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झांसी: जल संकट से जूझ रहा बुंदेलखंड, चुनावी एजेंडा बनाने में जुटे नेता

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Published : Apr 20, 2019, 1:10 AM IST

जिले में राजनीतिक दल बुंदेलखंड की समस्याओं को दूर करने के दावे और वादे लगातार करते रहे हैं, लेकिन जल संकट के स्थायी समाधान की बात चुनाव के दौरान कोई भी प्रत्याशी करता दिखाई नहीं देता है. इन प्रत्याशियों का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचने के मकसद से बुंदेलखंड के कई संगठनों ने एक अनोखा घोषणा पत्र तैयार किया है.

जल संकट से जूझ रहा बुंदेलखंड

झांसी: बुंदेलखंड में जल संकट साल दर साल गहराता जा रहा है. यहां पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट हमेशा से ही लोगों की जिंदगी पर असर डालता रहा है. पलायन से लेकर किसानों की खुदकुशी जैसी समस्याएं पानी के संकट के कारण पैदा होती रही हैं. बुंदेलखंड के यूपी के हिस्से में झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबा आते हैं. सभी जिलों में पेयजल का संकट है. परमार्थ संस्था, जल सहेली और पानी पंचायत नाम की संस्थाओं ने मिलकर एक घोषणा पत्र तैयार किया है. जिसे पिछले दिनों लखनऊ और झांसी से जारी किया गया.

जल संकट की जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह

घोषणा पत्र में की मांग

  • बुंदेलखंड में पीने के पानी पर सार्वजनिक व्यय में बढ़ोत्तरी की जाए.
  • पीने के पानी के परंपरागत स्रोतों का संरक्षण कर उन्हें विकसित करने की कोशिश की जाए.
  • पानी पर खर्च होने वाले बजट को लेकर पारदर्शिता बरती जाए और लोगों को सभी तरह के खर्च की जानकारी दी जाए.
  • जल सम्बन्धी योजनाओं और कार्यक्रमों के निर्माण में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए.
  • बुंदेलखंड में जल सम्बन्धी योजनाओं का सोशल आडिट कराया जाए.

बुंदेलखंड की जल समस्या स्थाई रूप से कभी नहीं बनी. राजनीतिक दल चुनाव के समय जल संकट दूर करने का वादा करते है. इन वादों का जमीन पर असर नहीं होता. एक अध्ययन के मुताबिक बुंदेलखंड में 60 प्रतिशत हैण्डपम्प खराब पड़े हैं. पेयजल की 70 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं काम नहीं कर रही हैं.
संजय सिंह सामाजिक कार्यकर्ता

हमारे गांव में पाइप लाइन बिछी है. उसमें पानी नहीं आता है. नेता वोट मांगने आएंगे तो हम उन्हें यह घोषणा पत्र दिखाएंगे और समस्या के समाधान का आश्वासन मांगेंगे. हमारी समस्या के समाधान की बात वे नहीं करेंगे तो हम अपना वोट उन्हें नहीं देंगे.
मायादेवी जल सहेली संस्था की सदस्य

झांसी: बुंदेलखंड में जल संकट साल दर साल गहराता जा रहा है. यहां पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट हमेशा से ही लोगों की जिंदगी पर असर डालता रहा है. पलायन से लेकर किसानों की खुदकुशी जैसी समस्याएं पानी के संकट के कारण पैदा होती रही हैं. बुंदेलखंड के यूपी के हिस्से में झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबा आते हैं. सभी जिलों में पेयजल का संकट है. परमार्थ संस्था, जल सहेली और पानी पंचायत नाम की संस्थाओं ने मिलकर एक घोषणा पत्र तैयार किया है. जिसे पिछले दिनों लखनऊ और झांसी से जारी किया गया.

जल संकट की जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह

घोषणा पत्र में की मांग

  • बुंदेलखंड में पीने के पानी पर सार्वजनिक व्यय में बढ़ोत्तरी की जाए.
  • पीने के पानी के परंपरागत स्रोतों का संरक्षण कर उन्हें विकसित करने की कोशिश की जाए.
  • पानी पर खर्च होने वाले बजट को लेकर पारदर्शिता बरती जाए और लोगों को सभी तरह के खर्च की जानकारी दी जाए.
  • जल सम्बन्धी योजनाओं और कार्यक्रमों के निर्माण में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए.
  • बुंदेलखंड में जल सम्बन्धी योजनाओं का सोशल आडिट कराया जाए.

बुंदेलखंड की जल समस्या स्थाई रूप से कभी नहीं बनी. राजनीतिक दल चुनाव के समय जल संकट दूर करने का वादा करते है. इन वादों का जमीन पर असर नहीं होता. एक अध्ययन के मुताबिक बुंदेलखंड में 60 प्रतिशत हैण्डपम्प खराब पड़े हैं. पेयजल की 70 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं काम नहीं कर रही हैं.
संजय सिंह सामाजिक कार्यकर्ता

हमारे गांव में पाइप लाइन बिछी है. उसमें पानी नहीं आता है. नेता वोट मांगने आएंगे तो हम उन्हें यह घोषणा पत्र दिखाएंगे और समस्या के समाधान का आश्वासन मांगेंगे. हमारी समस्या के समाधान की बात वे नहीं करेंगे तो हम अपना वोट उन्हें नहीं देंगे.
मायादेवी जल सहेली संस्था की सदस्य

Intro:झांसी. बुन्देलखण्ड में जल संकट साल दर साल गहराता जा रहा है। यहां पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट हमेशा से ही लोगों की जिंदगी पर असर डालता रहा है। पलायन से लेकर किसानों की खुदकुशी जैसी समस्याएं पानी के संकट के कारण पैदा होती रही हैं। राजनीतिक दल बुन्देलखण्ड की समस्याओं को दूर करने के दावे और वादे लगातार करते रहे हैं लेकिन जल संकट के स्थायी समाधान की बात चुनाव के दौरान कोई भी प्रत्याशी करता दिखाई नहीं देता। इन प्रत्याशियों का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचने के मकसद से बुन्देलखण्ड के कई संगठनों ने एक अनोखा घोषणा पत्र तैयार किया है।


Body:बुन्देलखण्ड के यूपी के हिस्से में झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबा आते हैं। सभी जिलों में पेयजल का भयानक संकट है। परमार्थ संस्था, जल सहेली और पानी पंचायत नाम की संस्थाओं ने मिलकर यह घोषणा पत्र तैयार किया है, जिसे पिछले दिनों लखनऊ और झांसी से जारी किया गया।

घोषणा पत्र में मांग की गई है कि -

- बुन्देलखण्ड में पीने के पानी पर सर्वजनिक व्यय में बढ़ोत्तरी की जाए।
- पीने के पानी के परंपरागत स्रोतों का संरक्षण कर उन्हें विकसित करने की कोशिश की जाए।
- पानी पर खर्च होने वाले बजट को लेकर पारदर्शिता बरती जाए और लोगों को सभी तरह के खर्च की जानकारी दी जाए।
- जल सम्बन्धी योजनाओं और कार्यक्रमों के निर्माण में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- बुन्देलखण्ड में जल सम्बन्धी योजनाओं का सोशल आडिट कराया जाए।


Conclusion:परमार्थ संस्था के संयोजक और सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह बताते हैं कि बुन्देलखण्ड की जल समस्या स्थाई रूप से कभी नहीं बनी। राजनीतिक दल चुनाव के समय यहां का जल संकट दूर करने का वादा करता है। इन वादों का जमीन पर असर नहीं होता। एक अध्ययन के मुताबिक बुन्देलखण्ड में 60 प्रतिशत हैण्डपम्प खराब पड़े हैं। पेयजल की 70 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं काम नहीं कर रही हैं।

जल सहेली संस्था से जुड़ी मायादेवी कहती हैं कि हमारे गांव में पाइपलाइन बिछी है। उसमें पानी नहीं आता है। नेता वोट मांगने आएंगे तो हम उन्हें यह घोषणा पत्र दिखाएंगे और समस्या के समाधान का आश्वासन मांगेंगे। हमारी समस्या के समाधान की बात वे नहीं करेंगे तो हम अपना वोट उन्हें नहीं देंगे।

बाइट - संजय सिंह - सामाजिक कार्यकर्ता
बाइट - मायादेवी - जल सहेली संस्था की सदस्य

लक्ष्मी नारायण शर्मा
झांसी
09454013045
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