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झांसी : शौचालय निर्माण का लक्ष्य हासिल करने में बाधा बन रही पलायन की समस्या - स्वच्छ भारत मिशन

झांसी जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है. लेकिन पलायन की समस्या के चलते कई ऐसे गांव है, जहां अभी भी शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है.

जानकारी देते सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे.
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Published : Mar 27, 2019, 1:05 PM IST

झांसी: स्वच्छ भारत मिशन के तहत झांसी जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन अभी भी जनपद में बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण होना बाकी है. जनपद के कई गांव ऐसे हैं, जहां अभी भी बहुत सारे लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है. दरअसल बुंदेलखंड से होने वाला पलायन भी इस योजना के क्रियान्वयन पर खासा असर डाल रहा है.

जानकारी देते सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे.


दरअसल योजना के तहत पात्रता के परीक्षण के लिए जब टीम गांव में पहुंचती है तो कई घरों में ताला लगा मिलता है. ये परिवार ऐसे होते हैं, जो कुछ समय विशेष के लिए पलायन करते हैं और फिर वापस आ जाते हैं. सर्वे में छूट जाने के बाद ऐसे परिवारों को योजना में शामिल कर पाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है.


बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता भानू सहाय का कहना है कि बुंदेलखंड से रोजगार की तलाश में बड़े पैमाने पर पलायन होता है. जब सरकारी टीम जाती है तो और उनके घरों पर ताला लगा रहता है. ऐसे में सर्वे के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है.


बेसलाइन सर्वे 2012 के तहत जनपद में लगभग एक लाख शौचालय बनाये जाने थे और जनपद ने वह लक्ष्य हासिल कर लिया था. इस सर्वे में छूटे लोगों को चिह्नित कराने के लिए सर्वे कराया गया तो 31 हजार नए लाभार्थी सामने आए. इन नए लाभार्थियों में से 25 प्रतिशत यानि 7913 शौचालय बनाए जा चुके हैं.


झांसी के सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे बताते हैं कि जो शौचालय निर्माण के काम बचे हैं, वे इन्हीं कारणों के चलते है. दरअसल झांसी की विशेष परिस्थिति है कि यहां से पलायन बहुत ज्यादा होता है और इसके अलावा कई अन्य कारण भी है. उनका कहना है कि प्रयास किया जा रहा है कि शौचालय निर्माण का जो बचा हुआ काम है, उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा.

झांसी: स्वच्छ भारत मिशन के तहत झांसी जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है, लेकिन अभी भी जनपद में बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण होना बाकी है. जनपद के कई गांव ऐसे हैं, जहां अभी भी बहुत सारे लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है. दरअसल बुंदेलखंड से होने वाला पलायन भी इस योजना के क्रियान्वयन पर खासा असर डाल रहा है.

जानकारी देते सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे.


दरअसल योजना के तहत पात्रता के परीक्षण के लिए जब टीम गांव में पहुंचती है तो कई घरों में ताला लगा मिलता है. ये परिवार ऐसे होते हैं, जो कुछ समय विशेष के लिए पलायन करते हैं और फिर वापस आ जाते हैं. सर्वे में छूट जाने के बाद ऐसे परिवारों को योजना में शामिल कर पाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है.


बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता भानू सहाय का कहना है कि बुंदेलखंड से रोजगार की तलाश में बड़े पैमाने पर पलायन होता है. जब सरकारी टीम जाती है तो और उनके घरों पर ताला लगा रहता है. ऐसे में सर्वे के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है.


बेसलाइन सर्वे 2012 के तहत जनपद में लगभग एक लाख शौचालय बनाये जाने थे और जनपद ने वह लक्ष्य हासिल कर लिया था. इस सर्वे में छूटे लोगों को चिह्नित कराने के लिए सर्वे कराया गया तो 31 हजार नए लाभार्थी सामने आए. इन नए लाभार्थियों में से 25 प्रतिशत यानि 7913 शौचालय बनाए जा चुके हैं.


झांसी के सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे बताते हैं कि जो शौचालय निर्माण के काम बचे हैं, वे इन्हीं कारणों के चलते है. दरअसल झांसी की विशेष परिस्थिति है कि यहां से पलायन बहुत ज्यादा होता है और इसके अलावा कई अन्य कारण भी है. उनका कहना है कि प्रयास किया जा रहा है कि शौचालय निर्माण का जो बचा हुआ काम है, उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा.

Intro:झांसी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत झांसी जिले को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है लेकिन अभी भी जनपद में बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण होना बाकी है। जनपद के कई गाँव ऐसे हैं, जहाँ अभी भी बहुत सारे लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका। दरअसल बुंदेलखंड से होने वाला पलायन भी इस योजना के क्रियान्वयन पर खासा असर डालता है। 





Body:दरअसल योजना के तहत पात्रता के परीक्षण के लिए जब टीम गाँव में जाती है तो कई घरों पर टाला लगा मिलता है। ये परिवार ऐसे होते हैं जो कुछ समय विशेष के लिए पलायन करते हैं और फिर वापस आ जाते हैं। सर्वे में छूट जाने के बाद ऐसे परिवारों को योजना में शामिल कर पाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होती है। बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता भानू सहाय कहते हैं कि बुंदेलखंड से रोजगार की तलाश में बड़े पैमाने पर पलायन होता है। जब सरकारी टीम जाएगी और उसके घर पर ताला पड़ा रहता है। ऐसे में क्या सर्वे होता है। स्टेशनों पर जाकर देख सकते हैं कि किस तरह से यहाँ से लोगों का पलायन हो रहा है। 




Conclusion:बेसलाइन सर्वे 2012 के तहत जनपद में लगभग एक लाख शौचालय बनाये जाने थे और जनपद ने वह लक्ष्य हासिल कर लिया था। इस सर्वे में छूटे लोगों को चिह्नित कराने के लिए सर्वे कराया गया तो 31 हज़ार नए लाभार्थी सामने आये। इन नए लाभार्थियों में से 25 प्रतिशत यानि 7913 शौचालय बनाये जा चुके हैं। झांसी के सीडीओ निखिल टीकाराम फुंडे बताते हैं कि जो शौचालय निर्माण के काम बचे हैं, उनके कुछ कारण हैं। झांसी की विशेष परिस्थिति है कि यहाँ से पलायन बहुत ज्यादा होता है और इसके अलावा कई अन्य कारण हैं। प्रयास है कि शौचालय निर्माण का जो बचा हुआ काम है, उसे जल्द पूरा कर लिया जाये। 


बाइट - भानू सहाय - अध्यक्ष, बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा 

बाइट - निखिल टीकाराम फुंडे - सीडीओ, झांसी 


लक्ष्मी नारायण शर्मा 

झांसी 

9454013045 

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