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कानपुर देहात: अखिलेश यादव ने ब्रजेश के परिजनों को सौंपी दो लाख की सहायता राशि

यूपी के कानपुर देहात में गुरूवार को सपा की सात सदस्यीय टीम मृतक ब्रजेश के घर पहुंची. सपा की तरफ से पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि दी गई.

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सपा.
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Published : Jul 30, 2020, 9:40 PM IST

कानपुर देहात: जनपद में अखिलेश यादव ने ब्रजेश की अपहरण के बाद हत्याकांड को लेकर सूबे की सरकार की निंदा की. वहीं अपने कार्यकर्ताओं की सात सदस्यीय टीम बनाकर पीड़ितों के घर भेजा. पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि गुरूवार को दी गई. सात सदस्यीय टीम ने कहा कि आगे की लड़ाई इन पीड़ितों की समाजवादी पार्टी लड़ेगी. मुख्य रूप से टीम के साथ जिलाध्यक्ष प्रमोद यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह यादव मौजूद रहे.

बताते चलें कि ब्रजेश पाल का अपहरण हुआ था. अपरण के अगले दिन 20 लाख की फिरौती के लिए ब्रजेश के ही मोबाइल नंबर से अपहर्ताओं ने फोन किया था. लेकिन पुलिस अपहरणकर्ताओं का कोई सुराग पता नहीं लगा सकी. इसके बाद परिजनों की हिम्मत भी कमजोर पड़ती गयी. 11 दिन बीतने के बाद बेटे की सलामती के लिए वे किसी भी तरह फिरौती की रकम देने का मन बना चुके थे. उनका कहना है कि पुलिस ने सही से जांच नहीं की.

मृतक की बहन आरती और पिता शिवनाथ ने बताया था कि धर्मकांटा मालिक और उसके सहकर्मी से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ नहीं की. उन्हें इन लोगों पर भी शक था. घटना के बाद से लगातार दोनों ब्रजेश के चरित्र पर सवाल उठाकर मामले को किसी और ही दिशा में ले जाना चाह रहे थे. इसके अलावा सील हुए धर्मकांटा को भी अब खोल दिया गया था. यहां पर फॉरेंसिक जांच घटना के बाद कराई जानी थी, जिससे कोई फिंगर प्रिंट तो मिलते. अपहरण के 12वें दिन ब्रजेश की हत्या कर शव कुएं में फेंक दिया जाता है. ब्रजेश की अपहरण के बाद हत्या को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है.

कानपुर देहात: जनपद में अखिलेश यादव ने ब्रजेश की अपहरण के बाद हत्याकांड को लेकर सूबे की सरकार की निंदा की. वहीं अपने कार्यकर्ताओं की सात सदस्यीय टीम बनाकर पीड़ितों के घर भेजा. पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि गुरूवार को दी गई. सात सदस्यीय टीम ने कहा कि आगे की लड़ाई इन पीड़ितों की समाजवादी पार्टी लड़ेगी. मुख्य रूप से टीम के साथ जिलाध्यक्ष प्रमोद यादव और जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह यादव मौजूद रहे.

बताते चलें कि ब्रजेश पाल का अपहरण हुआ था. अपरण के अगले दिन 20 लाख की फिरौती के लिए ब्रजेश के ही मोबाइल नंबर से अपहर्ताओं ने फोन किया था. लेकिन पुलिस अपहरणकर्ताओं का कोई सुराग पता नहीं लगा सकी. इसके बाद परिजनों की हिम्मत भी कमजोर पड़ती गयी. 11 दिन बीतने के बाद बेटे की सलामती के लिए वे किसी भी तरह फिरौती की रकम देने का मन बना चुके थे. उनका कहना है कि पुलिस ने सही से जांच नहीं की.

मृतक की बहन आरती और पिता शिवनाथ ने बताया था कि धर्मकांटा मालिक और उसके सहकर्मी से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ नहीं की. उन्हें इन लोगों पर भी शक था. घटना के बाद से लगातार दोनों ब्रजेश के चरित्र पर सवाल उठाकर मामले को किसी और ही दिशा में ले जाना चाह रहे थे. इसके अलावा सील हुए धर्मकांटा को भी अब खोल दिया गया था. यहां पर फॉरेंसिक जांच घटना के बाद कराई जानी थी, जिससे कोई फिंगर प्रिंट तो मिलते. अपहरण के 12वें दिन ब्रजेश की हत्या कर शव कुएं में फेंक दिया जाता है. ब्रजेश की अपहरण के बाद हत्या को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है.

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