प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोन में अनियमितता के मामले में आरोपी मुरादाबाद के ग्रामीण बैंक के सीनियर मैनेजर की विवेचना में सहयोग करने की शर्त पर गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही उनकी याचिका पर राज्य सरकार व बैंक से चार सप्ताह में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने साई प्रकाश की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र को सुनकर दिया है.
सीनियर एडवोकेट का कहना था कि याची पर लोन देने में अनियमितता बरतने का आरोप है. कहा गया है कि बिना सत्यापन लोन दे दिया गया. याची ने 33 हाउस लोन दिए, जिसमें से 28 का निर्माण पूरा हो चुका है. शेष में काम जारी है. ई रिक्शा लोन मामले में 16 में से सात ने लोन अदा कर दिया. शेष किश्त का भुगतान कर रहे हैं. याची के खिलाफ केवल दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से झूठा केस दर्ज किया गया है.
याची का कैरियर बेदाग है. उसकी ओर से कोई अनियमितता नहीं बरती गई है. इस पर कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय मानते हुए याची की गिरफ्तारी पर सशर्त रोक लगाते हुए विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है.
दस वकीलों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई खत्म: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज जिला न्यायालय में गत 29 अप्रैल की घटना पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की रिपोर्ट पर लंबित आपराधिक अवमानना मामले में मुख्य दो वकीलों रणविजय सिंह व मोहम्मद आसिफ के अलावा अन्य सभी अधिवक्ताओं को अवमानना कार्यवाही से बरी कर दिया है.
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