कन्नौजः राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले को टीबी मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए 17 तारीख से अभियान शुरू हो चुका है और यह 29 फरवरी तक चलेगा. 'टीबी रोगी खोजी अभियान' के तहत टीबी का इलाज करा रहे प्रत्येक मरीज को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रतिमाह दिया जाएगा. जिले में अभी तक 1815 टीबी मरीजों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है.
बनाई गई हैं 65 टीमें
टीबी कोई आनुवंशिक बीमारी नहीं हैं. यह एक संक्रामक रोग है. पूरा इलाज कराकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है. इसके लिए टीवी मुक्त बनाने को लेकर जिले भर में इसके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के लिए 65 टीमें बनाई गई हैं. जो घर-घर जाकर प्रत्येक व्यक्ति को टीबी के सामान्य और गंभीर लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. साथ ही उनकी स्क्रीनिंग भी की जा रही है.
मलिन बस्तियों में चलाया जा रहा है अभियान
अभियान में दूर-दराज के इलाकों, मलिन बस्तियों और ईंट-भट्ठों के आसपास रहने वाले परिवारों की स्क्रीनिंग और काउंसलिंग पर फोकस रहेगा. टीबी के लक्षण प्रतीत होते ही उनका टीम द्वारा बलगम एकत्र किया जाएगा. जो डीएससी सेंटर पर जांचोपरांत टीबी सक्रिय पाए जाने पर 48 घंटों के भीतर मरीज का इलाज शुरू कर होगा. इसके लिए प्रत्येक टीम पर एक सुपरवाइजर नियुक्त किया गया है.
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25 इंजेक्शन लगवाने के झंझट से मुक्ति
टीबी के मरीजों को हर माह 25 इंजेक्शन लगवाने के झंझट से अब मुक्ति मिल गई है. इसके लिए मरीजों को अब इंजेक्शन की जगह कारगर दवाइयों से उपचार किया जा रहा है. राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टीबी के इंजेक्शन फ्री उपचार की परिकल्पना की गई है. वीडाकुलीन एक ऐसी दवा है, जिससे कम समय में टीबी ठीक हो जाती है.
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मरीजों को मिल रहा निक्षय पोषण योजना का लाभ
जिले में लगभग 3,512 टीबी मरीजों का सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज चल रहा है. ज्यादार टीबी से ग्रसित सामान्य और एमडीआर श्रेणी के मरीजों को पांच तरह के इंजेक्शन दिए जाते हैं. इन सभी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान 500 रुपये प्रतिमाह सीधे उनके खाते में भेजा जाता है. ताकि मरीज को दवाई के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी मिल सके. जिले में जनवरी 2019 से दिसंबर 2019 तक 1,813 टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना का लाभ मिल चुका है.
क्या कहते हैं मुख्य चिकित्साधिकारी
मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. के. स्वरूप का कहना है कि जिले में एक्टीव केस फाइंडिंग (एसीएफ) प्रोग्राम चलाया जा रहा है. 29 तारीख तक घर-घर जा करके टीबी के मरीजों की पहचान की जाएगी. इसके लिए 65 टीमों का गठन किया गया है. एक जिले की कुल जनसंख्या के 10 प्रतिशत जनसंख्या के साथ दिन भर में 50 घरों को कवर करेगी, जो लोग टीबी के लक्षण के तहत पॉजीटिव पाए जाएंगे, उनका पूरा इलाज किया जाएगा. साथ ही इनको प्रतिमाह पांच सौ रुपये दिए जाएंगे.