झांसी: पॉलिटेक्निक गैंगरेप केस में 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा दिलाने वाले अधिवक्ता विजय कुशवाहा पर हमले की कोशिश की गई है. बताया जा रहा है कि शुक्रवार की देर रात विजय कुशवाहा परिवार के साथ घूमने निकले थे. जब वह नवाबाद थाना क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप पर कार में पेट्रोल डलवाने के लिए रुके तो एक अज्ञात व्यक्ति कार के गेट का हैंडल पकड़कर काफी दूर तक पीछा किया. किसी तरह अधिवक्ता हमलावर से बच निकले. इसके बाद उन्होंने तत्काल पुलिस को मामले की सूचना दी. फिलहाल पुलिस आरोपी की पहचान के लिए CCTV फुटेज खंगालने में जुट गई है.
गौरतलब है कि झांसी के पॉलिटेक्निक कॉलेज में हुए गैंगरेप के 8 दोषियों को बीते 3 अक्टूबर को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से विजय कुशवाहा ने पैरवी की थी. उन्होंने सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई थी. अधिवक्ता विजय कुशवाहा ने बताया कि इलाइट-सीपरी रोड स्थित एक पेट्रोल पंप पर उन्होंने कार में पेट्रोल भरवाया. जैसे ही कार आगे बढ़ाई तो हाथ में लाल रंग का बैग लिए हुए एक संदिग्ध व्यक्ति ने उनकी गाड़ी के ड्राइवर साइड गेट का हैंडल पकड़ लिया.
उसका इरादा भांपते हुए उन्होंने कार को लॉक कर लिया. थोड़ा सा शीशा खोलकर उसे धमकाया. तब भी वह नहीं माना और कार का हैंडल पकड़कर काफी दूर तक दौड़ता रहा. जब उसको पुलिस को बुलाने की बात कहकर धमकाया तो उसने हैंडल छोड़ा और काफी दूर तक कार के पीछे दौड़ता रहा. इसके बाद सिग्नल पर पहुंचकर उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया. मामले में सीओ सिटी राजेश राय ने बताया कि आरोपी की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की तलाश की जा रही है.
पीड़िता ने पिता ने भी खतरे की जताई थी आशंका: गौरतलब है कि जिस दिन इस मामले में आरोपियों को सजा सुनाई गई, उस वक्त पीड़ित के पिता ने न्यायालय के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि था उन्हें कानून पर पूरा भरोसा था. न्यायालय ने अपराधियों को उनके सही अंजाम तक पहुंचाने का काम किया. बेटी ने भी फैसले पर संतोष जताया था. उनका कहना था कि पुलिस और प्रशासन ने भी पूरा सहयोग दिया. लेकिन, मुकदमे की सुनवाई के दौरान उन्हें हर समय खतरा बना रहा. विपक्षियों की ओर से समझौता करने के लिए उन्हें तमाम प्रलोभन दिए गए. इसके लिए दबाव भी बनवाया गया. जब वे नहीं माने तो धमकाया भी गया. खतरा अब भी बरकरार है. हालांकि न्यायालय की तरफ से अभियुक्तों को दोषी करार देने के बाद से पुलिस ने पीड़िता के घर के बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया था.
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