झांसी : जनपद में इन दिनों लगातार पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की ओर से रोक के बावजूद खेतों में पराली जलाई जा रही है. मामला जब जिला प्रशासन के सामने आया तो आनन-फानन में इसकी जांच एडीएम को सौंपी गई. फिलहाल एडीएम पराली जलाने के मामलों की जांच कर रहे हैं.
- पराली जलाने से आसपास के इलाकों में प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि लोगों का धुएं की वजह से दम घुटने लगता है.
- इतना ही नहीं ग्रामीण श्वास संबंधी बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं.
- एनजीटी ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पराली जलाने पर रोक लगाई है.
- लेकिन लोग नियमों को ताक पर रखकर पराली जला रहे हैं.
- पराली जलाने वालों पर 50 हजार तक जुर्माना किया जा सकता है.
क्षेत्रीय भ्रमण के बाद मुझे जानकारी हुई है कि जो किसान हार्वेस्टर से अपनी फसल कटवाते हैं. उसके बाद जो खेतों में फसल के अवशेष बचते हैं. उसमें वे स्वयं आग लगा देते हैं. यह एनजीटी के प्रावधानों का घोर उल्लंघन है. ऐसे ही एक मामले में एसओ चिरगांव से रिपोर्ट मांगी गई है और अन्य सभी पराली के मामलों में एसडीएम को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि वे गांवों में लेखपालों द्वारा सर्वे करा लें. जिन भी किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामले सामने आएंगे. उन पर एनजीटी के नियमों के तहत जुर्माना लगाकर कार्रवाई की जाएगी.
-नागेंद्र शर्मा, एडीएम