कानपुर देहात : यूपी के जनपद कानपुर देहात जिले के जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली आम लोगों के लिए मुसीबत बन रही है. यहां के अफसरों ने एक बुजुर्ग किसान को अधिकारियों ने कागजों पर मृत घोषित कर दिया है. मृत घोषित होते ही उन्हें किसान सम्मान निधि और वृद्धावस्था पेंशन मिलनी बंद हो गई. खुद को जिंदा साबित करने के लिए किसान कई वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, मगर आज तक सुनवाई नहीं हुई.
सिथरा बुजुर्ग निवासी राम अवतार पिछले तीन साल से कानपुर देहात के डीएम, कमिश्नर, तहसील जैसे ऑफिसों के चक्कर काट रहे हैं. राम अवतार द्विवेदी को मार्च 2020 में अफसरों ने सरकारी डॉक्युमेंट में मृत घोषित कर दिया. इसके साथ ही उन्हें शासन की ओर से मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन मिलनी बंद हो गई. किसान सम्मान निधि से भी हाथ धोना पड़ा. लाचार राम अवतार खुद को जीवित साबित करने के लिए तहसील के अधिकारियों से लेकर जिले की डीएम तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अफसरों ने कागजों में उन्हें जिंदा नहीं किया.
राम अवतार ने बताया कि वह खुद के जिंदा होने का सबूत तहसील से लेकर जनपद के जिलाधिकारी कार्यालय तक दे चुके हैं, मगर अधिकारियों ने इस पूरे मामले को नजरअंदाज कर दिया है. तहसील से निराशा मिलने पर उन्होंने कानपुर के आयुक्त से शिकायत की . तब अपर आयुक्त प्रशासन प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने सीडीओ को जांच कराने के साथ दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. जांच हुई या नहीं, यह राम अवतार तो नहीं जानते मगर इसके बाद भी उन्हें निराशा हाथ लगी. काफी समय बीतने के बाद राम अवतार ने दोबारा इसकी शिकायत मंडल आयुक्त डॉ.राजशेखर से की.
आयुक्त ने डीएम और सीडीओ को जांच कराने के साथ दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई कर 15 दिसंबर तक रिपोर्ट तलब की थी. मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ने पूरे मामले की जांच कराने का भरोसा भी दिया था, मगर तीन साल बाद भी राम अवतार को प्रशासन ने कागजों में जिंदा नहीं किया. भुवनीपुर तहसील के एसडीएम महेंद्र कुमार का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है. इसकी जांच मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे को दी गई थी. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच तुरंत कराई जाएगी. मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडे ने बताया कि वह अभी लखनऊ की एक मीटिंग में हैं, वह जल्द ही जांच की रिपोर्ट सौंपेंगी.
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