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कन्नौज: इस शिवलिंग के दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना

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Published : Jul 13, 2020, 6:31 AM IST

उत्तर प्रदेश के कन्नौज के सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के शिवलिंग का बहुत महत्व है. हालांकि लॉकडाउन के कारण मंदिर बंद होने से भक्त काफी निराश है.

सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर
सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर

कन्नौज: इत्र की नगरी कन्नौज के सुविख्यात होने के कई कारण हैं. इनमें से एक कारण सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के शिवलिंग का भी है, जो काफी प्राचीन है. कन्नौज के पूर्वी छोर पर स्थित भव्य शिव मंदिर की विशेष बात है कि गर्भगृह में स्थित इस अद्भुत शिवलिंग में शिव के पूरे परिवार के दर्शन हो जाते हैं, जिसे स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है. यह स्थान 51 शक्तिपीठ में शुमार किया जाता है.

सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर.

सम्राट हर्षवर्धन के समय में यहां एक हजार पुजारी शिवार्चन करते थे. इस कारण से इस शिवलिंग में सैकड़ों श्रद्धालु पूरे मनोयोग से यहां दर्शन करने आते हैं. सावन के महीने में तो यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल ने इस मंदिर पर भी ग्रहण लगा दिया है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिर बन्द है, जिससे सावन में भी भक्त मंदिर में स्थापित अद्भुत शिवलिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि मन्दिर के बाहर मुख्य गेट पर ही मठ के दर्शन करके चौखट पर माथा टेक कर भक्त लौट जाते हैं. मंदिर के पुजारी मन्दिर के अंदर विधिवत पूजा करने के बाद बाहर गेट पर खड़े भक्तों को आरती और प्रसाद गेट पर ही दे रहे हैं, क्योंकि मंदिर के अंदर प्रवेश बिल्कुल वर्जित है.

शहर के पूर्वी छोर पर स्थित सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर को पौराणिक भाषा में गौरीपीठ कहा जाता है. लोकोक्ति है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी. उसी क्रम में कन्नौज क्षेत्र में मां गौरी के अंग गिरने से यह स्थान भी 51 शक्ति पीठ में शुमार किया जाता है. श्रद्धालु गौरी और शंकर दोनों को अर्धनारीश्वर के रूप में भी देखते हैं. इस कारण शिव का आधा अंग पुरुष रूप में है और दूसरे रूप में पार्वती स्वरूप हैं.

दूर-दूर से दर्शन को आते थे हजारों श्रद्धालु, लेकिन अब पसरा पड़ा है सन्नाटा
बाबा गौरी शंकर मंदिर का गौरवशाली इतिहास काफी पुराना है. इस ऐतिहासिक सिद्धपीठ के बारे में कुछ स्थानों पर उल्लेख मिलता है कि सम्राट हर्षवर्धन के समय यहां 1000 पुजारी शिवार्चन करते थे. लोगों का कहना है कि कभी पतित पावनी मां गंगा की धार इस मंदिर को छूकर निकलती थी, लेकिन कालांतर में गंगा की धार इस मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर चली गई है. इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु सुबह से शाम तक बाबा के दर्शन करने आते थे. गौरी शंकर मंदिर में कई जनपदों से भी हजारों लोग यहां आकर अपनी-अपनी मनोकामना पूरी करते हैं, लेकिन आज कोरोना संक्रमण की वजह से मंदिर पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. इसी वजह से मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ है. भक्तो के अंदर जाने पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है.

इस सावन मास में कोरोना संक्रमण ने लगाया ग्रहण, मंदिर हुआ बंद
सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि पहले वे लोगों ने पूरी प्लानिंग की थी सावन से पहले कि सावन में मंदिर खोलेंगे क्योंकि आम जनमानस की भावना बाबा से जुड़ी हुई है. पूरी व्यवस्था कर ली थी, लेकिन एन समय में जिलाधिकारी ने सभी मंदिर समिति के लोगों को बुलाया और जिलाधिकारी ने साफ-साफ मना कर दिया कि सावन मास में कोई भी मंदिर बाबा का नहीं खुलेगा. वहीं अतिरिक्त व्यवस्थाएं करके भक्तों को दर्शन करने की बात कही, लेकिन मंदिर प्रांगण और मंदिर परिसर नहीं खोलने का निर्देश दिया. इस कारण मंदिर परिसर बंद कर दिया गया.

अब सावन मास के बाद जिलाधिकारी का जैसा आदेश होगा, उसके अनुरूप कार्य करेंगे. बाबा को सिर्फ जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिले के कई जिलों के भक्त बहुत ही मानते हैं. सावन मास में यहां हजारों भक्त प्रतिदिन आते थे, जिसमें कि सोमवार को लोगों की इतनी भीड़ होती थी कि मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह नहीं होती थी. वहीं इस बार बाबा के सभी भक्त बहुत मायूस है.

भक्तों के दर्शन के लिए निकालें गए तरीके
समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि इस समय कोरोना के मरीज भी बहुत बढ़ रहे हैं. इस कारण मंदिर को बंद रखा गया है. हालांकि भक्तों को दर्शन कराने के लिए एक तरीका निकाला गया है कि एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रातः कालीन और सांय कालीन आरती के दर्शन की व्यवस्था की गई है. वहीं जल्द ही मंदिर परिसर के बाहर एक बड़ा सा टीवी लगवाकर बाबा के लाइव दर्शन कराएंगे. इंटरनेट के माध्यम से भी बाबा की एक वेबसाइट बना रहे हैं, जिसमें सभी 24 घंटे बाबा के लाइव दर्शन कर सकते हैं.

दुकानदारों की बंद हुई रोजी-रोटी
समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि मंदिर बंद होने के कारण बहुत से दुकानदार भाई जो पूरे सावन मास में मंदिर परिसर के बाहर दुकानें लगाते थे. फूल, माला, बेलपत्र सहित पूजा का सामान इस तरह की जो भी दुकानें यहां लगती थी वह दुकानदार बेचारे अपनी रोजी-रोटी को तरस रहे हैं. उनके आगे बहुत बड़ा संकट रोजी-रोटी का खड़ा हो गया है. हालांकि सभी लोग मजबूर है क्योंकि जिला प्रशासन के आदेश से ही मंदिर बंद किया गया है.

संकट की इस घड़ी में मंदिर समिति ने मांगी मदद
उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि मंदिर बंद होने से मंदिर कोष में भी बहुत बड़ी क्षति है. पिछले 4 महीने से मंदिर बंद है. वहीं मंदिर में करीब 8-10 कर्मचारी काम कर रहे हैं, पुजारी हैं, गार्ड हैं, जिनको सैलरी देनी है तो मंदिर के सामने भी बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा है. इस कड़ी में उन्होंने जिलाधिकारी और अपने भक्तों से निवेदन करने की बात कही है. यह एकमात्र मंदिर है, जो स्वंयभू शिवलिंग है. मंदिर में सावन मास भर रुद्राभिषेक होता है, जिसके लिए पुजारी की नियुक्त किए गए.

कन्नौज: इत्र की नगरी कन्नौज के सुविख्यात होने के कई कारण हैं. इनमें से एक कारण सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर के शिवलिंग का भी है, जो काफी प्राचीन है. कन्नौज के पूर्वी छोर पर स्थित भव्य शिव मंदिर की विशेष बात है कि गर्भगृह में स्थित इस अद्भुत शिवलिंग में शिव के पूरे परिवार के दर्शन हो जाते हैं, जिसे स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है. यह स्थान 51 शक्तिपीठ में शुमार किया जाता है.

सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर.

सम्राट हर्षवर्धन के समय में यहां एक हजार पुजारी शिवार्चन करते थे. इस कारण से इस शिवलिंग में सैकड़ों श्रद्धालु पूरे मनोयोग से यहां दर्शन करने आते हैं. सावन के महीने में तो यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल ने इस मंदिर पर भी ग्रहण लगा दिया है. संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिर बन्द है, जिससे सावन में भी भक्त मंदिर में स्थापित अद्भुत शिवलिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि मन्दिर के बाहर मुख्य गेट पर ही मठ के दर्शन करके चौखट पर माथा टेक कर भक्त लौट जाते हैं. मंदिर के पुजारी मन्दिर के अंदर विधिवत पूजा करने के बाद बाहर गेट पर खड़े भक्तों को आरती और प्रसाद गेट पर ही दे रहे हैं, क्योंकि मंदिर के अंदर प्रवेश बिल्कुल वर्जित है.

शहर के पूर्वी छोर पर स्थित सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर को पौराणिक भाषा में गौरीपीठ कहा जाता है. लोकोक्ति है कि जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी. उसी क्रम में कन्नौज क्षेत्र में मां गौरी के अंग गिरने से यह स्थान भी 51 शक्ति पीठ में शुमार किया जाता है. श्रद्धालु गौरी और शंकर दोनों को अर्धनारीश्वर के रूप में भी देखते हैं. इस कारण शिव का आधा अंग पुरुष रूप में है और दूसरे रूप में पार्वती स्वरूप हैं.

दूर-दूर से दर्शन को आते थे हजारों श्रद्धालु, लेकिन अब पसरा पड़ा है सन्नाटा
बाबा गौरी शंकर मंदिर का गौरवशाली इतिहास काफी पुराना है. इस ऐतिहासिक सिद्धपीठ के बारे में कुछ स्थानों पर उल्लेख मिलता है कि सम्राट हर्षवर्धन के समय यहां 1000 पुजारी शिवार्चन करते थे. लोगों का कहना है कि कभी पतित पावनी मां गंगा की धार इस मंदिर को छूकर निकलती थी, लेकिन कालांतर में गंगा की धार इस मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर चली गई है. इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु सुबह से शाम तक बाबा के दर्शन करने आते थे. गौरी शंकर मंदिर में कई जनपदों से भी हजारों लोग यहां आकर अपनी-अपनी मनोकामना पूरी करते हैं, लेकिन आज कोरोना संक्रमण की वजह से मंदिर पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. इसी वजह से मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ है. भक्तो के अंदर जाने पर जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है.

इस सावन मास में कोरोना संक्रमण ने लगाया ग्रहण, मंदिर हुआ बंद
सिद्धपीठ बाबा गौरी शंकर मंदिर समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि पहले वे लोगों ने पूरी प्लानिंग की थी सावन से पहले कि सावन में मंदिर खोलेंगे क्योंकि आम जनमानस की भावना बाबा से जुड़ी हुई है. पूरी व्यवस्था कर ली थी, लेकिन एन समय में जिलाधिकारी ने सभी मंदिर समिति के लोगों को बुलाया और जिलाधिकारी ने साफ-साफ मना कर दिया कि सावन मास में कोई भी मंदिर बाबा का नहीं खुलेगा. वहीं अतिरिक्त व्यवस्थाएं करके भक्तों को दर्शन करने की बात कही, लेकिन मंदिर प्रांगण और मंदिर परिसर नहीं खोलने का निर्देश दिया. इस कारण मंदिर परिसर बंद कर दिया गया.

अब सावन मास के बाद जिलाधिकारी का जैसा आदेश होगा, उसके अनुरूप कार्य करेंगे. बाबा को सिर्फ जिले के ही नहीं बल्कि आसपास के जिले के कई जिलों के भक्त बहुत ही मानते हैं. सावन मास में यहां हजारों भक्त प्रतिदिन आते थे, जिसमें कि सोमवार को लोगों की इतनी भीड़ होती थी कि मंदिर परिसर में पैर रखने की जगह नहीं होती थी. वहीं इस बार बाबा के सभी भक्त बहुत मायूस है.

भक्तों के दर्शन के लिए निकालें गए तरीके
समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि इस समय कोरोना के मरीज भी बहुत बढ़ रहे हैं. इस कारण मंदिर को बंद रखा गया है. हालांकि भक्तों को दर्शन कराने के लिए एक तरीका निकाला गया है कि एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रातः कालीन और सांय कालीन आरती के दर्शन की व्यवस्था की गई है. वहीं जल्द ही मंदिर परिसर के बाहर एक बड़ा सा टीवी लगवाकर बाबा के लाइव दर्शन कराएंगे. इंटरनेट के माध्यम से भी बाबा की एक वेबसाइट बना रहे हैं, जिसमें सभी 24 घंटे बाबा के लाइव दर्शन कर सकते हैं.

दुकानदारों की बंद हुई रोजी-रोटी
समिति के उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि मंदिर बंद होने के कारण बहुत से दुकानदार भाई जो पूरे सावन मास में मंदिर परिसर के बाहर दुकानें लगाते थे. फूल, माला, बेलपत्र सहित पूजा का सामान इस तरह की जो भी दुकानें यहां लगती थी वह दुकानदार बेचारे अपनी रोजी-रोटी को तरस रहे हैं. उनके आगे बहुत बड़ा संकट रोजी-रोटी का खड़ा हो गया है. हालांकि सभी लोग मजबूर है क्योंकि जिला प्रशासन के आदेश से ही मंदिर बंद किया गया है.

संकट की इस घड़ी में मंदिर समिति ने मांगी मदद
उपाध्यक्ष आशीष मिश्रा का कहना है कि मंदिर बंद होने से मंदिर कोष में भी बहुत बड़ी क्षति है. पिछले 4 महीने से मंदिर बंद है. वहीं मंदिर में करीब 8-10 कर्मचारी काम कर रहे हैं, पुजारी हैं, गार्ड हैं, जिनको सैलरी देनी है तो मंदिर के सामने भी बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा है. इस कड़ी में उन्होंने जिलाधिकारी और अपने भक्तों से निवेदन करने की बात कही है. यह एकमात्र मंदिर है, जो स्वंयभू शिवलिंग है. मंदिर में सावन मास भर रुद्राभिषेक होता है, जिसके लिए पुजारी की नियुक्त किए गए.

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