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ई-ऑफिस से झांसी रेल मंडल का 95 प्रतिशत तक काम हो चुका है पेपरलेस

यूपी के झांसी में रेलवे ने ई-ऑफिस के जरिए अपना काम शुरू कर दिया है. कोरोना के कारण झांसी रेल मण्डल में सरकारी फाइलों को ऑनलाइन एक टेबल से दूसरे टेबल तक भेजने के लिए ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर की मदद से काम हो रहा है. झांसी मण्डल के रेलवे दफ्तरों में 95 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुका है.

कोरोना से बचने के लिए ई-ऑफिस की शुरुआत.
कोरोना से बचने के लिए ई-ऑफिस की शुरुआत.
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Published : Aug 13, 2020, 12:07 AM IST

झांसी : जिले में रेलवे ने ई-ऑफिस के जरिए अपना काम शुरू कर दिया है. कोरोना के कारण झांसी रेल मण्डल में सरकारी फाइलों को ऑनलाइन एक टेबल से दूसरे टेबल तक भेजने के लिए ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर की मदद से काम हो रहा है. झांसी मण्डल के रेलवे दफ्तरों में 95 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुका है.

95 प्रतिशत तक पेपरलेस हो चुका है काम

रेलवे अफसरों के मुताबिक झांसी मण्डल में ई-ऑफिस की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी. उस समय 5 से 7 प्रतिशत काम ही इस पर हो पा रहा था. इसके बाद अचानक हुए लॉकडाउन के बाद, डीआरएम संदीप माथुर की पहल पर कर्मचारियों और अफसरों ने इसमें दिलचस्पी दिखानी शुरू की. अब स्थिति यह है कि डीआरएम के मुख्य कार्यालय में 95 प्रतिशत काम और शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुका है.

फाइलों का जल्द हो रहा निपटारा
रेलवे अफसरों के मुताबिक जो फाइलें अफसरों की टेबल पर कई दिनों तक पड़ी रहती थी, वह अब उसी दिन निस्तारित हो जा रही हैं. फाइल संबंधित टेबल पर उसी दिन पहुँच जा रही है और संबंधित अधिकारी उसी दिन अपना निर्णय या टिप्पणी दर्ज कर दे रहे हैं. बहुत सारे मामले जो चार से पांच दिन तक लंबित रहते थे, अब एक ही दिन में निपट जा रहे हैं. इतना ही नहीं मुख्यालय भेजे जाने वाले अधिकांश सन्देश भी ऑनलाइन भेजे जा रहे हैं और निर्देश भी त्वरित मिल जा रहे हैं.

पेपरलेस होने के कगार पर झांसी मण्डल

कोरोना संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन पत्राचार के कारण इस अवधि में बड़ी मात्रा में कागज व अन्य स्टेशनरी की बचत हुई है. इसके अलावा मैसेंजर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति पर भी जिम्मेदारी का बोझ कम हुआ. कर्मचारी और अफसर अब धीरे-धीरे इस नई तकनीक के अभ्यस्त हो रहे हैं. इस प्रयोग को और बढ़ाने की कवायद चल रही है.

डीआरएम बताते हैं कि इस समय हमारे ऑफिस में 95 प्रतिशत फाइलें ई-ऑफिस पर डील हो रही हैं. शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत जबकि डाक 100 प्रतिशत ई-ऑफिस के माध्यम से आ रहे हैं. अब हमारा कोई कर्मचारी डाक लेकर मुख्यालय इलाहाबाद नहीं जाता. बल्कि वह भी ई-ऑफिस पर चली जा रही है. इससे रेलवे का फाइल वर्क काफी तेज हो गया है. पेपर की भी बचत हो रही है. फाइलों से होने वाले संक्रमण की संभावना भी इससे कम है.

झांसी : जिले में रेलवे ने ई-ऑफिस के जरिए अपना काम शुरू कर दिया है. कोरोना के कारण झांसी रेल मण्डल में सरकारी फाइलों को ऑनलाइन एक टेबल से दूसरे टेबल तक भेजने के लिए ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर की मदद से काम हो रहा है. झांसी मण्डल के रेलवे दफ्तरों में 95 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुका है.

95 प्रतिशत तक पेपरलेस हो चुका है काम

रेलवे अफसरों के मुताबिक झांसी मण्डल में ई-ऑफिस की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में हुई थी. उस समय 5 से 7 प्रतिशत काम ही इस पर हो पा रहा था. इसके बाद अचानक हुए लॉकडाउन के बाद, डीआरएम संदीप माथुर की पहल पर कर्मचारियों और अफसरों ने इसमें दिलचस्पी दिखानी शुरू की. अब स्थिति यह है कि डीआरएम के मुख्य कार्यालय में 95 प्रतिशत काम और शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत तक काम पेपरलेस हो चुका है.

फाइलों का जल्द हो रहा निपटारा
रेलवे अफसरों के मुताबिक जो फाइलें अफसरों की टेबल पर कई दिनों तक पड़ी रहती थी, वह अब उसी दिन निस्तारित हो जा रही हैं. फाइल संबंधित टेबल पर उसी दिन पहुँच जा रही है और संबंधित अधिकारी उसी दिन अपना निर्णय या टिप्पणी दर्ज कर दे रहे हैं. बहुत सारे मामले जो चार से पांच दिन तक लंबित रहते थे, अब एक ही दिन में निपट जा रहे हैं. इतना ही नहीं मुख्यालय भेजे जाने वाले अधिकांश सन्देश भी ऑनलाइन भेजे जा रहे हैं और निर्देश भी त्वरित मिल जा रहे हैं.

पेपरलेस होने के कगार पर झांसी मण्डल

कोरोना संक्रमण के बीच हुए लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन पत्राचार के कारण इस अवधि में बड़ी मात्रा में कागज व अन्य स्टेशनरी की बचत हुई है. इसके अलावा मैसेंजर के रूप में काम करने वाले व्यक्ति पर भी जिम्मेदारी का बोझ कम हुआ. कर्मचारी और अफसर अब धीरे-धीरे इस नई तकनीक के अभ्यस्त हो रहे हैं. इस प्रयोग को और बढ़ाने की कवायद चल रही है.

डीआरएम बताते हैं कि इस समय हमारे ऑफिस में 95 प्रतिशत फाइलें ई-ऑफिस पर डील हो रही हैं. शाखा कार्यालयों में 75 प्रतिशत जबकि डाक 100 प्रतिशत ई-ऑफिस के माध्यम से आ रहे हैं. अब हमारा कोई कर्मचारी डाक लेकर मुख्यालय इलाहाबाद नहीं जाता. बल्कि वह भी ई-ऑफिस पर चली जा रही है. इससे रेलवे का फाइल वर्क काफी तेज हो गया है. पेपर की भी बचत हो रही है. फाइलों से होने वाले संक्रमण की संभावना भी इससे कम है.

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