ETV Bharat / state

झांसी: यहां हाइवे बनी गौशाला, हो रही दुर्घटनाएं

उत्तर प्रदेश में झांसी से लखनऊ की ओर आते समय राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह हाइवे पर बीचोबीच गौवंश का झुंड दिखाई दे रहा है. यहां हर रोज 2 से 3 गाय दुर्घटना में मर जाती हैं.

हाइवे पर गौवंश के झुंड से हो रही है दुर्घटना.
author img

By

Published : Oct 17, 2019, 5:14 PM IST

झांसी: बुन्देलखण्ड में छुट्टा यानी अन्ना पशुओं के कारण एक ओर जहां किसान मुश्किल में हैं तो दूसरी ओर ये अन्ना पशु राष्ट्रीय राजमार्गों पर कब्जा जमाए दिखाई देते हैं. झांसी से लखनऊ की ओर आते समय राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे भले ही कोई गौवंश न दिखाई दे, लेकिन जगह-जगह हाइवे पर बीचोबीच गौवंश का झुंड दिखाई दे जाता है. लिहाजा यह अनुमान लगा पाना भी मुश्किल होता है कि यह हाइवे है या गौशाला.

हाइवे पर गौवंश के झुंड से हो रही है दुर्घटना.


इसे भी पढ़ें-पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर : प्रदेश में बवाल, AAP ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन


हाइवे पर गौवंश का झुंड
आवारा जानवरों का यह झुंड झांसी कानपुर हाइवे पर ही नहीं बल्कि झांसी से मऊरानीपुर की ओर जाने वाली सड़क पर भी दिखाई देता है. झांसी कानपुर राजमार्ग पर ग्राम बरल के निकट हाइवे पर बड़ी संख्या में गौवंश सड़क पर दिखाई दे जाते हैं. खेतों से खदेड़े जाने या फिर अंधेरे में ये सड़क पर अपना ठिकाना बनाते हैं. दूसरी ओर सड़क पर चलने वाले वाहनों की स्पीड पर ब्रेक लगता है. अक्सर दुर्घटना में गौवंश की मौत होती है. दुर्घटनाओं में इंसानों की भी जान जाती है.


हर रोज गौवंशों की मौत
बरल गांव के रहने वाले जीतेन्द्र बताते हैं कि यहां हर रोज 2 से 3 गाय मर जाती हैं. उन्हें उठाना भी हम ही लोगों को पड़ता है. ये खेतों में जाती हैं तो लोग वहां से खदेड़ते हैं. करगुवां के पास एक गौशाला बनी थी लेकिन वह बनते ही उखड़ गई.

बन रही 200 गौशालाएं
झांसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे बताते हैं कि अन्ना प्रथा यहां की बड़ी समस्या रही है. सरकार और जिला प्रशासन प्रयासरत है कि किस तरह से यह समस्या दूर हो. झांसी से होकर जाने वाली हाइवे पर यह समस्या हमेशा से रही है. इसके लिए हमने जनपद में 200 गौ आश्रय स्थल स्थानीय स्तर पर बनवाये हैं.


गौशालाओं में व्यवस्थाओं का दावा
सीडीओ कहते हैं कि जितने भी गौ आश्रय स्थल बनाये जा रहे हैं उनमें चारा, पानी और शेड की व्यवस्था है, ताकि जितने भी गौवंश इसमें रखें जाएं, वे सुरक्षित रहें. ये दो तरीके से नुकसान करते हैं. एक तो इनके कारण सड़क पर दुर्घटना होती है और दूसरे ये फसलों को खराब करते हैं.

झांसी: बुन्देलखण्ड में छुट्टा यानी अन्ना पशुओं के कारण एक ओर जहां किसान मुश्किल में हैं तो दूसरी ओर ये अन्ना पशु राष्ट्रीय राजमार्गों पर कब्जा जमाए दिखाई देते हैं. झांसी से लखनऊ की ओर आते समय राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे भले ही कोई गौवंश न दिखाई दे, लेकिन जगह-जगह हाइवे पर बीचोबीच गौवंश का झुंड दिखाई दे जाता है. लिहाजा यह अनुमान लगा पाना भी मुश्किल होता है कि यह हाइवे है या गौशाला.

हाइवे पर गौवंश के झुंड से हो रही है दुर्घटना.


इसे भी पढ़ें-पुष्पेंद्र यादव एनकाउंटर : प्रदेश में बवाल, AAP ने राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन


हाइवे पर गौवंश का झुंड
आवारा जानवरों का यह झुंड झांसी कानपुर हाइवे पर ही नहीं बल्कि झांसी से मऊरानीपुर की ओर जाने वाली सड़क पर भी दिखाई देता है. झांसी कानपुर राजमार्ग पर ग्राम बरल के निकट हाइवे पर बड़ी संख्या में गौवंश सड़क पर दिखाई दे जाते हैं. खेतों से खदेड़े जाने या फिर अंधेरे में ये सड़क पर अपना ठिकाना बनाते हैं. दूसरी ओर सड़क पर चलने वाले वाहनों की स्पीड पर ब्रेक लगता है. अक्सर दुर्घटना में गौवंश की मौत होती है. दुर्घटनाओं में इंसानों की भी जान जाती है.


हर रोज गौवंशों की मौत
बरल गांव के रहने वाले जीतेन्द्र बताते हैं कि यहां हर रोज 2 से 3 गाय मर जाती हैं. उन्हें उठाना भी हम ही लोगों को पड़ता है. ये खेतों में जाती हैं तो लोग वहां से खदेड़ते हैं. करगुवां के पास एक गौशाला बनी थी लेकिन वह बनते ही उखड़ गई.

बन रही 200 गौशालाएं
झांसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे बताते हैं कि अन्ना प्रथा यहां की बड़ी समस्या रही है. सरकार और जिला प्रशासन प्रयासरत है कि किस तरह से यह समस्या दूर हो. झांसी से होकर जाने वाली हाइवे पर यह समस्या हमेशा से रही है. इसके लिए हमने जनपद में 200 गौ आश्रय स्थल स्थानीय स्तर पर बनवाये हैं.


गौशालाओं में व्यवस्थाओं का दावा
सीडीओ कहते हैं कि जितने भी गौ आश्रय स्थल बनाये जा रहे हैं उनमें चारा, पानी और शेड की व्यवस्था है, ताकि जितने भी गौवंश इसमें रखें जाएं, वे सुरक्षित रहें. ये दो तरीके से नुकसान करते हैं. एक तो इनके कारण सड़क पर दुर्घटना होती है और दूसरे ये फसलों को खराब करते हैं.

Intro:झांसी. बुन्देलखण्ड में छुट्टा यानि अन्ना पशुओं के कारण एक ओर जहां किसान मुश्किल में है तो दूसरी ओर ये अन्ना पशु राष्ट्रीय राजमार्गों पर कब्जा जमाए दिखाई देते हैं। आलम यह है कि झांसी से लखनऊ की ओर आते समय राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे भले ही कोई गौवंश न दिखाई दे लेकिन जगह-जगह हाइवे पर बीचोबीच गौवंश का झुंड दिखाई दे जाता है। यह अनुमान लगा पाना भी मुश्किल होता है कि यह हाइवे है या गौशाला।


Body:हाइवे पर गौवंश का झुंड

आवारा जानवरों का यह झुंड झांसी कानपुर हाइवे पर ही नहीं बल्कि झांसी से मऊरानीपुर की ओर जाने वाली सड़क पर भी दिखाई देता है। झांसी कानपुर राजमार्ग पर ग्राम बरल के निकट हाइवे पर बड़ी संख्या में गौवंश सड़क पर दिखाई दे जाते हैं। खेतों से खदेड़े जाने या फिर अंधेरे में ये सड़क पर अपना ठिकाना बनाते हैं। दूसरी ओर सड़क पर चलने वाले वाहनों की स्पीड पर ब्रेक लगता है। अक्सर दुर्घटना में गौवंश की मौत होती है। दुर्घटनाओं में इंसानों की भी जान जाती है।

हर रोज गौवंशों की मौत

बरल गांव के रहने वाले जीतेन्द्र बताते हैं कि यहां हर रोज 2 से 3 गाय मर जाती हैं। उन्हें उठाना भी हम ही लोगों को पड़ता है। ये खेतों में जाती हैं तो लोग वहां से खदेड़ते हैं। करगुवां के पास एक गौशाला बनी थी लेकिन वह बनते ही उखड़ गई।


Conclusion:बन रही 200 गौशालाएं

झांसी के मुख्य विकास अधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे बताते हैं कि अन्ना प्रथा यहां की बड़ी समस्या रही है। सरकार और जिला प्रशासन प्रयासरत है कि किस तरह से यह समस्या दूर हो। झांसी से होकर जाने वाली हाइवे पर यह समस्या हमेशा से रही है। इसके लिए हमने जनपद में 200 गौ आश्रय स्थल स्थानीय स्तर पर बनवाये हैं।

गौशालाओं में व्यवस्थाओं का दावा

सीडीओ कहते हैं कि जितने भी गौ आश्रय स्थल बनाये जा रहे हैं उनमें चारा, पानी और शेड की व्यवस्था है ताकि जितने भी गौवंश इसमें रखें जाएं, वे सुरक्षित रहें। ये दो तरीके से नुकसान करते हैं। एक तो इनके कारण सड़क पर दुर्घटना होती है और दूसरे ये फसलों को खराब करते हैं।

बाइट - जितेंद्र - ग्रामीण
बाइट - निखिल टीकाराम फुण्डे - सीडीओ
पीटीसी

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
9454013045
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.