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बाढ़ पीड़ितों को बचाने में झांसी का लाल असम में शहीद, पत्नी-बेटे ने कहा- 'बहुत याद आओगे आप' - Soldiers martyred in rescuing victims

असम में बाढ़ पीड़ितों को बचाने में झांसी के जवान वीरेंद्र सिंह गौर शहीद हो गए. रविवार को उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो सभी की आंखे नम हो गईं.

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जवान को अंतिम विदाई
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Published : Jul 3, 2022, 6:00 PM IST

झांसी: जनपद के मऊरानीपुर का लाल असम में बाढ़ पीड़ितों को बचाने में शहीद हो गया. रविवार की सुबह जवान का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. सम्मान के साथ सैनिक को अंतिम विदाई दी गई. इतना ही नहीं पत्नी और बेटे ने पिता को कांपते हाथों से सैल्यूट किया. इस दौरान पूरा वातावरण भारत माता के जयकारों से इलाका गूंज उठा.

जवान वीरेंद्र सिंह गौर को अंतिम विदाई दी गई

सकरार गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह गौर 17 साल पहले सशस्त्र सीमा बल में भर्ती हुए थे. 34वीं बटालियन में तैनात सैनिक की ड्यूटी असम में बाढ़ आने के बाद बचाव कार्य के लिए पश्चिम बंगाल और असम सीमा पर थी. इसी दौरान भूटान बॉर्डर से अचानक पानी का तेज सैलाब आने से बटालियन के 12 जवान तेज बहाव में बह गए. इसमे झांसी के ब्रजेंद्र सिंह भी शामिल थे, जिनका शव शुक्रवार बरामद हुआ था. जैसे ही यह सूचना परिजनों को मिली तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, रविवार की सुबह सम्मान के साथ सैनिक का पार्थिव शरीर गांव लाया गया, जिसे देखकर परिजनों में कोहराम मच गया. एक के बाद एक लोग जवान के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. परिवार को रोता-बिलखते देख सभी की आंखें नम हो गईं.

यह भी पढ़ें- तेज रफ्तार बस ने बाइक सवारों को मारी टक्कर, मौत

सशस्त्र सीमा बल और यूपी पुलिस के संयुक्त जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ जवान वीरेंद्र सिंह गौर को अंतिव विदाई दी. इस दौरान जहां एक तरफ पत्नी और बेटे ने पिता को कांपते हाथों से सैल्यूट किया तो दूसरी ओर लोगों ने ब्रजेंद्र सिंह अमर रहे, भारत मात की जयकारे लगाए. परिजनों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि अगले 2 से 3 महीने में वह घर आएंगे. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. जबकि बेटे ने कहा 'आप बहुत याद आओगे'. वहीं, मऊरानीपुर विधायक प्रतिनिधि जयप्रकाश आर्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने जवान के परिवारजनों को हर संभव मदद और शहीद पार्क बनाने का आश्वासन दिया है.

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झांसी: जनपद के मऊरानीपुर का लाल असम में बाढ़ पीड़ितों को बचाने में शहीद हो गया. रविवार की सुबह जवान का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. सम्मान के साथ सैनिक को अंतिम विदाई दी गई. इतना ही नहीं पत्नी और बेटे ने पिता को कांपते हाथों से सैल्यूट किया. इस दौरान पूरा वातावरण भारत माता के जयकारों से इलाका गूंज उठा.

जवान वीरेंद्र सिंह गौर को अंतिम विदाई दी गई

सकरार गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह गौर 17 साल पहले सशस्त्र सीमा बल में भर्ती हुए थे. 34वीं बटालियन में तैनात सैनिक की ड्यूटी असम में बाढ़ आने के बाद बचाव कार्य के लिए पश्चिम बंगाल और असम सीमा पर थी. इसी दौरान भूटान बॉर्डर से अचानक पानी का तेज सैलाब आने से बटालियन के 12 जवान तेज बहाव में बह गए. इसमे झांसी के ब्रजेंद्र सिंह भी शामिल थे, जिनका शव शुक्रवार बरामद हुआ था. जैसे ही यह सूचना परिजनों को मिली तो पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, रविवार की सुबह सम्मान के साथ सैनिक का पार्थिव शरीर गांव लाया गया, जिसे देखकर परिजनों में कोहराम मच गया. एक के बाद एक लोग जवान के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. परिवार को रोता-बिलखते देख सभी की आंखें नम हो गईं.

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सशस्त्र सीमा बल और यूपी पुलिस के संयुक्त जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर के साथ जवान वीरेंद्र सिंह गौर को अंतिव विदाई दी. इस दौरान जहां एक तरफ पत्नी और बेटे ने पिता को कांपते हाथों से सैल्यूट किया तो दूसरी ओर लोगों ने ब्रजेंद्र सिंह अमर रहे, भारत मात की जयकारे लगाए. परिजनों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि अगले 2 से 3 महीने में वह घर आएंगे. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. जबकि बेटे ने कहा 'आप बहुत याद आओगे'. वहीं, मऊरानीपुर विधायक प्रतिनिधि जयप्रकाश आर्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने जवान के परिवारजनों को हर संभव मदद और शहीद पार्क बनाने का आश्वासन दिया है.

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