ETV Bharat / state

72 साल की उम्र में लगाया दो एकड़ का बाग, सबको मुफ्त में देते हैं औषधियां - garden planted at the age of 72

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात (kanpur dehat) में एक बाग (gardan) चर्चा का विषय बना हुआ है. तमाम जिलों के लोग यहां मुफ्त में आयुर्वेदिक औषधियां लेने आते हैं. बाग की सुंदरता के भी चर्चे हैं.

कानपुर देहात
कानपुर देहात
author img

By

Published : Jun 23, 2021, 10:37 AM IST

Updated : Jun 23, 2021, 10:48 AM IST

कानपुर देहातः कोरोना महामारी के बीच जहां तमाम प्राकृतिक औषधियों के दाम बढ़ गए, वहीं जिले में एक बुजुर्ग लोगों को मुफ्त में औषधियां दे रहे हैं. यही नहीं, यह औषधियां खुद इनके बाग (gardan) की हैं. बात यहीं खत्म नहीं होती है. अब अगली बात सुनकर आप और ज्यादा चौंकेंग. दो एकड़ के बाग को 72 साल के बुजुर्ग ने अकेले लगाया है. इस बाग में 100 से ज्यादा जड़ी-बूटियां (herbs) लगी हुई हैं.

बात हो रही है कानपुर देहात (kanpur dehat) के झींझक क्षेत्र की. जिले के तहसील डेरापुर क्षेत्र के झींझक ब्लॉक के किशौरा गांव में स्थित रामबाग इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कोरोना काल में लोगों के लिए यह बेहद फायदेमंद साबित होता नजर आ रहा है. दो एकड़ भूमि में अपनी सुंदरता बिखेर रहे इस बाग के संरक्षक गांव के ही निवासी बाबा रामकृष्ण कुशवाहा, दिनरात इसकी देखरेख कर रहे हैं. उनके नाम से ही इस बाग का नाम रामबाग पड़ा है. जूनियर विद्यालय में हेडमास्टर के पद से सेवानिवृत्त हुईं, उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी भी उनके इस सेवाकार्य में भरपूर सहयोग करती हैं. लोगों को तमाम जड़ीबूटियां निःशुल्क देने वाले रामबाग की विशेषताओं पर ईटीवी भारत ने नजर डाली.

कानपुर देहात में बाग
पिता देशराज से प्रेरणा मिलने के बाद 72 वर्षीय रामकृष्ण ने वर्ष 2000 में मलिहाबाद से कई पेड़ मंगवाकर भव्य पूजा-पाठ करवाकर बाग की शुरुआत की. बाग में ही अपना आशियाना बनाकर रहने भी लगे. रामकृष्ण ने बताया कि उनका बड़ा बेटा सर्वेश उर्फ पंकज चित्रकूट में शिक्षक के पद पर तैनात है. छोटा बेटा अखिलेश कुमार उर्फ नीरज अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. अपनी पत्नी के साथ वह यहां रहकर दिन-रात पेड़-पौधों व वनस्पतियों को संवारने में मशगूल रहते हैं.

रामकृष्ण ने बताया कि टेलीविजन में बाबा रामदेव से सीख लेकर अपने रामबाग में रोगनाशक वनस्पतियों के पौधे लगाए हैं. उन्होंने बताया कि रामबाग में वनस्पतियों में विधारा, अजूबा, तुलसी, गिलोय, हरसिंगार, एलोवेरा, सहजन, हड़जोड़ आदि के पौधे हैं. फलदार वृक्षों में आंवला, लीची, आलू बुखारा, चीकू, कई प्रकार के आम, अमरूद, अंगूर, संतरा, शरीफा, बेला, जामुन के वृक्ष हैं. इसके अलावा बादाम, इलायची, काजू, चंदन आदि सहित करीब एक हजार पौधे इस बाग में लगे हैं. यह सब लोगों की सेवा में काम आते हैं.

रामकृष्ण ने बताया कि आए दिन लोग दूर-दूर से हड़जोड़ व विधारा लेने आते हैं. विधारा शरीर में बड़े से बड़े घाव या कटने पर जल्द से जल्द ठीक करता है. हड़जोड़ टूटी हुईं हड्डियां जोड़ने के काम आता है. यहां तक कि कोरोना संक्रमण की आपदा आने पर गांव सहित आसपास के ग्रामीण लोग यहां आकर गिलोय, एलोवेरा, तुलसी आदि लेने आ रहे हैं. सभी औषधियों लोगों को निःशुल्क दी जाती हैं.

किशौरा गांव के रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि इस कोरोना काल में रामबाग में मौजूद गिलोय, एलोवेरा, तुलसी सहित कई वनस्पतियों का उन्होंने सेवन किया है. यह मुफ्त में मिलती हैं. रामकृष्ण कहते हैं कि इन वनस्पतियों से लोगों की सेवा करने में उन्हें बड़ा सुख व आनंद मिलता है. उनके मुताबिक इसकी जानकारी होने पर अब आसपास के जनपद के लोग जैसे औरैया, कानपुर, कन्नौज आदि जिलों से लोग यहां आते हैं.

इसे भी पढ़ेंः 10 लाख रुपये की मांग नहीं हुई पूरी तो पत्नी को दिया तीन तलाक

रामकृष्ण बाग लगाकर प्रकृति संवर्धन और औषधियां मुफ्त देकर परोपकार तो कर ही रहे हैं. बाग लगने के बाद जो प्राकृतिक सौंदर्य इस क्षेत्र में फैला है, वह भी लोगों को लुभाता है. बहुत से लोगों को तो यहां की सुंदरता खींच लाती है. इस तरह आसपास के लोगों के लिए ये रामबाग, किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है.

कानपुर देहातः कोरोना महामारी के बीच जहां तमाम प्राकृतिक औषधियों के दाम बढ़ गए, वहीं जिले में एक बुजुर्ग लोगों को मुफ्त में औषधियां दे रहे हैं. यही नहीं, यह औषधियां खुद इनके बाग (gardan) की हैं. बात यहीं खत्म नहीं होती है. अब अगली बात सुनकर आप और ज्यादा चौंकेंग. दो एकड़ के बाग को 72 साल के बुजुर्ग ने अकेले लगाया है. इस बाग में 100 से ज्यादा जड़ी-बूटियां (herbs) लगी हुई हैं.

बात हो रही है कानपुर देहात (kanpur dehat) के झींझक क्षेत्र की. जिले के तहसील डेरापुर क्षेत्र के झींझक ब्लॉक के किशौरा गांव में स्थित रामबाग इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कोरोना काल में लोगों के लिए यह बेहद फायदेमंद साबित होता नजर आ रहा है. दो एकड़ भूमि में अपनी सुंदरता बिखेर रहे इस बाग के संरक्षक गांव के ही निवासी बाबा रामकृष्ण कुशवाहा, दिनरात इसकी देखरेख कर रहे हैं. उनके नाम से ही इस बाग का नाम रामबाग पड़ा है. जूनियर विद्यालय में हेडमास्टर के पद से सेवानिवृत्त हुईं, उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी भी उनके इस सेवाकार्य में भरपूर सहयोग करती हैं. लोगों को तमाम जड़ीबूटियां निःशुल्क देने वाले रामबाग की विशेषताओं पर ईटीवी भारत ने नजर डाली.

कानपुर देहात में बाग
पिता देशराज से प्रेरणा मिलने के बाद 72 वर्षीय रामकृष्ण ने वर्ष 2000 में मलिहाबाद से कई पेड़ मंगवाकर भव्य पूजा-पाठ करवाकर बाग की शुरुआत की. बाग में ही अपना आशियाना बनाकर रहने भी लगे. रामकृष्ण ने बताया कि उनका बड़ा बेटा सर्वेश उर्फ पंकज चित्रकूट में शिक्षक के पद पर तैनात है. छोटा बेटा अखिलेश कुमार उर्फ नीरज अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. अपनी पत्नी के साथ वह यहां रहकर दिन-रात पेड़-पौधों व वनस्पतियों को संवारने में मशगूल रहते हैं.

रामकृष्ण ने बताया कि टेलीविजन में बाबा रामदेव से सीख लेकर अपने रामबाग में रोगनाशक वनस्पतियों के पौधे लगाए हैं. उन्होंने बताया कि रामबाग में वनस्पतियों में विधारा, अजूबा, तुलसी, गिलोय, हरसिंगार, एलोवेरा, सहजन, हड़जोड़ आदि के पौधे हैं. फलदार वृक्षों में आंवला, लीची, आलू बुखारा, चीकू, कई प्रकार के आम, अमरूद, अंगूर, संतरा, शरीफा, बेला, जामुन के वृक्ष हैं. इसके अलावा बादाम, इलायची, काजू, चंदन आदि सहित करीब एक हजार पौधे इस बाग में लगे हैं. यह सब लोगों की सेवा में काम आते हैं.

रामकृष्ण ने बताया कि आए दिन लोग दूर-दूर से हड़जोड़ व विधारा लेने आते हैं. विधारा शरीर में बड़े से बड़े घाव या कटने पर जल्द से जल्द ठीक करता है. हड़जोड़ टूटी हुईं हड्डियां जोड़ने के काम आता है. यहां तक कि कोरोना संक्रमण की आपदा आने पर गांव सहित आसपास के ग्रामीण लोग यहां आकर गिलोय, एलोवेरा, तुलसी आदि लेने आ रहे हैं. सभी औषधियों लोगों को निःशुल्क दी जाती हैं.

किशौरा गांव के रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि इस कोरोना काल में रामबाग में मौजूद गिलोय, एलोवेरा, तुलसी सहित कई वनस्पतियों का उन्होंने सेवन किया है. यह मुफ्त में मिलती हैं. रामकृष्ण कहते हैं कि इन वनस्पतियों से लोगों की सेवा करने में उन्हें बड़ा सुख व आनंद मिलता है. उनके मुताबिक इसकी जानकारी होने पर अब आसपास के जनपद के लोग जैसे औरैया, कानपुर, कन्नौज आदि जिलों से लोग यहां आते हैं.

इसे भी पढ़ेंः 10 लाख रुपये की मांग नहीं हुई पूरी तो पत्नी को दिया तीन तलाक

रामकृष्ण बाग लगाकर प्रकृति संवर्धन और औषधियां मुफ्त देकर परोपकार तो कर ही रहे हैं. बाग लगने के बाद जो प्राकृतिक सौंदर्य इस क्षेत्र में फैला है, वह भी लोगों को लुभाता है. बहुत से लोगों को तो यहां की सुंदरता खींच लाती है. इस तरह आसपास के लोगों के लिए ये रामबाग, किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है.

Last Updated : Jun 23, 2021, 10:48 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.