जौनपुर: राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत स्वयंसेवकों ने बापू बाजार का आयोजन किया. इसका उद्देश्य गरीब, असहाय एवं कमजोर लोगों को सह सम्मान मदद पहुंचाना है. इसके लिए बापू बाजार में हर वस्त्र की कीमत दो से दस रुपये के बीच रखा गया है. बाबू बाजार की कल्पना पूर्वांचल के पूर्व कुलपति प्रोफेसर सुंदरलाल द्वारा की गई थी जिसे अब निरंतर बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है.
राष्ट्रीय संघ सेवक द्वारा कोतवाली थाना अंतर्गत एक विद्यालय में बापू बाजार का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि के रुप में शामिल होने पहुंचे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के एनएसएस के राष्ट्रीय समन्वयक डा. राकेश कुमार यादव नें बसंत पंचमी के पावन अवसर पर मां सरस्वती एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर और फीता काटकर बापू बाजार की शुरुआत की.
बापू बाजार के प्रत्येक दुकानों पर कपड़े की कीमत 2 से 10 रुपये के बीच निर्धारित की गई है. इससे गरीब, कमजोर एवं निर्धन लोग भी आसानी से कपड़ों की खरीदारी कर सकेंगे. इसका मकसद लोगों को ठंड के मौसम में गर्म कपड़े एवं बच्चों के वस्त्र उपलब्ध कराना है.
बापू बाजार की कैसे हुई शुरुआत
बापू बाजार का आयोजन पहली बार पूर्वांचल के कुलपति द्वारा 8 साल पहले किया गया था. कहा जाता है कि, प्रोफेसर सुंदरलाल जब पहली बार पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति बनकर पहुंचे तो गरीबों, असहाय एवं कमजोर लोगों को सह सम्मान मदद करने के लिए बापू बाजार लगाने का कार्य किया जिसमें लगे दुकानों में कपड़ों की कीमत 2 से ₹10 निर्धारित किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक राकेश कुमार यादव ने बताया कि बापू बाजार का आयोजन डॉक्टर अख्तर हसन रिजवी शिया डिग्री कॉलेज के द्वारा किया जा रहा है. इसका उद्देश्य गरीबों, असहाय एवं कमजोरों को कम मूल्य पर वस्त्र उपलब्ध कराना है.
राकेश कुमार ने बताया कि यह कार्यक्रम एनएसएस के छठें दिन विभिन्न महाविद्यालयों में शिविर लगाकर किया जाता है. इसकी शुरुआत पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति द्वारा किया गया था जिसे आज हम निरंतर चलाने का कार्य कर रहे हैं.