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झांसी मंडल में कोरोना की दूसरी लहर में रेलवे के 63 कर्मचारियों ने गंवाई जान

झांसी मंडल में कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के दौरान लगभग सात गुना अधिक कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई. पहले लहर में कुल 9 कर्मचारियों और अधिकारियों की मौत हुई, जबकि इस बार दूसरी लहर में मई और जून महीने में 63 कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई.

झांसी मंडल में कोरोना की दूसरी लहर में रेलवे के 63 कर्मचारियों की हुई मौत
झांसी मंडल में कोरोना की दूसरी लहर में रेलवे के 63 कर्मचारियों की हुई मौत
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Published : Jul 13, 2021, 11:15 AM IST

झांसी: कोरोना की दूसरी लहर में झांसी मंडल में पहले लहर की तुलना में दूसरी लहर के दौरान लगभग सात गुना अधिक कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई. पहले लहर में साल 2020 में अप्रैल महीने से लेकर मार्च 2021 तक कुल 9 कर्मचारियों और अधिकारियों की मौत हुई, जबकि इस बार दूसरी लहर में मई और जून महीने में 63 कर्मचारियों व अफसरों की मौत हो गई, जिससे रेलवे को काफी नुकसान उठाना पड़ा और कामकाज पर भी असर पड़ा.

प्रवासी ट्रेन के संचालन में कर्मचारियों की भूमिका
कोविड के पहले दौर से ही रेलवे की भूमिका चुनौतीपूर्ण रही थी. लॉकडाउन के बाद जब मजदूरों का पैदल देशव्यापी पलायन शुरू हुआ तो सरकार ने विशेष ट्रेनों के संचालन का निर्णय लिया. मजदूरों के पलायन के दौरान झांसी प्रवासियों के जमावड़े का सबसे बड़ा केंद्र बना था और उत्तर प्रदेश में सबसे पहले प्रवासी स्पेशल ट्रेन का संचालन भी झांसी से ही शुरू किया गया था. प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने के साथ ही खाद्य पदार्थो और दवाओं की आपूर्ति के लिए मालगाड़ियों को भी नियमित रूप से संचालित करने में रेलवे को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ी.

ऑक्सीजन के परिवहन की जिम्मेदारी
दूसरी लहर के दौरान जब पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत थी, तब रेलवे ने ऑक्सीजन टैंकरों को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई. झांसी मण्डल के कर्मचारियों ने इस काम मे भी बढ़-चढ़ कर अपनी भूमिका निभाई और पचास से अधिक ऑक्सीजन स्पेशल ट्रेनों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया. अब जब कोरोना की लहर कुछ कमजोर पड़ी है, तो रेलवे इस तैयारी में है कि यात्री ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाए, लेकिन यात्रियों की संख्या कम होने और संभावित तीसरी लहर के कारण रेलवे बेहद सावधानी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा है.

इसे भी पढ़ें-सेना का गोला लेकर जा रहा था घर, धमाके में हुई मौत

कर्मचारियों के टीकाकरण पर जोर
झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान हमारे मंडल में मई और जून महीने में 63 कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई है. पिछले साल नौ लोगों की मौत हुई थी. कोविड की चुनौती में हमारे स्टाफ ने अपनी जान को दांव पर लगाकर ड्यूटी को अंजाम दिया. हमारी कोशिश है कि सभी दिवंगत कर्मचारियों के परिवार के लोगों को सभी तरह के आर्थिक भुगतान जल्द से जल्द कर दिए जाएं. इसके साथ ही सभी कर्मचारियों और अफसरों के टीकाकरण के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है.

झांसी: कोरोना की दूसरी लहर में झांसी मंडल में पहले लहर की तुलना में दूसरी लहर के दौरान लगभग सात गुना अधिक कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई. पहले लहर में साल 2020 में अप्रैल महीने से लेकर मार्च 2021 तक कुल 9 कर्मचारियों और अधिकारियों की मौत हुई, जबकि इस बार दूसरी लहर में मई और जून महीने में 63 कर्मचारियों व अफसरों की मौत हो गई, जिससे रेलवे को काफी नुकसान उठाना पड़ा और कामकाज पर भी असर पड़ा.

प्रवासी ट्रेन के संचालन में कर्मचारियों की भूमिका
कोविड के पहले दौर से ही रेलवे की भूमिका चुनौतीपूर्ण रही थी. लॉकडाउन के बाद जब मजदूरों का पैदल देशव्यापी पलायन शुरू हुआ तो सरकार ने विशेष ट्रेनों के संचालन का निर्णय लिया. मजदूरों के पलायन के दौरान झांसी प्रवासियों के जमावड़े का सबसे बड़ा केंद्र बना था और उत्तर प्रदेश में सबसे पहले प्रवासी स्पेशल ट्रेन का संचालन भी झांसी से ही शुरू किया गया था. प्रवासियों को गंतव्य तक पहुंचाने के साथ ही खाद्य पदार्थो और दवाओं की आपूर्ति के लिए मालगाड़ियों को भी नियमित रूप से संचालित करने में रेलवे को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ी.

ऑक्सीजन के परिवहन की जिम्मेदारी
दूसरी लहर के दौरान जब पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत थी, तब रेलवे ने ऑक्सीजन टैंकरों को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाई. झांसी मण्डल के कर्मचारियों ने इस काम मे भी बढ़-चढ़ कर अपनी भूमिका निभाई और पचास से अधिक ऑक्सीजन स्पेशल ट्रेनों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया. अब जब कोरोना की लहर कुछ कमजोर पड़ी है, तो रेलवे इस तैयारी में है कि यात्री ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाए, लेकिन यात्रियों की संख्या कम होने और संभावित तीसरी लहर के कारण रेलवे बेहद सावधानी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा है.

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कर्मचारियों के टीकाकरण पर जोर
झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान हमारे मंडल में मई और जून महीने में 63 कर्मचारियों व अफसरों की मौत हुई है. पिछले साल नौ लोगों की मौत हुई थी. कोविड की चुनौती में हमारे स्टाफ ने अपनी जान को दांव पर लगाकर ड्यूटी को अंजाम दिया. हमारी कोशिश है कि सभी दिवंगत कर्मचारियों के परिवार के लोगों को सभी तरह के आर्थिक भुगतान जल्द से जल्द कर दिए जाएं. इसके साथ ही सभी कर्मचारियों और अफसरों के टीकाकरण के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है.

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