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कन्नौजः न नारी निकेतन-न ही बाल सुधार गृह, कैसे हो बेसहारा बच्चों और अबलाओं का उद्धार

उत्तर प्रदेश के कन्नौज में स्थाई रूप से न तो नारी निकेतन है और न ही बाल सुधार गृह. ऐसे में पीड़ितों को दूसरे जिलों में शिफ्ट किया जाता है. जिससे तमाम तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है.

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कन्नौज में नहीं है स्थाई नारी निकेतन.
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Published : Feb 9, 2020, 4:52 PM IST

कन्नौज: जिले में मानसिक रूप से सताई गई महिला, लावारिस और मंदबुद्धि बच्चों के लिए जिले में कोई महफूज आश्रय नहीं है. कन्नौज जिले को बने हुए 23 साल हो गए हैं लेकिन कई जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी जिले को दूसरे जनपद के कंधों का सहारा लेना पड़ता है. जिले में न तो नारी निकेतन केंद्र है और न ही बाल सुधार गृह. इस कारण से पीड़ित महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

देखें रिपोर्ट.
जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर तो है, लेकिन यहां पीड़िताओं के लिए केवल पांच दिन तक ही रुकने का नियम है. यूं कहें तो जिले में स्थाई रूप से ऐसा कोई केन्द्र नहीं है, जहां पीड़ित महिलाओं को आश्रय मिल जाए. पांच दिन से ज्यादा समय होने पर पीड़ित महिलाओं को पास के जिलों में भेजा जाता है. इससे पीड़ित महिलाओं के साथ-साथ सखी वन स्टॉप सेंटर, आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ को भी उठानी पड़ती है, क्योंकि ऐसी महिलाओं को लेकर जिले के बाहर दूसरे जनपदों में बने नारी निकेतन में जाना पड़ता है.कानपुर और इटावा का है सहाराकन्नौज में नारी निकेतन न होने के कारण यहां पीड़ित महिलाओं को कानपुर और इटावा के नारी निकेतन गृह भेजा जाता है. इसी तरह से जिले में बाल सुधार गृह न होने के कारण लावारिस बच्चों को भी कानपुर भेजा जाता है. कन्नौज जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां पर ऐसे लोगों को हमेशा के लिए रखा जा सके. कन्नौज में एकमात्र वन स्टॉप वन सेंटर, आशा ज्योति केंद्र है, जहां पीड़ित महिलाओं के मामले निपटाए जाते हैं, लेकिन उनको केवल पांच दिन के लिए ही रोका जा सकता है.

ये भी पढ़ें-संत रविदास जी की 643वीं जयंती पर सीर गोवर्धनपुर में उमड़ा जनसैलाब

आशा ज्योति केंद्र में आए मामले
सखी वन स्टाप सेंटर में अब तक कुल 900 के करीब पीड़ित महिलाओं के मामले आ चुके हैं. इसमें मानसिक विक्षिप्त और लापता परिवार से पीड़ित 57 लोग आ चुके हैं. इसके साथ ही पुलिस की मदद से 304 लोग आ चुके हैं. बचाव सेवाओं की आपातकालीन प्रक्रिया से 153 मामले आ चुके हैं. मेडिको लीगल हेल्थ के 48 मामले आए हैं.

कन्नौज: जिले में मानसिक रूप से सताई गई महिला, लावारिस और मंदबुद्धि बच्चों के लिए जिले में कोई महफूज आश्रय नहीं है. कन्नौज जिले को बने हुए 23 साल हो गए हैं लेकिन कई जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी जिले को दूसरे जनपद के कंधों का सहारा लेना पड़ता है. जिले में न तो नारी निकेतन केंद्र है और न ही बाल सुधार गृह. इस कारण से पीड़ित महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

देखें रिपोर्ट.
जिले में सखी वन स्टॉप सेंटर तो है, लेकिन यहां पीड़िताओं के लिए केवल पांच दिन तक ही रुकने का नियम है. यूं कहें तो जिले में स्थाई रूप से ऐसा कोई केन्द्र नहीं है, जहां पीड़ित महिलाओं को आश्रय मिल जाए. पांच दिन से ज्यादा समय होने पर पीड़ित महिलाओं को पास के जिलों में भेजा जाता है. इससे पीड़ित महिलाओं के साथ-साथ सखी वन स्टॉप सेंटर, आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ को भी उठानी पड़ती है, क्योंकि ऐसी महिलाओं को लेकर जिले के बाहर दूसरे जनपदों में बने नारी निकेतन में जाना पड़ता है.कानपुर और इटावा का है सहाराकन्नौज में नारी निकेतन न होने के कारण यहां पीड़ित महिलाओं को कानपुर और इटावा के नारी निकेतन गृह भेजा जाता है. इसी तरह से जिले में बाल सुधार गृह न होने के कारण लावारिस बच्चों को भी कानपुर भेजा जाता है. कन्नौज जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां पर ऐसे लोगों को हमेशा के लिए रखा जा सके. कन्नौज में एकमात्र वन स्टॉप वन सेंटर, आशा ज्योति केंद्र है, जहां पीड़ित महिलाओं के मामले निपटाए जाते हैं, लेकिन उनको केवल पांच दिन के लिए ही रोका जा सकता है.

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आशा ज्योति केंद्र में आए मामले
सखी वन स्टाप सेंटर में अब तक कुल 900 के करीब पीड़ित महिलाओं के मामले आ चुके हैं. इसमें मानसिक विक्षिप्त और लापता परिवार से पीड़ित 57 लोग आ चुके हैं. इसके साथ ही पुलिस की मदद से 304 लोग आ चुके हैं. बचाव सेवाओं की आपातकालीन प्रक्रिया से 153 मामले आ चुके हैं. मेडिको लीगल हेल्थ के 48 मामले आए हैं.

Intro:कन्नौज : जिले में न तो नारी निकेतन केंद्र है, और न ही बाल सुधार गृह

यूपी के कन्नौज में मानसिक रूप से परेशान, सताई गई महिला, भटकते बच्चे, लावारिस और मंदबुद्धि बालकों को रखने के लिए जिले में कोई महफूज जगह नही है। कन्नौज जिले को बने हुए 23 साल हो गए हैं, लेकिन कई जरूरी सुविधाओं के लिए आज भी जिले को दूसरे जनपद के कंधों का सहारा लेना पड़ता है । 18 फरवरी 1997 को जिला बनने के बाद भी आज दिन तक जिले में न तो नारी निकेतन केंद्र है और न ही बाल सुधार गृह, जिस कारण पीड़ित महिलाओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को लेकर हमारे कन्नौज जिला संवाददाता पंकज श्रीवास्तव ने वन स्टॉप सेंटर नारी निकेतन की केंद्र प्रशासक सुप्रिया पांडेय से खास बातचीत की । आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट ।


Body:कन्नौज में सखी वन स्टॉप वन सेंटर आशा ज्योति केंद्र में पीड़ित महिलाओं को रोकने और उनके दुख-दर्द को सुनने के लिए बनाया गया है, लेकिन कई बार इस केंद्र में ऐसी भी महिलाएं और किशोरी आ जाती हैं, जिनका कोई ठिकाना नहीं होता है। इसके अलावा लावारिस बच्चों को रोकने के लिए भी कोई उचित स्थान नहीं है । जबकि सखी वन स्टॉप वन सेंटर आशा ज्योति केंद्र में ऐसी पीड़िताओं के लिए केवल 5 दिन तक रुकने का नियम है। इससे ज्यादा समय होने पर इस तरह की पीड़ित महिलाओं को नारी निकेतन भेजा जाता है, जो अभी तक कन्नौज जिले में नहीं बना है, जिस कारण यह परेशानी पीड़ित महिलाओ के साथ-साथ सखी वन स्टॉप सेंटर आशा ज्योति केंद्र के स्टाफ को भी उठानी पड़ती है, क्योंकि ऐसी महिलाओं को लेकर जिले के बाहर दूसरे जनपदों में बने नारी निकेतन में उनको जाना पड़ता है।


Conclusion:परेशान महिलाओं को केवल 5 दिन तक रहने की सुविधा है जनपद में

कन्नौज में नारी निकेतन न होने के कारण यहां पीड़ित महिलाओं को कानपुर और इटावा नारी निकेतन गृह भेजा जाता है । इसी तरह से जिले में बाल सुधार गृह न होने के कारण लावारिस बच्चों को भी कानपुर भेजा जाता है। कन्नौज जिले में ऐसा कोई स्थान नहीं है। जहां पर ऐसे लोगों को हमेशा के लिए रखा जा सके। कन्नौज में एकमात्र वन स्टॉप वन सेंटर आशा ज्योति केंद्र है जहां पीड़ित महिलाओं के मामले निपटाए जाते हैं और उनको केवल 5 दिन के लिए ही रोका जा सकता है।

आशा ज्योति केंद्र में अबतक आये यह मामले

सखी वन स्टाप वन सेंटर आशा ज्योति केंद्र में अब तक कुल 900 के करीब पीड़ित महिलाओं के मामले आ चुके हैं । इसमें मानसिक विक्षिप्त और लापता परिवार से पीड़ित 57 लोग आ चुके हैं। इसके साथ ही पुलिस की मदद से 304 लोग आ चुके हैं, और बचाव सेवाओं की आपातकालीन प्रतिक्रिया से 153 मामले आ चुके हैं। मेडिकोलीगल हेल्थ के 48 मामले, तो वही 184 ऐसे लोग आए हैं जिनमें महिलाओं को करीब 5 दिनों के लिए केंद्र पर रखा जाना आवश्यक रहा है। लेकिन केंद्र में 5 दिन तक रुकने की व्यवस्था है, इसके बाद ऐसे लोगों को यहां से नारी निकेतन के लिए भेज दिया जाता है।

रिपोर्टर पंकज श्रीवास्तव वन टू वन केंद्र प्रशासक सुप्रिया पांडेय

बाइट- अमरेंद्र प्रसाद सिंह - पुलिस अधीक्षक, कन्नौज
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
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