कन्नौज: जिले में हुए बस हादसे में चौंका देने वाला खुलासा सामने आया है. इसमें अधिक सवारियों को बैठने को लेकर सीटें बढ़ाने के लिए बस की लम्बाई मानकों को ताख पर रखकर बढ़ाई गई थी, जिससे बस की सर्विस डोर की चौड़ाई घटाकर उसमें अधिक सीटें हो जाएं. हादसे के बाद इस बस की अनियमितताओं को लेकर जांच के आदेश दिए गए, जिसके बाद कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेट जांच बैठाई है.
जांच के बाद बस में मिली अनियमितता
- जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश करते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को जांच सौंपी है.
- अभी तक की एआरटीओ की जांच में सामने आया है कि वाहन की लंबाई मानक से दशमलव आठ मीटर ज्यादा थी.
- केंद्रीय मोटर यान अधिनियम के तहत बस की लंबाई का मानक 12 मीटर तय है, यह 12.8 मीटर थी.
- बस 680 मिमी ओवरहैंग मिली है, यानी पिछले टायर के बाद इसका 680 मिमी हिस्सा ज्यादा बाहर निकला था.
- वाहन की सीट 49 की जगह 54 थीं, सर्विस डोर की चौड़ाई मानक के हिसाब से 685 मिमी होनी चाहिए, बस में यह 640 मिमी थी.
- डोर की चौड़ाई 45 मिमी. घटाई गई थी, बस में आपातकालीन द्वार नहीं था.
- रियर विंड स्क्रीन (पीछे का शीशा) शीशे की बनी होनी चाहिए, लेकिन हादसे का शिकार हुई बस में रियर विंड स्क्रीन पर स्टील की चादर लगाई गई थी.
- बस में यदि मानकों का ध्यान रखा जाता तो शायद हादसा न होता और लोगों की जान बच जाती.
- 10 बिंदुओं पर की गई जांच में चतुर्वेदी बस सर्विस की यह बस छह बिंदुओं पर मानकविहीन मिली है.
- यात्रियों की जिंदगी के साथ बस सर्विस के संचालक ने जमकर खिलवाड़ किया.
- अतिरिक्त सीटें लगाने के लिए बस के सर्विस डोर की चौड़ाई घटा दी, बस की लंबाई भी मानक से ज्यादा थी.
मैंने मजिस्ट्रेट इनक्वारी के भी आदेश कर दिए हैं, ताकि कुल कितने यात्री थे, कुल घायल कितने थे, कुल मृतक कितने हैं, इसकी और एक विस्तृत जांच हो जाए. चूंकि मजिस्ट्रेट इनक्वारी में पेपर में निकलवाकर और एक जनसामान्य से भी अपेक्षा की जाती है कि इस सम्बन्ध में जो भी साक्ष्य हों, वह उपलब्ध करा दें. मैंने आज फिर से एआरटीओ को बहुत ही कड़े निर्देश दिए हैं कि किसी भी हालत में डग्गामार वाहन जो अवैध हैं, उनका संचालन नहीं होना चाहिए और यदि यह पाया जायेगा तो वाहन चालकों के खिलाफ तो कार्रवाई होगी ही, साथ ही जो सम्बन्धित अधिकारी है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी और प्रशासन को भी रिपोर्ट भेजी जाएगी.
-रविंद्र कुमार, जिलाधिकारी