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लक्ष्मी ताल के नगर पार्क पर अतिक्रमण का मामला पहुंचा NGT, प्रशासन की भूमिका पर सवाल - NGT sent notice to Jhansi Development Authority

झांसी के ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के निकट प्रस्तावित नगर पार्क की जमीन पर अतिक्रमण मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अधिकारियों से जवाब-तलब किया है. एनजीटी ने जिले के अफसरों से इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है.

ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल.
ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल.
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Published : Jul 18, 2021, 4:40 PM IST

झांसीः ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के निकट प्रस्तावित नगर पार्क की जमीन पर अतिक्रमण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में पहुंचने के बाद अब जिले के अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं. तालाब के आसपास की जमीन पर पिछले कई दशकों में अतिक्रमण कर मकान बनाये जाने की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से की थी. अब एनजीटी ने जिले के अफसरों से इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है.

ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मामले की सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है. एनजीटी ने दो महीने में सटेटस रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के अफसरों से तलब की है. आदेश में कहा गया है कि इन दो महीनों में ग्राउंड सर्वे करा लिया जाए और इस दौरान एकत्रित की गई कार्रवाई की जानकारी भी एनजीटी को दी जाए. यहां तालाब को संरक्षित करने के लिए बाउंड्रीवाल बनाने, पानी की गुणवत्ता, जल संरक्षण की योजना, तालाब में तरल और ठोस अपशिष्ट पदार्थों का फेंका जाना, तालाब का डूब क्षेत्र, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई, जन जागरूकता आदि विषयों को समेटते हुए कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा है.जिले के सामाजिक कार्यकर्ता गिरिजा शंकर राय, बी एल भास्कर, नरेंद्र कुशवाहा और प्रदीप कुमार नामदेव ने एनजीटी याचिका दाखिल की थी. इस पर नगर नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव, झांसी के मंडलायुक्त, डीएम, झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सचिव से जवाब तलब किया गया है. याचिका में कहा गया है कि ऐतिहासिक लक्ष्मीताल के निकट स्थित झांसी महायोजना के तहत प्रस्तावित नगर पार्क की भूमि पर अवैध निर्माण किया जा रहा है. अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने और दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग की गई है.

इसे भी पढ़ें-फील्ड में चेकिंग का काम छोड़कर थाने में मिले थाना प्रभारी, एसएसपी ने किया लाइन हाजिर


एनजीटी के आदेश के बाद शासन और स्थानीय प्रशासन के स्तर पर सक्रियता बढ़ गई है. इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई के लिए टीम गठित की गई है. जिसमें राजस्व विभाग व झांसी विकास प्राधिकरण के अफसर शामिल हैं. पुराने रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं और अतिक्रमण को लेकर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा जुटाया जा रहा है. स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए ग्राउंड सर्वे करने की जिम्मेदारी भी टीम को दी गई है. आला अफसर इस पूरे मामले की कार्रवाई अपनी निगरानी में करा रहे हैं. झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित के अनुसार इस मामले में टीम गठित की गई है और दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की जा रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले गिरिजा शंकर राय ने बताया कि 1984 में जेडीए का गठन हुआ और महायोजना के तहत शहर में दो बड़े पार्क बनाये जाने थे. लक्ष्मी ताल के पास जो जमीन थी, उसमें प्लाटिंग कर ली गई. यहां 83 एकड़ जमीन में से 59 एकड़ जमीन बची है. हमने एनजीटी में शिकायत की थी. एनजीटी ने अफसरों को नोटिस भेजा है और हमे उम्मीद है कि मामले में कार्रवाई की जाएगी.

झांसीः ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल के निकट प्रस्तावित नगर पार्क की जमीन पर अतिक्रमण का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में पहुंचने के बाद अब जिले के अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं. तालाब के आसपास की जमीन पर पिछले कई दशकों में अतिक्रमण कर मकान बनाये जाने की शिकायत सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से की थी. अब एनजीटी ने जिले के अफसरों से इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है.

ऐतिहासिक लक्ष्मी ताल.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस मामले की सुनवाई के लिए 25 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है. एनजीटी ने दो महीने में सटेटस रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के अफसरों से तलब की है. आदेश में कहा गया है कि इन दो महीनों में ग्राउंड सर्वे करा लिया जाए और इस दौरान एकत्रित की गई कार्रवाई की जानकारी भी एनजीटी को दी जाए. यहां तालाब को संरक्षित करने के लिए बाउंड्रीवाल बनाने, पानी की गुणवत्ता, जल संरक्षण की योजना, तालाब में तरल और ठोस अपशिष्ट पदार्थों का फेंका जाना, तालाब का डूब क्षेत्र, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई, जन जागरूकता आदि विषयों को समेटते हुए कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत करने को कहा है.जिले के सामाजिक कार्यकर्ता गिरिजा शंकर राय, बी एल भास्कर, नरेंद्र कुशवाहा और प्रदीप कुमार नामदेव ने एनजीटी याचिका दाखिल की थी. इस पर नगर नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव, झांसी के मंडलायुक्त, डीएम, झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सचिव से जवाब तलब किया गया है. याचिका में कहा गया है कि ऐतिहासिक लक्ष्मीताल के निकट स्थित झांसी महायोजना के तहत प्रस्तावित नगर पार्क की भूमि पर अवैध निर्माण किया जा रहा है. अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने और दोषी अफसरों पर कार्रवाई की मांग की गई है.

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एनजीटी के आदेश के बाद शासन और स्थानीय प्रशासन के स्तर पर सक्रियता बढ़ गई है. इस पूरे मामले की जांच और कार्रवाई के लिए टीम गठित की गई है. जिसमें राजस्व विभाग व झांसी विकास प्राधिकरण के अफसर शामिल हैं. पुराने रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं और अतिक्रमण को लेकर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा जुटाया जा रहा है. स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए ग्राउंड सर्वे करने की जिम्मेदारी भी टीम को दी गई है. आला अफसर इस पूरे मामले की कार्रवाई अपनी निगरानी में करा रहे हैं. झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित के अनुसार इस मामले में टीम गठित की गई है और दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की जा रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता और एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाले गिरिजा शंकर राय ने बताया कि 1984 में जेडीए का गठन हुआ और महायोजना के तहत शहर में दो बड़े पार्क बनाये जाने थे. लक्ष्मी ताल के पास जो जमीन थी, उसमें प्लाटिंग कर ली गई. यहां 83 एकड़ जमीन में से 59 एकड़ जमीन बची है. हमने एनजीटी में शिकायत की थी. एनजीटी ने अफसरों को नोटिस भेजा है और हमे उम्मीद है कि मामले में कार्रवाई की जाएगी.

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