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पद्मश्री अशोक कुमार साहू ने मेडिटेशन से लाखों की जिंदगी में लाई खुशहाली

पद्मश्री से सम्मानित अशोक कुमार साहू पिछले 10 सालों से मेडिटेशन करना सीखाते हैं. वे अंतरराष्ट्रीय विपश्यना केंद्र की स्थापना कर लोगों की जिंदगी में खुशियों के रंग भरने का काम करते हैं.

साधना से जिंदगी जीने की कला सिखाने वाले अशोक साहू को मिला पद्मश्री सम्मान
साधना से जिंदगी जीने की कला सिखाने वाले अशोक साहू को मिला पद्मश्री सम्मान
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Published : Jan 28, 2021, 7:55 PM IST

Updated : Jan 28, 2021, 9:10 PM IST

कानपुरः पद्मश्री से सम्मानित अशोक कुमार साहू पिछले 10 सालों से मेडिटेशन के क्षेत्र में लोगों की जिंदगी सवारने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कानपुर के ड्योढ़ी घाट के पास अंतरराष्ट्रीय विपश्यना केंद्र की स्थापना की है. जहां पर देश और विदेश से आकर लोग साधना से सुखद अनुभूति का आनंद लेते हैं.

अशोक साहू को मिला पद्मश्री सम्मान

पद्मश्री सम्मान

पद्मश्री भारतीयों को दिया जाने वाला सम्मान है. जो शख्स जीवन में कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन में विशिष्ट योगदान देता है, उसके इस काम को मान्यता देने के लिए ये दिया जाने वाला सम्मान है. भारत के नागरिक पुरस्कारों में पद्मश्री का चौथा स्थान है. इसके पहले पहला भारत रत्न, दूसरा पद्म विभूषण और तीसरा पद्म भूषण है.

विपश्यना केंद्र में तनाव से मिलती है मुक्ति

भागती-दौड़ती जिंदगी में तनाव के मामले बढ़ रहे है. जिसके चलते ज्यादातर लोग अवसाद से पीड़ित हैं. ऐसे लोगों को ध्यान के माध्यम से अशोक साहू तनाव मुक्त जीवन जीने की राह दिखा रहे हैं. उन्होंने धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र स्थापित किया है. लगातार 10 सालों से लोगों को निशुल्क मेडिटेशन देकर खुशहाल जीवन जीने की कला सीखा रहे हैं.

खुद के माइग्रेन से मिली प्रेरणा

पद्मश्री से नवाजे गए 68 वर्षीय अशोक साहू बताते है कि 15 साल पहले जब उन्हें माइग्रेन की बीमारी ने जकड़ा, तो उन्हें मित्र ने कैम्प में साधना करने की सलाह दी. उसके बाद उन्होंने लखनऊ के विपश्यना केंद्र में साधना की, जिससे न सिर्फ उनकी बीमारी हमेशा के लिए खत्म हो गई, बल्कि उन्होंने तभी से लोगों को अवसाद से मुक्ति दिलाने की ठान भी ली. जिसके बाद उन्होंने शोर शराबे से दूर महाराजपुर के ड्योढ़ी घाट के पास 10 साल पहले विपश्यना केंद्र की स्थापना की.

ऑनलाइन होता है आवेदन

धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र में साधना के लिए आने वाले लोगों को पहले ऑनलाइन आवेदन करना होता है. जिसके बाद उनको तारीख अलॉट की जाती है. यहां पर साधना के दौरान आप को मौन रहना पड़ता है. इस दौरान आप को मोबाइल और टीवी से दूर रह कर सिर्फ अंतर्मन से ध्यान में लीन होना पड़ता है. जिसके लिए बाकायदा साधना करवाने के लिए गुरु भी मौजूद रहते हैं.

राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सराहना

25 फरवरी 2019 को महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खुद इस विपश्यना केंद्र में आकर 100 कमरे वाले ब्लॉक का न सिर्फ उद्धघाटन कर चुके हैं, बल्कि ध्यान के क्षेत्र में काम कर रहे अशोक साहू की सराहना भी कर चुके हैं.

कानपुरः पद्मश्री से सम्मानित अशोक कुमार साहू पिछले 10 सालों से मेडिटेशन के क्षेत्र में लोगों की जिंदगी सवारने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कानपुर के ड्योढ़ी घाट के पास अंतरराष्ट्रीय विपश्यना केंद्र की स्थापना की है. जहां पर देश और विदेश से आकर लोग साधना से सुखद अनुभूति का आनंद लेते हैं.

अशोक साहू को मिला पद्मश्री सम्मान

पद्मश्री सम्मान

पद्मश्री भारतीयों को दिया जाने वाला सम्मान है. जो शख्स जीवन में कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन में विशिष्ट योगदान देता है, उसके इस काम को मान्यता देने के लिए ये दिया जाने वाला सम्मान है. भारत के नागरिक पुरस्कारों में पद्मश्री का चौथा स्थान है. इसके पहले पहला भारत रत्न, दूसरा पद्म विभूषण और तीसरा पद्म भूषण है.

विपश्यना केंद्र में तनाव से मिलती है मुक्ति

भागती-दौड़ती जिंदगी में तनाव के मामले बढ़ रहे है. जिसके चलते ज्यादातर लोग अवसाद से पीड़ित हैं. ऐसे लोगों को ध्यान के माध्यम से अशोक साहू तनाव मुक्त जीवन जीने की राह दिखा रहे हैं. उन्होंने धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र स्थापित किया है. लगातार 10 सालों से लोगों को निशुल्क मेडिटेशन देकर खुशहाल जीवन जीने की कला सीखा रहे हैं.

खुद के माइग्रेन से मिली प्रेरणा

पद्मश्री से नवाजे गए 68 वर्षीय अशोक साहू बताते है कि 15 साल पहले जब उन्हें माइग्रेन की बीमारी ने जकड़ा, तो उन्हें मित्र ने कैम्प में साधना करने की सलाह दी. उसके बाद उन्होंने लखनऊ के विपश्यना केंद्र में साधना की, जिससे न सिर्फ उनकी बीमारी हमेशा के लिए खत्म हो गई, बल्कि उन्होंने तभी से लोगों को अवसाद से मुक्ति दिलाने की ठान भी ली. जिसके बाद उन्होंने शोर शराबे से दूर महाराजपुर के ड्योढ़ी घाट के पास 10 साल पहले विपश्यना केंद्र की स्थापना की.

ऑनलाइन होता है आवेदन

धम्म कल्याण कानपुर अंतरराष्ट्रीय विपश्यना साधना केंद्र में साधना के लिए आने वाले लोगों को पहले ऑनलाइन आवेदन करना होता है. जिसके बाद उनको तारीख अलॉट की जाती है. यहां पर साधना के दौरान आप को मौन रहना पड़ता है. इस दौरान आप को मोबाइल और टीवी से दूर रह कर सिर्फ अंतर्मन से ध्यान में लीन होना पड़ता है. जिसके लिए बाकायदा साधना करवाने के लिए गुरु भी मौजूद रहते हैं.

राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सराहना

25 फरवरी 2019 को महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद खुद इस विपश्यना केंद्र में आकर 100 कमरे वाले ब्लॉक का न सिर्फ उद्धघाटन कर चुके हैं, बल्कि ध्यान के क्षेत्र में काम कर रहे अशोक साहू की सराहना भी कर चुके हैं.

Last Updated : Jan 28, 2021, 9:10 PM IST
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