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1.20 करोड़ की लागत से बनी थी गौशाला, अब निराश्रित मवेशियों की कब्रगाह - Gaushala in Jalabad of Kannauj

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में भारी-भरकम बजट खर्च कर गौशाला का निर्माण किया गया था. कुछ ही समय में यहां की व्यवस्था इतनी बदहाल हो गईं कि गायों की मौत तक हो रही है.

गौशाला
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Published : Dec 15, 2020, 12:15 PM IST

कन्नौजः शासन के निर्देश पर जिले में कई गौशालाएं बनाई गई हैं. इसके लिए सरकार ने अच्छी खासी रकम भी खर्च की है. गौशालाओं की देखरेख न होने की वजह से रोजाना मवेशियों के मरने की बात सामने आ रही है. साथ ही दर्जनों मवेशी भूख प्यास से मरने की कगार पर हैं. जलालबाद ब्लॉक खंड के जसपुरापुर सरैया गांव में स्थित करीब 1.20 करोड़ की लागत से बने वृद्ध गौ संरक्षण केंद्र की हालत दयनीय है. यहां पर रोजाना गौवंशों की मरने की बात सामने आ रही है. सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह में ही सात से ज्यादा गौवंश व गाय मौत के आगोश में समा चुकी हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जो जानवर मर जाते हैं, ग्राम प्रधान बिना उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए नाला में फेंकवा देते है. गौशाला में कई गौवंशों की आंखें फूट गई हैं. 10 से 12 मवेशी अभी मरणासन्न की स्थिति में हैं.

गायों की मौत
क्या है पूरा मामलाजलालबाद ब्लॉक खंड के जसपुरापुर सरैया गांव में शासन ने करीब 1.20 करोड़ की लागत से गौ संरक्षण केंद्र बनवाया था. गौशाला में करीब 170 मवेशी मौजूद हैं. इस गौशाला की देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान ज्योति प्रकाश मिश्रा को सौंपी गई थी लेकिन आरोप है कि ग्राम प्रधान की लापरवाही व देखरेख न होने की वजह से यहां मौजूद मवेशी भूख प्यास या फिर बीमारी से दम तोड़ रहे हैं. गौशाला की स्थिति यह है कि अधिकांश मवेशी कमजोर हालत में हैं. कई गौवंशों की आंखे फूटी हुई हैं. उठने में असमर्थ होने पर उनको उठाकर किनारे डाल दिया जाता है. गौवंश तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं. ग्राम प्रधान की दबंगई के आगे ग्रामीण गांव की गौशाला की दुर्दशा को लेकर शिकायत नहीं कर पाते हैं. जिसके चलते प्रशासन भी बेखबर है. ग्रामीण ने गौशाला को दिए 25 हजार रुपएगौशाला में भूख प्यास से तड़पकर गायों की मौत होते देख गांव के ही विमल बाजपेई से रहा नहीं गया, तो 25 हजार रुपए गौशाला को दान कर दिए. जिसके बाद युवाओं ने गायों के लिए 1 क्वितंल गुड़, चोकर व दाना की व्यवस्था की. जिसके बाद युवाओं की टीम सुबह-शाम गौशाला जाकर मवेशियों को चारा पानी कर देखभाल कर रही है. साथ ही सर्दी से बचाने के लिए 200 झाल भी गौशाला को दी गई हैं. ग्रामीण बोले, रोजाना दम तोड़ रही गाय, विवरण रजिस्टर गायबग्रामीणों ने बताया कि गौशाला की स्थिति दयनीय है. रोजाना गाय दम तोड़ रही हैं. ग्राम प्रधान शवों को उठवाकर दूर नाला में डलवा देते हैं. साथ ही गौशाला का विवरण रजिस्टर भी गायब है. अधिकांश मवेशियों के टैग तक नहीं लगा है. सात माह से नहीं मिले गौशाला के रुपए ग्राम प्रधान ज्योति मिश्रा ने बताया कि सर्दी की वजह से बूढ़ी जर्जर गाय दम तोड़ रही है. मवेशियों की देखरेख के लिए प्रति जानवर 30 रुपए मिलते हैं. वह भी करीब सात माह से नहीं मिले हैं. मवेशियों की मौत की असल वजह पूछने पर ग्राम प्रधान कन्नी काटते नजर आए.

कन्नौजः शासन के निर्देश पर जिले में कई गौशालाएं बनाई गई हैं. इसके लिए सरकार ने अच्छी खासी रकम भी खर्च की है. गौशालाओं की देखरेख न होने की वजह से रोजाना मवेशियों के मरने की बात सामने आ रही है. साथ ही दर्जनों मवेशी भूख प्यास से मरने की कगार पर हैं. जलालबाद ब्लॉक खंड के जसपुरापुर सरैया गांव में स्थित करीब 1.20 करोड़ की लागत से बने वृद्ध गौ संरक्षण केंद्र की हालत दयनीय है. यहां पर रोजाना गौवंशों की मरने की बात सामने आ रही है. सूत्रों के अनुसार एक सप्ताह में ही सात से ज्यादा गौवंश व गाय मौत के आगोश में समा चुकी हैं. ग्रामीणों के मुताबिक जो जानवर मर जाते हैं, ग्राम प्रधान बिना उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए नाला में फेंकवा देते है. गौशाला में कई गौवंशों की आंखें फूट गई हैं. 10 से 12 मवेशी अभी मरणासन्न की स्थिति में हैं.

गायों की मौत
क्या है पूरा मामलाजलालबाद ब्लॉक खंड के जसपुरापुर सरैया गांव में शासन ने करीब 1.20 करोड़ की लागत से गौ संरक्षण केंद्र बनवाया था. गौशाला में करीब 170 मवेशी मौजूद हैं. इस गौशाला की देखरेख की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान ज्योति प्रकाश मिश्रा को सौंपी गई थी लेकिन आरोप है कि ग्राम प्रधान की लापरवाही व देखरेख न होने की वजह से यहां मौजूद मवेशी भूख प्यास या फिर बीमारी से दम तोड़ रहे हैं. गौशाला की स्थिति यह है कि अधिकांश मवेशी कमजोर हालत में हैं. कई गौवंशों की आंखे फूटी हुई हैं. उठने में असमर्थ होने पर उनको उठाकर किनारे डाल दिया जाता है. गौवंश तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं. ग्राम प्रधान की दबंगई के आगे ग्रामीण गांव की गौशाला की दुर्दशा को लेकर शिकायत नहीं कर पाते हैं. जिसके चलते प्रशासन भी बेखबर है. ग्रामीण ने गौशाला को दिए 25 हजार रुपएगौशाला में भूख प्यास से तड़पकर गायों की मौत होते देख गांव के ही विमल बाजपेई से रहा नहीं गया, तो 25 हजार रुपए गौशाला को दान कर दिए. जिसके बाद युवाओं ने गायों के लिए 1 क्वितंल गुड़, चोकर व दाना की व्यवस्था की. जिसके बाद युवाओं की टीम सुबह-शाम गौशाला जाकर मवेशियों को चारा पानी कर देखभाल कर रही है. साथ ही सर्दी से बचाने के लिए 200 झाल भी गौशाला को दी गई हैं. ग्रामीण बोले, रोजाना दम तोड़ रही गाय, विवरण रजिस्टर गायबग्रामीणों ने बताया कि गौशाला की स्थिति दयनीय है. रोजाना गाय दम तोड़ रही हैं. ग्राम प्रधान शवों को उठवाकर दूर नाला में डलवा देते हैं. साथ ही गौशाला का विवरण रजिस्टर भी गायब है. अधिकांश मवेशियों के टैग तक नहीं लगा है. सात माह से नहीं मिले गौशाला के रुपए ग्राम प्रधान ज्योति मिश्रा ने बताया कि सर्दी की वजह से बूढ़ी जर्जर गाय दम तोड़ रही है. मवेशियों की देखरेख के लिए प्रति जानवर 30 रुपए मिलते हैं. वह भी करीब सात माह से नहीं मिले हैं. मवेशियों की मौत की असल वजह पूछने पर ग्राम प्रधान कन्नी काटते नजर आए.
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