वाराणसीः सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अब हिन्दू अध्ययन की पढ़ाई होगी. देश का यह पहला पाठ्यक्रम होगा जिसमें, हिन्दू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होगी. विश्वविद्यालय के कला संकाय में फैकल्टी काउंसलिंग की बैठक में हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम को पारित कर दिया गया. यह पाठ्यक्रम कला संकाय के संस्कृत दर्शनशास्त्र और कला इतिहास विभाग के समन्वय से भारत अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित किया जाएगा.
देश का होगा पहला पाठ्यक्रम
यह देश का पहला पाठ्यक्रम होगा. जिसमें हिंदू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होगी. अगले सत्र के एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पारित होने के बाद इसे शुरू कर दिया जाएगा. बैठक में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर और कला संकाय के प्रमुख विजय बहादुर सिंह और इतिहास विभाग के प्रोफेसर मौजूद रहे. इसके अलावा कई अन्य प्रोफेसर की मौजूदगी में इसे फैकल्टी काउंसिल में पारित किया.
महामना का था सपना
बैठक में शामिल हुए प्रोफेसरों की माने तो यह पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग होगा. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने जिस हिंदू अध्ययन की बात करते थे, वही बात इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूरी की जा सकती है. ऐसे में यह कार्य महामना के बगिया यानि बीएचयू से ही प्रारंभ होना चाहिए.
बीएचयू में पढ़ाया जाएगा हिन्दू अध्ययन कोर्स, मिलेगी पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अब हिन्दू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स कराया जाएगा. विश्वविद्यालय के कला संकाय में फैकल्टी काउंसलिंग की बैठक में हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम को पारित कर दिया गया. यह पाठ्यक्रम कला संकाय के संस्कृत दर्शनशास्त्र और कला इतिहास विभाग के समन्वय समन्वय से भारत अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित किया जाएगा.
वाराणसीः सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाली काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अब हिन्दू अध्ययन की पढ़ाई होगी. देश का यह पहला पाठ्यक्रम होगा जिसमें, हिन्दू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होगी. विश्वविद्यालय के कला संकाय में फैकल्टी काउंसलिंग की बैठक में हिंदू अध्ययन पाठ्यक्रम को पारित कर दिया गया. यह पाठ्यक्रम कला संकाय के संस्कृत दर्शनशास्त्र और कला इतिहास विभाग के समन्वय से भारत अध्ययन केंद्र द्वारा संचालित किया जाएगा.
देश का होगा पहला पाठ्यक्रम
यह देश का पहला पाठ्यक्रम होगा. जिसमें हिंदू अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होगी. अगले सत्र के एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पारित होने के बाद इसे शुरू कर दिया जाएगा. बैठक में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर और कला संकाय के प्रमुख विजय बहादुर सिंह और इतिहास विभाग के प्रोफेसर मौजूद रहे. इसके अलावा कई अन्य प्रोफेसर की मौजूदगी में इसे फैकल्टी काउंसिल में पारित किया.
महामना का था सपना
बैठक में शामिल हुए प्रोफेसरों की माने तो यह पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग होगा. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने जिस हिंदू अध्ययन की बात करते थे, वही बात इस पाठ्यक्रम के माध्यम से पूरी की जा सकती है. ऐसे में यह कार्य महामना के बगिया यानि बीएचयू से ही प्रारंभ होना चाहिए.