ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को कुछ दाल में काला लगा तो उन्होंने जीआरपी को सूचना दे दी थी. ट्रेन जब सेंट्रल स्टेशन पहुंची तो जीआरपी ने तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. तब युवती ने बांग्ला भाषा में अपना नाम यासमीन अख्तर बताया. उसने यह भी बताया कि दोनों युवक उसे बांग्लादेश से लाकर जबरन दिल्ली में बेचने के लिए ले जा रहे हैं. तब जीआरपी पुलिस ने पीड़िता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था. अब्दुल रज्जाक और मोहम्मद अयास नाम के दोनों आरोपी बांग्लादेश के नावटकरी के रहने वाले हैं.
मानव तस्करी में भेजे गए थे जेल
जीआरपी पुलिस ने आरोपी दोनों युवकों पर मानव तस्करी अधिनियम और अप्रवासी भारतीय अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए थे. बुधवार को कानपुर के अपर जिला सत्र न्यायाधीश डॉ. अभिषेक उपाध्याय ने एक आरोपी की जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया. सरकारी अधिवक्ता जितेंद्र कुमार के मुताबिक जीआरपी ने दोनों मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है.
आरोपी का चचेरा भाई कर रहा पैरवी
जमाानत अर्जी के पक्ष में बालापुर हैदराबाद निवासी युवक मोहम्मद रफीक ने शपथपत्र दिया है. सरकारी अधिवक्ता के अनुसार रफीक खुद को अयास का चचेरा भाई बता रहा है.