कानपुर: जब घरों में बिल्ली की म्याऊं-म्याऊं गूंजती है तो घर के लोग फौरन डंडा या कोई पाइप जैसी वस्तु लेकर उसे भगाने में जुट जाते हैं. तमाम लोग तो यह भी कहते हैं, कि अगर बिल्ली रास्ता काट जाए तो यह अपशगुन होता है. लेकिन, दूसरी तरफ कई जीव प्रेमी हैं जो बिल्ली को अपने घर के सदस्य के तौर पर रखते हैं और उसकी देखभाल करते हैं. अब नगर निगम सर्वे के माध्यम से कानपुर में ऐसे लोगों को चिन्हित करेगा.
हर बिल्ली पालने वाले शख्स को नगर निगम में आकर उसका पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. बिल्ली पालने की रजिस्ट्रेशन फीस नगर निगम में फिलहाल 300 रुपये रखी गई है. नगर निगम अफसरों की ओर से इस अनूठी कवायद को लेकर काम शुरू हो गया है. दरअसल, कुछ दिनों पहले नगर निगम में कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. उसी बैठक में इस प्रस्ताव पर सभी सदस्यों ने एक साथ सर्वसम्मति से अपनी मुहर लगा दी.
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कुत्तों के पंजीकरण की प्रक्रिया भी जारी है: कुछ माह पहले ही सूबे के कई शहरों में पिटबुल प्रजाति के कुत्तों द्वारा इंसानों पर हमले के मामले सामने आए थे. इसके बाद नगर निगम ने शहर के सभी कुत्ता पालने वाले लोगों को निर्देश दिए थे, कि इनका पंजीकरण कराया जाए. नगर निगम अफसरों के पास शहर से जो सूची पहुंची थी, उसमें 500 से अधिक देशी-विदेशी नस्ल के कुत्ते सामने आए थे. ऐसे में अब नगर निगम में कुत्तों के पंजीकरण के साथ ही बिल्ली के पंजीकरण का काम भी शुरू हो गया है.
इस मामले में नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन ने जानकारी देते हुए बताया कि, नगर निगम कार्यकारिणी में यह फैसला किया गया है कि, ऐसे शहरवासी जिन्होंने घरों में बिल्ली पाल रखी है उन्हें अब अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. नगर निगम की वेबसाइट पर लोग ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं. इसके लिए अभी 300 रुपये फीस रखी गई है. हम सभी छह जोनों में हर घर का सर्वे भी कराएंगे.
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