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झांसी: पूर्व नेशनल चैंपियन अब्दुल गनी खिलाड़ियों को दे रहे बॉक्सिंग का प्रशिक्षण - former boxing champion abdul gani

उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी अब्दुल गनी बॉक्सिंग में डंका बचा चुके हैं. गनी बॉक्सिंग में नेशनल चैम्पियन भी रह चुके हैं. अब्दुल गनी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने अपने काम और जिले में बॉक्सिंग के विकास पर बात की.

boxing champion abdul gani
बॉक्सिंग चैंपियन अब्दुल गनी से ईटीवी भारत ने की बातचीत.
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Published : Mar 12, 2020, 5:10 PM IST

झांसी: कभी प्रदेश और देश में झांसी के रहने वाले बॉक्सिंग खिलाड़ी अब्दुल गनी के नाम का डंका बजा करता था. वर्तमान में रेलवे में उप मुख्य टिकट परीक्षक के रुप में कार्यरत अब्दुल भले ही अपने समय में उपेक्षा का शिकार हुए हों लेकिन वे वर्तमान समय में अपने कई साथियों के साथ नए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने अब्दुल गनी के साथ उनके कैरियर को लेकर खास बातचीत की.

बॉक्सिंग चैंपियन अब्दुल गनी से ईटीवी भारत ने की बातचीत.
रेलवे में कार्यरत हैं अब्दुल गनी
अब्दुल गनी ने बताया कि इस समय वे रेलवे में डिप्टी सीटीआई के रूप में कार्यरत हैं. वह आरोप लगाते हैं कि साल 1993 और 1994 में अटलांटिका और फिलीपींस ओलम्पिक में उन्हें अवसर नहीं दिया गया, जबकि वे कैम्प में नम्बर एक पर थे. साथ ही बताया कि किसी कारण से छुट्टी पर घर आए और वहां सेलेक्शन दूसरे लोगों का हो गया. इसके बाद मनोबल कमजोर हो चुका था.

लेटर गायब करने के लगाए आरोपअब्दुल गनी बताते हैं कि साल 1994 में नौकरी लग गई. झांसी में टिकट कलेक्टर के रूप में नौकरी जॉइन कर ली. इससे पहले वो नेशनल चैंपियन बने थे, तो बैंकाक और फिलीपींस का लेटर आया था लेकिन यहां से लेटर गायब कर दिया गया. साथ ही बताया गया कि टीम चली गई और अब्दुल का लेटर फाड़ कर फेंक दिया गया था.

इसे भी पढ़ें: 500 साल पुराने इस हनुमान मंदिर में पूरी होती हैं मुरादें


खिलाड़ियों को दे रहे प्रशिक्षण
अब्दुल बताते हैं कि झांसी में जो भी कोच आते हैं वे हॉस्टल के बच्चों को रेस्पॉन्स देते हैं. सामान्य बच्चों को रेस्पॉन्स नहीं देते. उन्होंने बताया कि कुछ लोग व्यक्तिगत स्तर पर बच्चों को प्रैक्टिस करवा रहे हैं. साथ ही बताया कि अभी कई बच्चों ने बॉक्सिंग में गोल्ड और सिल्वर और ब्रॉन्ज जीता है. अब्दुल मुफ्त में बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं. ड्यूटी से छूटने के बाद जिस तरह से समय मिलता है, बच्चों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय करते हैं. कई साथी सहयोग करते हैं और बच्चों को अपने स्तर पर संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं. अब्दुल कहते हैं कि सरकार की ओर से बॉक्सिंग खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है, जिसका उनको दुख है.

झांसी: कभी प्रदेश और देश में झांसी के रहने वाले बॉक्सिंग खिलाड़ी अब्दुल गनी के नाम का डंका बजा करता था. वर्तमान में रेलवे में उप मुख्य टिकट परीक्षक के रुप में कार्यरत अब्दुल भले ही अपने समय में उपेक्षा का शिकार हुए हों लेकिन वे वर्तमान समय में अपने कई साथियों के साथ नए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने अब्दुल गनी के साथ उनके कैरियर को लेकर खास बातचीत की.

बॉक्सिंग चैंपियन अब्दुल गनी से ईटीवी भारत ने की बातचीत.
रेलवे में कार्यरत हैं अब्दुल गनी
अब्दुल गनी ने बताया कि इस समय वे रेलवे में डिप्टी सीटीआई के रूप में कार्यरत हैं. वह आरोप लगाते हैं कि साल 1993 और 1994 में अटलांटिका और फिलीपींस ओलम्पिक में उन्हें अवसर नहीं दिया गया, जबकि वे कैम्प में नम्बर एक पर थे. साथ ही बताया कि किसी कारण से छुट्टी पर घर आए और वहां सेलेक्शन दूसरे लोगों का हो गया. इसके बाद मनोबल कमजोर हो चुका था.

लेटर गायब करने के लगाए आरोपअब्दुल गनी बताते हैं कि साल 1994 में नौकरी लग गई. झांसी में टिकट कलेक्टर के रूप में नौकरी जॉइन कर ली. इससे पहले वो नेशनल चैंपियन बने थे, तो बैंकाक और फिलीपींस का लेटर आया था लेकिन यहां से लेटर गायब कर दिया गया. साथ ही बताया गया कि टीम चली गई और अब्दुल का लेटर फाड़ कर फेंक दिया गया था.

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खिलाड़ियों को दे रहे प्रशिक्षण
अब्दुल बताते हैं कि झांसी में जो भी कोच आते हैं वे हॉस्टल के बच्चों को रेस्पॉन्स देते हैं. सामान्य बच्चों को रेस्पॉन्स नहीं देते. उन्होंने बताया कि कुछ लोग व्यक्तिगत स्तर पर बच्चों को प्रैक्टिस करवा रहे हैं. साथ ही बताया कि अभी कई बच्चों ने बॉक्सिंग में गोल्ड और सिल्वर और ब्रॉन्ज जीता है. अब्दुल मुफ्त में बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं. ड्यूटी से छूटने के बाद जिस तरह से समय मिलता है, बच्चों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय करते हैं. कई साथी सहयोग करते हैं और बच्चों को अपने स्तर पर संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं. अब्दुल कहते हैं कि सरकार की ओर से बॉक्सिंग खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है, जिसका उनको दुख है.

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