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अतिक्रमण कर बनाए जा रहे कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में विकास प्राधिकरण की भूमिका संदिग्ध

उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में नाले पर अतिक्रमण कर कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं. जांच में पाया गया कि अतिक्रमण कर बनाए जा रहे कमर्शियल कॉम्पलेक्स के निर्माण के लिए नक्शा विकास प्रधिकरण ने ही पास किया था.

प्रधिकरण की भूमिका संदिग्ध
प्रधिकरण की भूमिका संदिग्ध
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Published : Apr 5, 2021, 5:39 AM IST

झांसी: जिले के चित्रा चौराहे के नाले पर अतिक्रमण कर कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं. कमर्शियल कॉम्पलेक्स के निर्माण में झांसी नगर निगम के अफसरों की भूमिका सामने आई है. नगर निगम की ओर से कराई गई जांच में सामने आया है कि निर्माण कार्य के लिए नक्शा विकास प्राधिकरण ने पास किया है.

प्रधिकरण की भूमिका संदिग्ध

जाने पूरा मामला

झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित ने बताया कि एक नाले को बहने से रोके जाने की कई बार शिकायत आई है. इस मामले में नगर निगम के अधिकारी जांच कर रहे हैं, और यह मामला हमारे संज्ञान में भी है. जहां तक मानचित्र स्वीकृत करने की बात है तो इसकी फाइल को देखा गया है. इसमें जो औपचारिकता होती है, उसके तहत नगर निगम से 2014 में अनापत्ति ली गई थी. दोबारा इसकी पुष्टि कराई गई थी. नगर निगम से अनापत्ति लेने के बाद ही नक्शा स्वीकृत किया गया है. पूरे मामले पर जेडीए के उपाध्यक्ष ने बताया कि नगर निगम जिस तरह चाहेगा, बिल्डर उस तरह नाला बनायेगा. नाला नहीं बनाएगा तो हम निर्माण कार्य को होने नहीं देंगे. नाला बहुत आवश्यक है और जनहित का काम है. यह नगर निगम को तय करना है कि नाला किधर से जाएगा. इसी शर्त पर एनओसी दी गई थी कि नगर निगम तय करे कि नाला किधर से और कहां जाएगा. नाला पहले भी था और आगे भी रहेगा.

इसे भी पढ़ें : AAP का MCD पर आरोप: कहा- रानी झांसी फ्लाईओवर निर्माण में 546 करोड़ का घोटाला

झांसी: जिले के चित्रा चौराहे के नाले पर अतिक्रमण कर कमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं. कमर्शियल कॉम्पलेक्स के निर्माण में झांसी नगर निगम के अफसरों की भूमिका सामने आई है. नगर निगम की ओर से कराई गई जांच में सामने आया है कि निर्माण कार्य के लिए नक्शा विकास प्राधिकरण ने पास किया है.

प्रधिकरण की भूमिका संदिग्ध

जाने पूरा मामला

झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित ने बताया कि एक नाले को बहने से रोके जाने की कई बार शिकायत आई है. इस मामले में नगर निगम के अधिकारी जांच कर रहे हैं, और यह मामला हमारे संज्ञान में भी है. जहां तक मानचित्र स्वीकृत करने की बात है तो इसकी फाइल को देखा गया है. इसमें जो औपचारिकता होती है, उसके तहत नगर निगम से 2014 में अनापत्ति ली गई थी. दोबारा इसकी पुष्टि कराई गई थी. नगर निगम से अनापत्ति लेने के बाद ही नक्शा स्वीकृत किया गया है. पूरे मामले पर जेडीए के उपाध्यक्ष ने बताया कि नगर निगम जिस तरह चाहेगा, बिल्डर उस तरह नाला बनायेगा. नाला नहीं बनाएगा तो हम निर्माण कार्य को होने नहीं देंगे. नाला बहुत आवश्यक है और जनहित का काम है. यह नगर निगम को तय करना है कि नाला किधर से जाएगा. इसी शर्त पर एनओसी दी गई थी कि नगर निगम तय करे कि नाला किधर से और कहां जाएगा. नाला पहले भी था और आगे भी रहेगा.

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