कन्नौज: जिला अस्पताल में करीब डेढ़ माह पहले जन्मी बच्ची को उसके ही पिता ने अपनाने से इनकार कर दिया. बच्ची को जन्म देने के थोड़ी देर बाद मां की मौत हो गई. पिता ने अस्पताल स्टाफ पर बच्चा बदलने का आरोप लगाकर अपने साथ ले जाने से इंकार कर दिया. काफी समझाने के बाद भी परिजन बच्ची को अपनाने को तैयार नहीं है. अब डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही बच्ची के भविष्य फैसला होगा कि वह पिता के पास रहेगी या फिर बाल गृह में. फिलहाल बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती है. वार्ड के कर्मचारी बच्ची की देखभाल कर रहे है. कोई बच्ची के लिए कपड़े ला रहा है तो कोई कुछ और सामान ला रहा है.
क्या है पूरा मामला
सदर कोतवाली के वंसरामऊ गांव निवासी आरती की शादी औरैया के बेला गांव निवासी आकाश के साथ हुई थी. बीते 11 सितंबर को आरती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. आरती ने एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे को जन्म देने के बाद आरती की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई. पत्नी की मौत के बाद पति ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और बच्चा बदलने का आरोप लगाकर हंगामा शुरू कर दिया. आकाश का आरोप था कि उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल बेटे की जगह बेटी दे रहा है, जिस पर उसने बेटी को लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद मौके पर पहुंचे सीएमएस डॉ. शक्ति बसु ने प्रसूता के भर्ती होने से लेकर बच्चे के जन्मतक के इंट्री रजिस्टरों को आकाश को दिखाया, जिसमें बेटी होने की बात दर्ज थी. लेकिन फिर भी वह बेटी को साथ ले जाने को राजी नहीं हुआ. हंगामा काटने के बाद वह पत्नी का शव लेकर चला गया और बेटी को अस्पताल में ही छोड़ दिया.
एसएनसीयू वार्ड में कराया गया भर्ती
मां की मौत और पिता से ठुकराए जाने पर एक दिन की बच्ची की हालत बिगड़ गई. इस पर बच्ची को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया. बताया जा रहा है कि बच्ची की टीएलसी बढ़ गई थी. इलाज के बाद अब बच्ची स्वस्थ है.
पिता ने की डीएनए टेस्ट की मांग
मासूम बच्ची के पिता आकाश का कहना था कि बिना डीएनए टेस्ट के उसको बेटी नहीं मानूगां. क्योंकि पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल में उसे बदल दिया गया. पिता की मांग पर उसका और बच्ची का सैंपल लेकर लखनऊ के फॉरेसिंक लैब में भेज दिया. पत्नी का सैंपल पहले से ही अस्पताल प्रशासन के पास मौजूद था. अब अस्पताल प्रशासन को डीएनए रिपोर्ट का इंतजार है.
अस्पताल कर्मचारियों ने बच्ची का नाम रखा परी
पिता द्वारा छोड़ी गई बच्ची जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती है. बच्ची की देखभाल डॉक्टर और वार्ड की नर्स और कर्मचारी कर रहे हैं. कर्मचारी बच्ची को परी के नाम से पुकारते हैं. परी के लिए स्टाफ के लोग नए कपड़े भी ला रहे हैं. आलम ये है कि कर्मचारियों के आवाज देने या इशारा करने पर परी भी अपने हाथ पैर हिलाकर प्रतिक्रिया देती है.
परी भेजी जाएगी लखनऊ बाल गृह
सीएमएस डॉ. शक्ति बसु ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट आने में समय लगेगा. ऐसे में बच्ची को एसएनसीयू वार्ड में रखना खतरे से खाली नहीं है. वहां पर परी को इंफेक्शन होने का खतरा है. परिवार वाले परी को अपनाने से इंकार कर रहे हैं. जब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आती है, बच्ची को लखनऊ के बाल गृह भेजा जाएगा. भेजने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी.
अस्पताल में नहीं बदला गया बच्चा
डॉ. शक्ति बसु का कहना है कि आरती ने बच्ची को जन्म दिया था. जन्म से लेकर वार्ड में भर्ती करने तक सभी अभिलेखों में कन्या दर्ज है. बच्चा बदलने का आरोप गलत है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और नर्सों से भी पूछताछ की गई थी, लेकिन बेटा होने की कहीं पुष्टि नहीं हुई है. अब डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी.