ETV Bharat / state

झांसी: इन दीयों से घरों को करें रोशन, गायों को भी मिल जाएगा पोषण - जेब

बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इस बार दीपावली पर घरों को रोशन करने के लिए गाय के गोबर से बने दीये तैयार किए गए हैं. यह दीये प्रदूषण कम करने के लिहाज से फायदेमंद हैं ही, साथ ही इन दीयों की कीमत जेब पर कम भार डालेगी.

दीपावली
दीपावली
author img

By

Published : Nov 10, 2020, 5:14 PM IST

झांसी. रोशनी के पर्व दीपावली पर इस बार बाजारों में नए प्रयोग देखने को मिल रहे हैं. झांसी के बाजारों में गाय के गोबर से बने दीये और मूर्तियां बिक रही हैं. पर्यावरण के लिए फायदेमंद इन दीयों और मूर्तियों की डिमांड को देखकर व्यापारी भी उत्साहित हैं. झांसी की कई गोशालाओं में इस तरह के दीपक बनाने का प्रशिक्षण बहुत दिनों से दिया जा रहा है.

दीपावली
दीपावली


गोशालाओं की होगी मदद
दीयों की बिक्री करने वाले उमेश के मुताबिक इन दीपकों को गाय के गोबरों से तैयार किया गया है. दीये बनाने के लिए गोशालाओं से गाय के गोबर को इकट्ठा किया जाता है. इन दियों की बिक्री से मिलने वाली रकम से गोशालाओं को मदद पहुंचाई जाएगी. उमेश कहते हैं कि इस तरह का दीपक पहली बार बनाया गया है. यह दीपक पानी में डालने पर भी नहीं गलेगा. गोबर से बने इस दीये की कीमत पर भी ध्यान दिया गया है, जिससे किसी की जेब पर ज्यादा असर न पड़े. उमेश के मुताबिक फिलहाल 50 रुपए के 21 दीपक बेचे जा रहे हैं.

प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद
स्थानीय निवासी रोहित ने बताया कि इस दीये से न तो चाइनीज झालर की तरह कोई रेडिएशन फैलेगा, न ही कीड़ों की सम्भावना होगी. इस दीये का बाद में खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकेगा. दीपावली में लाइट, झालर और दूसरे तरह के दीपक से प्रदूषण की संभावना रहती थी, वह भी कम होगी.

दीपावली
दीपावली

झांसी. रोशनी के पर्व दीपावली पर इस बार बाजारों में नए प्रयोग देखने को मिल रहे हैं. झांसी के बाजारों में गाय के गोबर से बने दीये और मूर्तियां बिक रही हैं. पर्यावरण के लिए फायदेमंद इन दीयों और मूर्तियों की डिमांड को देखकर व्यापारी भी उत्साहित हैं. झांसी की कई गोशालाओं में इस तरह के दीपक बनाने का प्रशिक्षण बहुत दिनों से दिया जा रहा है.

दीपावली
दीपावली


गोशालाओं की होगी मदद
दीयों की बिक्री करने वाले उमेश के मुताबिक इन दीपकों को गाय के गोबरों से तैयार किया गया है. दीये बनाने के लिए गोशालाओं से गाय के गोबर को इकट्ठा किया जाता है. इन दियों की बिक्री से मिलने वाली रकम से गोशालाओं को मदद पहुंचाई जाएगी. उमेश कहते हैं कि इस तरह का दीपक पहली बार बनाया गया है. यह दीपक पानी में डालने पर भी नहीं गलेगा. गोबर से बने इस दीये की कीमत पर भी ध्यान दिया गया है, जिससे किसी की जेब पर ज्यादा असर न पड़े. उमेश के मुताबिक फिलहाल 50 रुपए के 21 दीपक बेचे जा रहे हैं.

प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद
स्थानीय निवासी रोहित ने बताया कि इस दीये से न तो चाइनीज झालर की तरह कोई रेडिएशन फैलेगा, न ही कीड़ों की सम्भावना होगी. इस दीये का बाद में खाद के रूप में भी उपयोग किया जा सकेगा. दीपावली में लाइट, झालर और दूसरे तरह के दीपक से प्रदूषण की संभावना रहती थी, वह भी कम होगी.

दीपावली
दीपावली

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.