कानपुर देहात: जनपद के शिवली कोतवाली में पिछले सात सालों के दौरान तैनात रहे छह सौ आरक्षी, एचसी और एचसीपी का ब्योरा जुटा लिया गया है. हालांकि, विकास दुबे प्रकरण की जांच कर रही एसआईटी ने 1995 से लेकर अब तक कुल 25 साल में तैनात रहे पुलिसकर्मियों का ब्योरा कानपुर देहात पुलिस से मांगा है. पुलिस महकमा अब अन्य पुलिसकर्मियों की तैनाती की जानकारी जुटा रहा है.
कानपुर नगर में दो जुलाई की रात बिकरू गांव में कुख्यात विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई थीं. इसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर से कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने के बाद कानपुर पुलिस विकास को आठ जुलाई को वापस ला रही थी. तभी सचेंडी थाने के पास गाड़ी पलट गई और विकास ने भागने का प्रयास किया और इस दौरान एनकाउंटर में मारा गया.
इसको लेकर कई सवाल उठाए गए. सरकार ने एसआईटी को जांच दी थी. एसआईटी ने साल 1995 से अब तक जनपद कानपुर देहात के शिवली कोतवाली में तैनात रहे कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल व एचसीपी का नाम, तैनाती की अवधि और मोबाइल नंबर मांगा है. साल 2013 से लेकर अब तक शिवली कोतवाली में तैनात रहे छह सौ कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल और एचसीपी की जानकारी तैयार कर ली गई है.
मांगा गया विकास दुबे के नाम दर्ज जमीनों का ब्योरा
कानपुर देहात की मैथा तहसील से एसआईटी ने विकास दुबे की जमीनों का भी ब्योरा मांगा है. विकास दुबे प्रकरण में एसआईटी सभी बिंदुओं की बारीकी से पड़ताल कर रही है. विकास के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अब बिकरू गांव में भी लोग खुलकर सामने आ रहे हैं और जुल्म की दास्तां बयां कर रहे हैं. ऐसे में एसआईटी ने मैथा तहसील से विकास दुबे की जमीनों का ब्योरा मांगा है, ताकि पता चल सके कि उसने किन-किन जमीनों पर अवैध कब्जा किया और किसकी जमीन खरीदी या हथियाई गई है. पूर्व में बिकरू गांव भी जिला कानपुर देहात में ही शामिल था, लेकिन बाद में उसे कानपुर नगर में जोड़ दिया गया था. फिलहाल, विकास दुबे के पुराने अभिलेखों को भी एसआईटी खंगालने में लगी है.