कानपुर: पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय में दोपहर को उस समय आला अफसर चौंकन्ना हो गए, जब उन्होंने अधिवक्ताओं की नारेबाजी सुनीं. फौरन ही पुलिस आयुक्त डॉ. आरके स्वर्णकार अपने कार्यालय से बाहर आए तो अधिवक्ता और अधिक तेज आवाज के साथ नारेबाजी करने लगे. इसके बाद जब सीपी ने अधिवक्ताओं को बात करने के लिए बुलाया.
लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र शर्मा ने सीपी को बताया कि एडीसीपी अपराध के कार्यालय के बाहर शनिवार को एक नोटिस चस्पा दिखी. जिसमें साफ-साफ लिखा था कि अधिवक्ताओं का प्रवेश वर्जित है. ऐसे कैसे अधिवक्ताओं का प्रवेश बंद किया जा सकता है? अधिवक्ताओं ने पुलिस आयुक्त से कहा कि अधिवक्ता हमेशा न्याय की बात करते हैं. अगर किसी पीड़ित के पक्ष में अधिवक्ता को कार्यालय पहुंचना होगा तो वह जाएगा. पुलिस आयुक्त डॉ. आरके स्वर्णकार ने अधिवक्ताओं की बात को सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि जल्द ही नोटिस को हटा दिया जाएगा.
कुछ देर में ही सीपी कार्यालय बना छावनी: पुलिस आयुक्त के पास अपना पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता अच्छी संख्या में शनिवार को सीपी आफिस पहुंचे थे. दरअसल सीपी ऑफिस और कानपुर कोर्ट के भवन आमने-सामने ही हैं. ऐसे में जब पुलिस कर्मियों ने अधिवक्ताओं की संख्या को देखा, तो फौरन ही सीपी कार्यालय को छावनी में बदल दिया गया. अधिवक्ताओं का कहना था कि नारेबाजी कर उन्होंने अपना विरोध प्रकट किया. जब पुलिस आयुक्त ने अधिवक्ताओं की बात सुन ली तो वह वापस लौट गए. हालांकि सीपी कार्यालय में अधिवक्ता एकता जिंदाबाद के नारे काफी देर तक गूंजते रहे.
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