कन्नौज: जिले में मानसिक रूप से सताई गई महिला, लावारिस और मंदबुद्धि बच्चों के लिए जिले में कोई महफूज आश्रय नहीं है. कन्नौज जिले को बने हुए 23 साल हो गए हैं लेकिन कई जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी जिले को दूसरे जनपद के कंधों का सहारा लेना पड़ता है. जिले में न तो नारी निकेतन केंद्र है और न ही बाल सुधार गृह. इस कारण से पीड़ित महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर तो है, लेकिन यहां पीड़िताओं के लिए केवल पांच दिन तक ही रुकने का नियम है. यूं कहें तो जिले में स्थाई रूप से ऐसा कोई केन्द्र नहीं है, जहां पीड़ित महिलाओं को आश्रय मिल जाए. पांच दिन से ज्यादा समय होने पर पीड़ित महिलाओं को पास के जिलों में भेजा जाता है. इससे पीड़ित महिलाओं के साथ-साथ सखी वन स्टॉप सेंटर, आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ को भी उठानी पड़ती है, क्योंकि ऐसी महिलाओं को लेकर जिले के बाहर दूसरे जनपदों में बने नारी निकेतन में जाना पड़ता है.कानपुर और इटावा का है सहाराकन्नौज में नारी निकेतन न होने के कारण यहां पीड़ित महिलाओं को कानपुर और इटावा के नारी निकेतन गृह भेजा जाता है. इसी तरह से जिले में बाल सुधार गृह न होने के कारण लावारिस बच्चों को भी कानपुर भेजा जाता है. कन्नौज जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां पर ऐसे लोगों को हमेशा के लिए रखा जा सके. कन्नौज में एकमात्र वन स्टॉप वन सेंटर, आशा ज्योति केंद्र है, जहां पीड़ित महिलाओं के मामले निपटाए जाते हैं, लेकिन उनको केवल पांच दिन के लिए ही रोका जा सकता है.ये भी पढ़ें-संत रविदास जी की 643वीं जयंती पर सीर गोवर्धनपुर में उमड़ा जनसैलाब
आशा ज्योति केंद्र में आए मामले
सखी वन स्टाप सेंटर में अब तक कुल 900 के करीब पीड़ित महिलाओं के मामले आ चुके हैं. इसमें मानसिक विक्षिप्त और लापता परिवार से पीड़ित 57 लोग आ चुके हैं. इसके साथ ही पुलिस की मदद से 304 लोग आ चुके हैं. बचाव सेवाओं की आपातकालीन प्रक्रिया से 153 मामले आ चुके हैं. मेडिको लीगल हेल्थ के 48 मामले आए हैं.