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कोरोना काल में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 8000 घरों तक पहुंचाई गिलोय

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में समाजसेवी लोगों के पास गिलोय पहुंचाने का काम कर रहे हैं. लोग इस काम की प्रशंसा कर रहे हैं.

कन्नौज
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Published : Jun 6, 2021, 12:55 PM IST

कन्नौजः कोरोना संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग तमाम आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें से एक है गिलोय. कई आयुर्वेदिक चिकित्सक और प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ गिलोय के सेवन को लाभदायक करार दे रहे हैं. ऐसे में कन्नौज जिले में कई समाजसेवी जंगलों से गिलोय तोड़कर पैकेट बनाकर घर-घर जाकर लोगों को बांट रहे हैं. कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक वह करीब आठ हजार परिवारों तक गिलोय के पैकेट पहुंचा चुके हैं.

घरों तक पहुंचाई गिलोय

वीडियो से प्रेरणा
शहर के मोहल्ला बुधवारी निवासी सौमित्र मिश्र माणिक्य पुत्र अश्वनी कुमार मिश्रा पेशे से अधिवक्ता हैं. साल 2011 से जिला सत्र न्यायालय में वकालत कर रहे हैं. बताते हैं कि कोरोना महामारी के शुरुआत में उनके मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ के प्राचार्य डॉ. मदनलाल भट्ट का एक वीडियो आया. इसमें प्राचार्य ने बताया कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़िया होगी तो कोई रोग नहीं होगा और गिलोय के इस्तेमाल के कई फायदे बताए थे. वीडियो से प्रेरित होकर युवा अधिवक्ता ने घर-घर गिलोय पहुंचाने का संकल्प लिया.

आठ हजार परिवारों तक पहुंचाई गिलोय
गिलोय को अमृत बल्ली, गुरूचि के नामों से भी जाना जाता है. यह आयुर्वेदिक औषधि बैक्टीरिया और वायरस से जनित कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखती है. सौमित्र मिश्र ने बताया कि लोग गिलोय के बारे में जानते तक नहीं है. ऐसे में उन्होंने महामारी से बचाने के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एकला चलो नीति पर गिलोय घरों तक पहुंचाने का काम किया. सौमित्र ने बताया कि लोगों तक गिलोय पहुंचाने के लिए सबसे वह गांवों में जाकर खेतों में गिलोय की खोज करते हैं. शहर से सटे गांव जैसे हैवतपुर कटरा, जलालपुर अमरा, गंगा नदी के किनारों, दाईपुर समेत कई गांवों में घंटों ढ़ूंढ़ने के बाद गिलोय को तोड़कर घर लाते हैं. गिलोय मिलने के बाद उसको तोड़कर घर लाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पैकट तैयार करते हैं. उसके बाद गिलोय के तैयार पैकटों को लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर में करीब चार छह हजार परिवारों तक गिलोय पहुंचाई थी. वहीं दूसरी लहर में दो हजार परिवारों तक गिलोय पहुंचा चुके हैं. साथ ही गिलोय पहुंचाने का काम निरंतर जारी है.

सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग मांगते हैं गिलोय
उन्होंने बताया कि जब गिलोय घरों तक पहुंचाने काम शुरू किया तो लोगों ने हंसी भी बनाई लेकिन उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया. बताया कि जिन लोगों को गिलोय की जरूरत होती है वह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से मैसेज कर गिलोय मंगवा लेते हैं. गैर जनपद से भी कई लोगों को निजी खर्च पर गिलोय के पैकेट भेज चुके हैं. साथ लोगों को गिलोय व अन्य पेड़ पौधे भी लगाने के लिए प्रेरित करते हैं.

इसे भी पढ़ेंः यूपी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, राधा मोहन सिंह आज राज्यपाल से करेंगे मुलाकात !

1100 पीपल लगाने का संकल्प
उन्होंने बताया कि गिलोय बांटने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण भी कर रहे हैं. बताया कि जिले भर में 1100 पीपल के पेड़ लगाने का संकल्प लिया है. बताया कि पीपल के पेड़ नर्सरी में नहीं मिलते हैं. नालियों, नदियों के किनारे से ढूंढकर रोपड़ करने का काम करते हैं. बताया कि अब तक करीब 100 पीपल के पौधे लगा चुके हैं.

कन्नौजः कोरोना संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग तमाम आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जिसमें से एक है गिलोय. कई आयुर्वेदिक चिकित्सक और प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ गिलोय के सेवन को लाभदायक करार दे रहे हैं. ऐसे में कन्नौज जिले में कई समाजसेवी जंगलों से गिलोय तोड़कर पैकेट बनाकर घर-घर जाकर लोगों को बांट रहे हैं. कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक वह करीब आठ हजार परिवारों तक गिलोय के पैकेट पहुंचा चुके हैं.

घरों तक पहुंचाई गिलोय

वीडियो से प्रेरणा
शहर के मोहल्ला बुधवारी निवासी सौमित्र मिश्र माणिक्य पुत्र अश्वनी कुमार मिश्रा पेशे से अधिवक्ता हैं. साल 2011 से जिला सत्र न्यायालय में वकालत कर रहे हैं. बताते हैं कि कोरोना महामारी के शुरुआत में उनके मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ के प्राचार्य डॉ. मदनलाल भट्ट का एक वीडियो आया. इसमें प्राचार्य ने बताया कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़िया होगी तो कोई रोग नहीं होगा और गिलोय के इस्तेमाल के कई फायदे बताए थे. वीडियो से प्रेरित होकर युवा अधिवक्ता ने घर-घर गिलोय पहुंचाने का संकल्प लिया.

आठ हजार परिवारों तक पहुंचाई गिलोय
गिलोय को अमृत बल्ली, गुरूचि के नामों से भी जाना जाता है. यह आयुर्वेदिक औषधि बैक्टीरिया और वायरस से जनित कई बीमारियों को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखती है. सौमित्र मिश्र ने बताया कि लोग गिलोय के बारे में जानते तक नहीं है. ऐसे में उन्होंने महामारी से बचाने के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एकला चलो नीति पर गिलोय घरों तक पहुंचाने का काम किया. सौमित्र ने बताया कि लोगों तक गिलोय पहुंचाने के लिए सबसे वह गांवों में जाकर खेतों में गिलोय की खोज करते हैं. शहर से सटे गांव जैसे हैवतपुर कटरा, जलालपुर अमरा, गंगा नदी के किनारों, दाईपुर समेत कई गांवों में घंटों ढ़ूंढ़ने के बाद गिलोय को तोड़कर घर लाते हैं. गिलोय मिलने के बाद उसको तोड़कर घर लाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पैकट तैयार करते हैं. उसके बाद गिलोय के तैयार पैकटों को लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना की पहली लहर में करीब चार छह हजार परिवारों तक गिलोय पहुंचाई थी. वहीं दूसरी लहर में दो हजार परिवारों तक गिलोय पहुंचा चुके हैं. साथ ही गिलोय पहुंचाने का काम निरंतर जारी है.

सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग मांगते हैं गिलोय
उन्होंने बताया कि जब गिलोय घरों तक पहुंचाने काम शुरू किया तो लोगों ने हंसी भी बनाई लेकिन उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया. बताया कि जिन लोगों को गिलोय की जरूरत होती है वह लोग सोशल मीडिया के माध्यम से मैसेज कर गिलोय मंगवा लेते हैं. गैर जनपद से भी कई लोगों को निजी खर्च पर गिलोय के पैकेट भेज चुके हैं. साथ लोगों को गिलोय व अन्य पेड़ पौधे भी लगाने के लिए प्रेरित करते हैं.

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1100 पीपल लगाने का संकल्प
उन्होंने बताया कि गिलोय बांटने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण भी कर रहे हैं. बताया कि जिले भर में 1100 पीपल के पेड़ लगाने का संकल्प लिया है. बताया कि पीपल के पेड़ नर्सरी में नहीं मिलते हैं. नालियों, नदियों के किनारे से ढूंढकर रोपड़ करने का काम करते हैं. बताया कि अब तक करीब 100 पीपल के पौधे लगा चुके हैं.

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