कानपुर: कुछ दिनों पहले इंवेस्टर्स समिट का कार्यक्रम महानगर में किया गया था, वो तो ठीक है. उसके लिए शासन ने अनुमति दी थी। लेकिन, क्या सात से 12 फरवरी तक कानपुर देहात महोत्सव को लेकर शासन से अनुमति ली गई थी? यदि अनुमति नहीं थी तो किस आधार पर कार्यक्रम आयोजित कराया गया? कार्यक्रम कराने से पहले शासकीय बैठक अफसरों के साथ की गई? जो इंवेस्टर्स समिट के लिए धनराशि शासन से दी गई, वह किस-किस मद में खर्च की गई? इस तरह के कुल 18 सवालों के जवाब भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन से मांगे हैं.
सांसद ने डीएम को पत्र भेजा है. इसमें बिंदुवार सवालों का जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा गया है. सांसद द्वारा पत्र जारी करने के बाद से कानपुर देहात में इस मामले की चर्चा जोरों पर है. प्रशासनिक स्तर से लेकर राजनीतिक गलियारों में यह मामला सभी की जुबां पर है. दरअसल, कानपुर देहात में जब यह महोत्सव खत्म हुआ था. उसके अगले दिन ही मड़ौली गांव में एक मां-बेटी की जलकर मौत हो गई थी. उस मामले में सीएम ने संज्ञान लेते हुए स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया था. अभी, वो मामला पूरी तरह से ठंडा हुआ नहीं था और अब सांसद के पत्र से कानपुर देहात का माहौल एक बार फिर से गर्मा गया है.
इस पूरे मामले में कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन ने बताया कि भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले का पत्र मिल गया है. उसका परीक्षण कराकर सभी बिंदुओं के जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि यह जिले का ऐतिहासिक महोत्सव रहा है. इसमें चार कैबिनेट स्तर के मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था. लेकिन, निजी व्यस्तता के चलते सांसद नहीं आ पाए. जिले के सभी लोगों ने जनसहयोग व स्वेच्छा से हिस्सा लिया. कई प्रतिष्ठित कलाकरों ने महोत्सव में अपनी परफार्मेंस दी. महोत्सव आयोजन समिति का खाता भी बना था और जो खर्च हुआ वह पारदर्शी ढंग से वहन हुआ है. महोत्सव से पहले 17 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले थे. इनमें से अब तक 800 करोड़ रुपये के निवेश संबंधी इकाइयां स्थापित करने की तैयारियां भी हो गई हैं.
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