झांसी: लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं को जारी रखना सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी. ऐसे में सरकारी कार्यों को जारी रखकर रेलवे ने सेवाओं को बरकरार रखने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उत्तर मध्य रेलवे के झांसी रेल मण्डल में ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर की मदद से काम शुरू हुआ. कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए ऑनलाइन माध्यम के जरिए काम को दोबारा शुरू किया गया. आज स्थिति यह है कि झांसी मण्डल में रेलवे दफ्तरों में 95 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुके हैं.
लॉकडाउन के दौरान भले ही शुरुआती दौर में यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद हुआ हो, लेकिन आवश्यक सेवाओं के लिए मालगाड़ी का संचालन बड़ी चुनौती थी. सब्जी, अनाज, तेल, दवाएं व अन्य आवश्यक सामग्रियों के परिवहन के लिए व्यापारियों और जिला प्रशासन के लिए रेलवे मुख्य सहारा था. रेलवे ने कर्मचारियों और अफसरों को संक्रमण से बचाने और सेवाओं को जारी रखने के मकसद से इस दौरान अधिकांश पत्राचार ऑनलाइन शुरू किए.
ये थी जिम्मेदारी
लॉकडाउन में झांसी मण्डल रेलवे को झांसी में फंसे प्रवासी श्रमिकों को विशेष ट्रेन के जरिए गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली. साथ ही आइसोलेशन कोच तैयार करने का काम भी सौंपा गया. झांसी स्थित रेलवे अस्पताल को कोविड अस्पताल में बदलने का भी काम शुरू हुआ. इन सब कामों के लिए होने वाले हमेशा पत्राचारों में पत्र भेजा जाता था, लेकिन इस बार सब कुछ ऑनलाइन ई-ऑफिस की मदद से भेजा जाने लगा, ताकि संक्रमण की संभावना को कम किया जा सके.
5 से 95 प्रतिशत तक पहुंचा ई-ऑफिस का उपयोग
रेलवे अफसरों के मुताबिक, झांसी मण्डल में ई-ऑफिस की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुई थी. उस समय 5 से 7 प्रतिशत काम ही ई-ऑफिस के माध्यम से होता था. लॉकडाउन के बाद डीआरएम संदीप माथुर ने पहल की. इसके बाद कर्मचारियों व अफसरों ने ऑनलाइन काम करने में दिलचस्पी दिखाई. हालात यह है कि अब डीआरएम के मुख्य कार्यालय में 95 प्रतिशत काम और शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुके हैं.
फाइलों का जल्द हो रहा निपटारा
रेलवे अफसरों का कहना है कि जो फाइलें अफसरों के टेबल पर कई दिनों तक पड़ी रहती थीं, वह अब उसी दिन निस्तारित हो जा रही हैं. फाइलों को संबंधित टेबल पर निर्धारित दिन ही पहुंचाई जा रही हैं. ऐसे ही चार से पांच दिनों तक लंबित रहने वाले मामलों को अब एक ही दिन में निपटा दिया जाता है. इतना ही नहीं, मुख्यालय भेजे जाने वाले अधिकांश सन्देश भी ऑनलाइन भेजे जा रहे हैं और निर्देश भी त्वरित मिल जा रहे हैं.
पेपरलेस होने की कगार पर झांसी मण्डल
ऑनलाइन पत्राचार के कारण बड़ी मात्रा में कागज व अन्य स्टेशनरी की बचत हो रही है. इसके अलावा मैसेंजर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति पर भी जिम्मेदारी का बोझ कम हुआ है. कर्मचारी और अफसर अब धीरे-धीरे इस नई तकनीकी के अभ्यस्त होते जा रहे हैं. इस प्रतिशत को बरकरार रखते हुए इसके प्रयोग को और बढ़ाने की कवायद चल रही है.
मेंटल बैरियर के कारण कम था उपयोग
झांसी रेलवे मण्डल के डीआरएम संदीप माथुर बताते हैं कि ई-ऑफिस भारत सरकार का एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म है, जिस पर फाइल और रोजाना तौर पर पत्राचार डील कर सकते हैं. लॉकडाउन से पहले अक्टूबर से मार्च तक इसका इस्तेमाल तो शुरू हो गया था, लेकिन एक तरह का मेंटल बैरियर होने के कारण ई-ऑफिस का बहुत कम प्रयोग होता था. धीरे-धीरे सभी अधिकारी इसकी जानकारी ले रहे हैं.
डीआरएम के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान भी लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मालगाड़ी को नियमित रूप से चलाना था. अस्पताल में आइसोलेशन वॉर्ड और क्वॉरंटाइन सेंटर तैयार करने थे, कोविड ट्रेन व कोच बनाने थे और श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने थे. इन सबके लिए पत्राचार की जरूरत थी. फाइलों के मूवमेंट में काफी दिक्कत हो रही थी और संक्रमण का खतरा भी था, इसीलिए ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर पर काम शुरू हुआ.
रेलवे का फाइल वर्क हुआ काफी तेज
डीआरएम कार्यालय में लगभग 95 प्रतिशत फाइलें ई-ऑफिस पर डील हो रही हैं. शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत काम, जबकि डाक में 100 प्रतिशत कार्य ई-ऑफिस के माध्यम से हो रहे हैं. अब कोई कर्मचारी डाक लेकर मुख्यालय इलाहाबाद नहीं जाता, बल्कि वह भी काम ई-ऑफिस पर ही हो जा रहा है. इससे रेलवे का फाइल वर्क काफी तेज हो गया है और पेपर की बचत हो रही है. फाइलों के माध्यम से होने वाले संक्रमण की संभावना पर भी रोक लगी है.